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बर्द्धमान में हुए धमाकों के षड्यंत्रकारी युसुफ शेख ने करीब तीन साल तक उत्तर प्रदेश में आतंकी प्रशिक्षण लिया था। एनआईए (राष्ट्रीय जांच एजेंसी) अब उसकी तलाश में सरगर्मी से छापेमारी कर रही है।
जांच में खुलासा हुआ है कि युसुफ पहले एक सामान्य किसान था। अचानक वह उत्तर प्रदेश चला गया, लेकिन वहां से 2009 में लौटने के बाद वह बिलकुल बदल चुका था। 2010 में उसने मदरसा खोल दिया, जो कि बाद में बंगलादेश के आतंकियों के प्रशिक्षण और विस्फोटक सामग्री बनाने का केन्द्र बन गया। यही नहीं उसने रजिया और अलीमा को मदरसे में प्रशिक्षण दिया था। दोनों महिलाएं आतंकी संगठन जमात उल मुजाहिदीन की सदस्य थीं।
युसुफ के आईएम मॉड्यूल से भी तार जुड़े कहीं होने के संकेत मिले हैं। वह उत्तर प्रदेश के अलावा जम्मू-कश्मीर, महाराष्ट्र और तमिलनाडु के आतंकियों के संपर्क में भी था। एनआईए द्वारा चेन्नै के तीन लोगों को पूछताछ के समय समन भी जारी किया गया है। सिमुलिया के जिस मदरसे में युसुफ दोनों महिलाओं को प्रशिक्षण देता था, वहां गुप्त कमरे और एक सुरंग के बारे में भी पता लगा है। मदरसे को डॉक्टर दंपति आर्थिक मदद भी करते थे। जांच दल को बंगलादेश की सीमा से सटे मुर्शिदाबाद के लालगोला व बेलडांगा में दो मदरसों का पता लगा है, जहां आतंकियों को प्रशिक्षण दिया जाता है। दूसरी तरफ यह भी आशंका जताई गई है कि पश्चिम बंगाल के चर्चित सारदा घोटाले का रुपया धमाका करने वाले आतंकियों के प्रशिक्षण पर तो खर्च नहीं किया गया गुप्तचर ब्यूरो ने कुछ नेताओं की भूमिका पर संदेह जताते हुए गृह मंत्रालय को अपनी रपट भेजी है। दूसरी तरफ की राज्य सरकार बर्द्धमान जिले के उन मदरसों पर कार्रवाई नहीं करेगी, जिनमें केन्द्र सरकार की जांच एजेंसी एनआईए धमाकों के सिलसिले में जांच-पड़ताल कर रही है। एनआईए को बर्द्धमान के एक मदरसे में कई तरह के आपत्तिजनक कागजात व रसायन मिले हैं। सूत्रों के अनुसार मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के निर्देश पर निर्णय लिया गया है कि जिन मदरसों में केन्द्रीय जांच एजेंसी जांच-पड़ताल कर रही है उन पर राज्य सरकार की तरफ से कोई कार्रवाई नहीं की जाएगी। इस निर्णय को राजनीतिक दृष्टि से भी देखा जा रहा है। ल्ल प्रतिनिधि
बर्द्धमान में हुए धमाकों के षड्यंत्रकारी युसुफ शेख ने करीब तीन साल तक उत्तर प्रदेश में आतंकी प्रशिक्षण लिया था। एनआईए (राष्ट्रीय जांच एजेंसी) अब उसकी तलाश में सरगर्मी से छापेमारी कर रही है।
जांच में खुलासा हुआ है कि युसुफ पहले एक सामान्य किसान था। अचानक वह उत्तर प्रदेश चला गया, लेकिन वहां से 2009 में लौटने के बाद वह बिलकुल बदल चुका था। 2010 में उसने मदरसा खोल दिया, जो कि बाद में बंगलादेश के आतंकियों के प्रशिक्षण और विस्फोटक सामग्री बनाने का केन्द्र बन गया। यही नहीं उसने रजिया और अलीमा को मदरसे में प्रशिक्षण दिया था। दोनों महिलाएं आतंकी संगठन जमात उल मुजाहिदीन की सदस्य थीं।
युसुफ के आईएम मॉड्यूल से भी तार जुड़े कहीं होने के संकेत मिले हैं। वह उत्तर प्रदेश के अलावा जम्मू-कश्मीर, महाराष्ट्र और तमिलनाडु के आतंकियों के संपर्क में भी था। एनआईए द्वारा चेन्नै के तीन लोगों को पूछताछ के समय समन भी जारी किया गया है। सिमुलिया के जिस मदरसे में युसुफ दोनों महिलाओं को प्रशिक्षण देता था, वहां गुप्त कमरे और एक सुरंग के बारे में भी पता लगा है। मदरसे को डॉक्टर दंपति आर्थिक मदद भी करते थे। जांच दल को बंगलादेश की सीमा से सटे मुर्शिदाबाद के लालगोला व बेलडांगा में दो मदरसों का पता लगा है, जहां आतंकियों को प्रशिक्षण दिया जाता है। दूसरी तरफ यह भी आशंका जताई गई है कि पश्चिम बंगाल के चर्चित सारदा घोटाले का रुपया धमाका करने वाले आतंकियों के प्रशिक्षण पर तो खर्च नहीं किया गया गुप्तचर ब्यूरो ने कुछ नेताओं की भूमिका पर संदेह जताते हुए गृह मंत्रालय को अपनी रपट भेजी है। दूसरी तरफ की राज्य सरकार बर्द्धमान जिले के उन मदरसों पर कार्रवाई नहीं करेगी, जिनमें केन्द्र सरकार की जांच एजेंसी एनआईए धमाकों के सिलसिले में जांच-पड़ताल कर रही है। एनआईए को बर्द्धमान के एक मदरसे में कई तरह के आपत्तिजनक कागजात व रसायन मिले हैं। सूत्रों के अनुसार मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के निर्देश पर निर्णय लिया गया है कि जिन मदरसों में केन्द्रीय जांच एजेंसी जांच-पड़ताल कर रही है उन पर राज्य सरकार की तरफ से कोई कार्रवाई नहीं की जाएगी। इस निर्णय को राजनीतिक दृष्टि से भी देखा जा रहा है। ल्ल प्रतिनिधि
मजहबी उन्मादियों ने फेंका मंदिर में मांस
सिलीगुड़ी। दिनाजपुर जिले में मजलिसपुर के निकट काली मंदिर में गो मांस फेंक दिया गया। इस घटना से हिन्दुओं की धार्मिक भावनाओं को काफी ठेस पहंुची है। इससे पूर्व भी मजहबी उन्मादियों ने ऐसी घटना को अंजाम दिया था।
जानकारी के मुताबिक गत 10 अक्तूबर की रात तीन मोटरसाइकिलों पर सवार होकर आए तीन अज्ञात लोगों ने काली मंदिर में मृत गो का मांस फेंक दिया और फरार हो गए। इस घटना की जानकारी मिलते ही हिन्दू एकत्रित हो गए और उत्तेजित भीड़ ने राष्ट्रीय राजमार्ग-31 पर ट्रक और मोटरसाइकिल को आग लगा दी।
शहर में बिगड़ती स्थिति देखते हुए भारी संख्या में पुलिस बल तैनात कर दिया गया और प्रशासन द्वारा धारा 144 लागू कर दी गई। पुलिस ने मंदिर में मांस फेंकने का विरोध कर रहे आठ हिन्दुओं को ही गिरफ्तार कर जेल भेज दिया, जबकि आरोपियों का खबर लिखे जाने तक कुछ भी पता नहीं लग सका। इसके बाद जिला सदर रायगंज से भाजपा प्रतिनिधि अमित साहा के नेतृत्व में पूरे क्षेत्र का दौरा किया गया। घटना के विरोध में कनकी रेलवे स्टेशन के निकट करीब 500 की संख्या में मुस्लिम एकत्रित हो गए थे। इस दौरान उनकी हिन्दुओं से कहासुनी के बाद मारपीट भी हुई।
इस बीच कुछ लोग घायल भी हो गए जिन्हें उपचार के लिए अस्पताल ले जाया गया। इस घटना के बाद से हिन्दू-मुस्लिम के बीच तनाव बढ़ गया है और लोग अपने-अपने गली-मोहल्ले में स्थित मंदिरों की निगरानी करने लगे हैं। हालांकि नेताओं और पुलिस अधिकारियों ने दोनों पक्षों से ही शांति बनाए रखने की अपील की है। चाकुलिया से कांग्रेसी नेता ने इस अनहोनी के लिए पुलिस को दोषी ठहराया है।
उनका आरोप है कि पुलिस की निष्क्रियता के कारण ही ऐसी स्थिति बनी। बताया जा रहा है कि इस घटना को बाहरी तत्वों ने अंजाम दिया है। उत्तर बंगाल के उप पुलिस महानिरीक्षक ने घटनास्थल का दौरा कर स्थिति का जायजा लिया। उन्होंने बताया है कि स्थिति तनावपूर्ण है, लेकिन अब नियंत्रण में है।
ल्ल बासुदेब पाल
केन्द्र को आदेश
दिल्ली उच्च न्यायालय ने केन्द्र सरकार को दक्षिणी दिल्ली के जोरबाग इलाके में स्थित कर्बला भूमि विवाद में शांति बहाल कराने के आदेश दिए हैं। उच्च न्यायालय ने कहा कि कर्बला में कुछ लोगों के निजि हितों के चलते तनाव की स्थिति उत्पन्न होती है वरना वहां रहने वाले लोग शांतिपूर्वक रह रहे हैं। दरअसल पिछले 14 वर्षों से लगातार कर्बला की भूमि को लेकर विवाद चल रहा है।
रामसेतु का विकल्प
केन्द्र सरकार ने रामसेतु को टूटने से बचाने का विकल्प तलाश लिया है। भारतीय महासागर में आवागमन निर्बाध बनाने के सेतुसमुद्रम परियोजना संभवत: पम्बन से गुजरेगी। केन्द्रीय जहाजरानी मंत्री नितिन गडकरी ने विशेषज्ञों की राय पर पम्बन रूट को अनुमति दे दी है। जल्द ही इसे केन्द्र की रामसेतु का विकल्पमंजूरी के लिए भेजा जा सकता है। मंजूरी के बाद इसे
न्यायालय के समक्ष पेश किया जाएगा।
सभी दोषी करार
न्यायालय ने वर्ष 2010 के धौला कुआं बलात्कार मामले में सभी पांचों आरोपियों को दोषी करार दिया है। इन सभी पर बीपीओ में काम करने वाली एक युवती से सामूहिक बलात्कार करने का आरोप था, जो कि मूल रूप से उत्तर पूर्व भारत की रहने वाली थी। न्यायालय ने युवती की गवाही पर भरोसा जताया है क्योंकि उसने दो आरोपियों की पहचान भी कर ली थी, उसके बाद वह अपने घर लौट गई थी।
डीएलएफ पर भारी 'सेबी'
सेबी द्वारा प्रतिबंध लगाए जाने के एक दिन बाद ही रियल एस्टेट कंपनी डीएलएफ का बाजार भाव साढ़े सात हजार करोड़ रुपए तक घट गया। गत 14 अक्तूबर को कंपनी के शेयर 30 फीसद तक नीचे गिर गए। वर्ष 2007 से सूची में शामिल कंपनी की अभी तक की यह सबसे बड़ी गिरावट दर्ज की गई है। गौरतलब है कि सेबी ने 13 अक्तूबर को कंपनी के अध्यक्ष, उनके बेटा, बेटी सहित छह लोगों पर तीन साल तक शेयर का कारोबार करने पर प्रतिबंध लगा दिया था। प्रतिनिधि
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