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अंक संदर्भ : 14 सितम्बर, 2014
आवरण कथा 'सुस्ती का नहीं काम' से प्रतीत होता है कि राजग सरकार ने सौ दिन में ही 'सबका साथ, सबका विकास' के नारे को जमीन पर उतारने की शुरुआत कर दी है। सभी विभागों के मंत्री पूरी तन्मयता से अपने-अपने कार्यों में लगे हुए हैं। दस वर्षों से सभी विभागों में सुस्ती का जो वातावरण था वह आज दूर-दूर तक नहीं है। मंत्री से लेकर अधिकारियों तक को प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी का स्पष्ट संकेत है कि उनके लिए देश का विकास ही सर्वोपरि है। इसी ध्येय और कार्य करने की शेैली के चलते विरोधी उनके कायल हैं और प्रशंसा करने से नहीं रह पाते,बेशक वह मीडिया के सामने न बोल पाते हों।
बी.जे.अग्रवाल
अग्रसेन रोड,धर्मपीठ,नागपुर(महाराष्ट्र)
राजग सरकार के सौ दिन देश को संदेश देते हैं कि जिसका मन और कार्य करने की इच्छाशक्ति प्रबल होती है,उसका कार्य कुछ ही दिनों में सामने आ जाता है। कहावत है 'पूत के पाव पालने में ही दिखने लगते हैं'। श्री नरेन्द्र मोदी को अभी प्रधानमंत्री बने कुल तीन महीने ही हुए हैं, लेकिन उनके द्वारा देशहित में किए जा रहे सभी कार्य जनता को दिखाई देने लगे हैं। साथ ही इस डिजिटल युग में भारतीय भाषाओं की उपयोगिता बढ़ाने के लिए भारत सरकार द्वारा की जा रही पहल अत्यधिक प्रशंसनीय है। अन्तरराष्ट्रीय स्तर पर मोदी जी द्वारा हिन्दी की पताका फहराना पूरे देश को गौरवान्वित कर देता है।
अभिलाषा सिंह
अहिंसा चौक-विजयनगर,जबलपुर(म.प्र.)
नरेन्द्र मोदी द्वारा किया जा रहा सकारात्मक प्रयास स्पष्ट तौर पर दिखाई दे रहा है। पाञ्चजन्य ने सरकार के सौ दिन का अच्छा विश्लेषण किया है। स्वयं प्रधानमंत्री इतने चुस्त हैं तो अधिकारियों को भी चुस्त होना पड़ेगा। नरेन्द्र मोदी द्वारा यह कहना 'कि न खाएंगे और न खाने देंगे' की बात से देश की जनता निश्चित हो जाती है कि अब देश की बागडोर ईमानदार प्रधानमंत्री के हाथों में है,जो देश की गरिमा को कभी झुकने नहीं देगा।
वीरेन्द्र सिंह जरयाल
शिवपुरी विस्तार,कृष्ण नगर (दिल्ली)
केन्द्र में जैसे ही भाजपा की सरकार आई देशवासियों को उसी समय लग गया था कि अब देश और जनता के अच्छे दिन आ गए हैं। दस साल से कांग्रेस ने देश को लूटकर खोखला कर दिया । आज यह पूरा देश जानता है। लेकिन अब देश की बागडोर ऐसे हाथों में है, जो देश को माता मानता है और उसके लिए सब कुछ अर्पण करने को हर क्षण तैयार है। मेरा नरेन्द्र मोदी जी से एक ही निवेदन है कि 'वंचित रहे न कोई गरीब,पहुंचें सुख के सभी करीब' की बात को चरितार्थ करना है।
मोहन प्रसाद बरनवाल
गुरुद्वारा रोड,उखरा,जिला-बर्द्धमान(प.बंगाल)
चुनाव के समय की मोदी लहर अपने सौ दिन के शासन में प्रधानमंत्री लहर में तब्दील हो गई। विश्व के तमाम देश व नरेन्द्र मोदी के आलोचक भी इन सौ दिनों के कायल हो गए हैं। लगभग पूरी दुनिया इस छोटे से समय में ही मोदी के कामकाज से गुंजायमान हो गई है। जिसका परिणाम हम स्पष्ट देख रहे हैं कि अमरीका भी मोदी के लिए लालायित है। शपथ ग्रहण के बाद से अब तक हर पल को राष्ट्र के लिए जीने का दृढ़़संकल्प मोदी जी में साफ तौर पर देखा जा सकता है। इन कुछ दिनों में ही देश की जनता ने देख लिया कि अगर ईमानदार नेता अपना ठीक ढंग से कार्य करंे तो वास्तव में देश की दिशा-दशा बदल सकती है।
हरिओम चतुर्वेदी,
भिण्ड (म.प्र.)
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की सरकार के सौ दिन पूरे हो चुके हैं। इस दौरान उन्होंने कई क्षेत्रों में इतने कम समय में ही प्यापक फेर बदल किए हैं और कई नई योजनाओं को शुरू किया है, जिनका सिर्फ एक ही उद्देश्य है कि भारत के लोगों का विकास। जनधन योजना,गंगा स्वच्छता अभियान, नेताओं के स्वजनों की भागीदारी में निषेध,भ्रष्टाचार पर नकेल कसने में दूरगामी कदम उठाये हैं। तथा दूसरी ओर चीन, जापान और पाकिस्तान के संबंध में विदेश नीति के स्पष्ट संकेत उन्होंने दे दिये हैं। अब प्रतीत हो रहा है कि देश विकास की मुख्यधारा की ओर मुड़ चुका है।
कुंवर वीरेन्द्र विद्रोही,ग्वालियर(म.प्र.)
कृषिक्षेत्र में बदलाव की जरूरत
लगातर बढ़ती जनसंख्या देश के लिए एक बड़ी चुनौती के रूप में उभरकर सामने आ रही है। यह चुनौती इसलिए है कि इतनी बड़ी आबादी को खाद्यान्न की आपूर्ति कैसे कराई जाए ? आज कृषिक्षेत्र में रासायनिक उर्वरकों के प्रयोग से हमारी जमीन विषयुक्त होती जा रही है। हम बराबर विदेशों में हो रही कृषि पद्धति का अंधानुकरण करते चले आ रहे हैं,जबकि अगर हम उनका अंधानुकरण करना छोड़ दें और अपनी कृषि को भारत की पद्धति के लिहाज से करें तो हमें इससे बेहतर परिणाम मिलेंगे।
कमलेश कुमार ओझा,ओझौली(बिहार)
आज कृषि क्षेत्र में व्यापक बदलाव की जरूरत है। पाञ्चजन्य ने कृषि अंक में देश को विश्वास दिलाया है कि भारत फिर से एक बार कृषि क्षेत्र मेें बेहतर करने को तैयार है। केवल आवश्यकता है गुलामी की मानसिकता से बाहर आने की तथा कृषिक्षेत्र में पाश्चात्य देशों की षड्यंत्रकारी नीतियों से बचकर स्वदेशी तकनीकों के प्रति किसान जगत में विश्वास पैदा करने एवं उनकी उपलब्धियों के व्यापक प्रचार-प्रसार की।
पुरुषोत्तम कुमार,ज्योति नगर(दिल्ली)
किस हद तक गिरेंगे नेताजी ?
देश का दुर्भाग्य है कि आजादी के छह दशकों बाद भी महिलाओं पर अत्याचार थमता नजर नहीं आता। बड़ी-बड़ी बातें करने वाले लोग इस विषय पर ऐसे खामोश हो जाते हैं, जैसे उन्हें कुछ पता ही नहीं। देश में बरगलाकर मत परिवर्तन सेकुलरों के मुंह पर तमाचा है जो धर्म निरपेक्षता का डंका पीटते घूमते हैं। देश के अधिकतर राज्यों में मत परिवर्तन और लव जिहाद की घटनाएं प्रकाश में आ रही हैं। मुसलमानों द्वारा हिन्दू लड़कियों को गुमराह करके पाश में लेने की घटनाओं को सेकुलर नेता प्रेम की संज्ञा देते हैं। पता नहीं हमारे नेता वोट के लालच में किस हद तक गिरेंगे? हमें स्वयं ही अपने घर-परिवार एवं समाज व बहन-बेटियों की रक्षा का संकल्प लेना होगा । साथ ही समाज को इसके विषय में जागरूक करना होगा । तभी इस पर पूर्ण रूप से लगाम लग सकती है।
उमेश प्रसाद सिंह,
लक्ष्मी नगर(दिल्ली)
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