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कोलकाता में 21 सितम्बर को हिन्दी दिवस के उपलक्ष्य में एक कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इस अवसर पर पश्चिम बंगाल के राज्यपाल श्री केशरीनाथ त्रिपाठी ने कहा कि हिन्दी राष्ट्रीयता का आभास है, वह हमारे अस्तित्व की पहचान है। सार्वजनिक स्थानों पर अपनी भाषा के माध्यम से हमें गौरव की अनुभूति होती है। हिन्दी केवल भाषा नहीं, राष्ट्र-बोध है। हिन्दी दिवस एक उत्सव नहीं, बल्कि अस्तित्व का बोध कराने वाला अनुष्ठान है। हीनता बोध से पीडि़त लोग हिन्दी के प्रयोग से कतराते हैं। हमारी भाषा की स्वीकार्यता तभी बढ़ेगी जब हम अपनी भाषा को बोलने के साथ-साथ लिखने का भी अभ्यास करेंगे। राष्ट्रीय अस्मिता के लिए हमें अपने-अपने स्तर पर काम करना होगा तभी हिन्दी को अपेक्षित सम्मान प्राप्त होगा।
समारोह की अध्यक्षता साहित्य अकादमी, नई दिल्ली की हिन्दी समिति के संयोजक डॉ. सूर्यप्रताप दीक्षित ने की। उन्होंने कहा कि कोई भी लोकतंत्र राष्ट्रभाषा के बिना चल नहीं सकता है। हिन्दी को राजभाषा का गौरव दिलाने के लिए अवधि निश्चित होनी चाहिए। इस अवसर पर श्रीबड़ाबाजार कुमारसभा पुस्तकालय की वेबसाइट का उद्घाटन भी हुआ।
समारोह में श्रीबड़ाबाजार कुमारसभा पुस्तकालय के पदाधिकारियों के अलावा अनेक सामाजिक, सांस्कृतिक और साहित्यिक संस्थाओं से जुड़े लोग उपस्थित थे। -प्रतिनिधि
लद्दाख में विहिप के बढ़ते कदम
प्रकृति की गोद में हिम श्रृंखलाओं से घिरी लद्दाख घाटी आज इस्लामिक जिहाद व विस्तारवादी चीनी आक्रमण से जूझ रही है। भारतीय संस्कृति, जीवन दर्शन, उच्च विचारों को जिस समाज ने लम्बे समय तक विश्व में प्रचारित-प्रसारित किया वही अब चीनी साम्यवादियों और इस्लामिक आतंकवादियों से अपने आप को बचाने में लगा है।
इस देवभूमि को आतंक-मुक्त करने हेतु विश्व हिन्दू परिषद् ने भी समय-समय पर हिन्दू-बौद्ध सम्मेलन कर वहां के लोगों का मनोबल बढ़ाने का प्रयास किया है। जबरन मतान्तरण वहां की एक बड़ी समस्या है। इस चुनौती को स्वीकार कर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संंघ और विश्व हिन्दू परिषद् के कार्यकर्ता वहां के प्रमुख लामाओं से मिलकर जन-जागरण का कार्य कर रहे हैं। इस इस्लामिक षड्यंत्र को नष्ट करने में काफी हद तक सफलता भी मिली है। लेह का एकमात्र राधाकृष्ण मंदिर एकता व सद्भावना का प्रतीक है। सिंधु दर्शन यात्रा इस क्षेत्र को एक नई पहचान विश्व पटल पर दिला रही है।
विश्व हिन्दू परिषद् के स्वर्णजयन्ती महोत्सव वर्ष में लद्दाख में भी विश्व हिन्दू परिषद् के कार्यक्रम हों। इसी दृष्टि से विश्व हिन्दू परिषद्, इन्द्रप्रस्थ क्षेत्र के संगठन मंत्री श्री करुणा प्रकाश और विश्व हिन्दू परिषद्, दिल्ली के प्रान्त सह संगठन मंत्री डॉ़ अनिल कुमार ने पिछले दिनों लद्दाख का प्रवास किया। हिन्दू ट्रस्ट, लद्दाख के फांदे छोंग्स्पा ने उनका जोरदार स्वागत बौद्ध परम्परा से किया। लेह शहर के हरे कृष्ण मंदिर में बैठक हुई। बैठक में बौद्ध-हिन्दू सम्मेलन करने का निश्चय किया गया। 2 नवम्बर को लेह शहर के कई अस्पतालों में रक्तदान शिविर लगाए जाएंगे। अगले वर्ष अप्रैल माह में पौधा रोपण भी होगा।
लद्दाख के पूज्य लामा तोगदन रिम्पोछे ने भी विश्व हिन्दू परिषद् को हर तरह से सहयोग देने का वचन दिया। उन्होंने यह भी कहा कि हिन्दू-बौद्ध एक हैं और यही विश्व मंे शांति की स्थापना कर सकते हैं।
31 सदस्यीय आयोजन समिति में पू़ तोगदन रिम्पोछ, लामा कोन्चोक रिग्जीन, रिनचेन टुण्डुप, विजय ऋषि, श्री बलबीर, मनीष मित्तल, पुष्पेन्द्र सिंह, विजय कुमार, मोहिन्दर संहास, ताशी लुण्डुप, ताशी सेम्फल, सुनील यादव आदि शामिल हैं। – प्रतिनिधि
भारतीय धरोहर का वार्षिक सम्मेलन
नई दिल्ली के सीरीफोर्ट सभागार में 21 सितम्बर को भारतीय धरोहर का 10वां वार्षिक प्रतिनिधि सम्मेलन आयोजित हुआ। मुख्य अतिथि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ,उत्तर क्षेत्र के संघचालक डॉ. बजरंगलाल गुप्त ने कहा कि भारतीय अवधारणा में जड़ और चेतन में भी ईश्वरीय तत्व है। इसी कारण से हम गंगा और गाय को माता और पहाड़ और नाग को देवता मानकर पूजा करते हैं। उत्तराखण्ड के पूर्व मुख्यमंत्री और राज्यसभा सदस्य श्री भगत सिंह कोश्यारी ने कहा कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ हम सब कार्यकर्ताओं के लिए एक धरोहर है, जिसने हमें बाल्यकाल से ही राष्ट्रीयता का पाठ पढ़ाया। सम्मेलन को संजीव कपूर और आचार्य ब्रह्मदेव महाराज ने भी सम्बोधित किया। इस अवसर पर चाणक्य नाटक का मंचन किया गया। सम्मेलन में महर्षि महेश योगी प्रतिष्ठान के डॉ. जोंस लुइस, गुजरात आयुर्वेद विश्वविद्यालय, जामनगर के कुलपति वैद्य राजेश कोटेचा, एमिटी विश्वविद्यालय, मानेसर (हरियाणा) के कुलपति डॉ. पी. वी. शर्मा, वरिष्ठ पत्रकार श्री जवाहरलाल कौल आदि को सम्मानित किया गया।-ल प्रतिनिधि
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