|
अमरीकी सेना के नेतृत्व में ब्रिटेन, फ्रांस आदि देशों के सैनिक इराक और सीरिया की उन जगहों पर हवाई हमले लगातार कर रहे है, जहां आई़ एस़ आई़ एस. के जिहादी छिपे हुए हैं। खबर है कि हवाई हमलों से बचने के लिए जिहादी सुरक्षित स्थानों की ओर भाग रहे हैं। ये जिहादी तुर्की और सीरिया की सीमा से लगे कुदार्ें की बस्तियों पर जबरन कब्जा करके वहां छिप रहे हैं, जबकि जिहादियों के हाथों लुटे-पिटे कुर्द तुर्की में शरण ले रहे हैं। कहा जा रहा है कि एक हफ्ते के अन्दर करीब डेढ़ लाख कुदार्ें ने तुर्की में शरण ली है। शरणार्थियों की बढ़ती संख्या से तुर्की परेशान है और उसने कहा है कि अब किसी शरणार्थी को तुर्की की सीमा में घुसने नहीं दिया जाएगा। उल्लेखनीय है कि पहले से ही तुर्की में 8 लाख 47 हजार शरणार्थी हैं, जिनका पंजीकरण हुआ है।
उधर अमरीकी राष्ट्रपति बराक ओबामा ने दुनिया के अनेक देशों से कहा है कि वे आई़ एस़ आई़ एस. के जिहादियों को खत्म करने के लिए युद्ध में शामिल हों। 24 सितम्बर को संयुक्त राष्ट्र महासभा को सम्बोधित करते हुए ओबामा ने आई़ एस़ आई़ एस. को 'मौत का नेटवर्क' बताया और कहा कि ये हत्यारे केवल और केवल ताकत की भाषा समझते हैं। यही कारण है कि अमरीका कुछ अन्य देशों की सैन्य सहायता के साथ इन जिहादियों को खत्म करने के लिए संकल्पबद्ध है। ओबामा ने कहा कि हवाई हमले के साथ-साथ जिहादियों के वित्तीय स्रोत को बन्द करने और नए लड़ाकों को आई़ एस़ आई़ एस़ में भर्ती न होने देने की दिशा में काम करना जरूरी है। ओबामा ने एक बार फिर कहा कि अमरीकी सेना सिर्फ हवाई हमले करेगी, जमीनी लड़ाई में भाग नहीं लेगी। जबकि ब्रिटेन के पूर्व प्रधानमंत्री टोनी ब्लेयर का मानना है कि हवाई हमलों से जिहादियों को आगे बढ़ने से रोका तो जा सकता है, लेकिन उन्हें जड़ से खत्म नहीं किया जा सकता है। इसलिए हमें जमीनी लड़ाई के लिए तैयार रहना होगा।
फ्रांसीसी नागरिक की हत्या
हवाई हमलों में अपने जिहादियों के मारे जाने से आई.एस.आई.एस. बौखला गया है। उसके प्रवक्ता अबू मुहम्मद अल अदनानी ने अरबी भाषा में जारी अपने ऑनलाइन सन्देश में जिहादियों को निर्देश दिया है कि वे अमरीका, ब्रिटेन, फ्रांस, आस्ट्रेलिया सहित पश्चिमी देशों के नागरिकों को जहां भी देखें वहीं उन पर हमला करें। अदनानी ने यह भी कहा है कि इराक और सीरिया में जो भी देश हमारे विरुद्ध लड़ाई कर रहे हैं, उनका यह अन्तिम युद्ध अभियान होगा। उनको हम बुरी तरह मात देंगे। अदनानी की इस अपील का असर भी हुआ है। आई.एस.आई.एस. से जुड़े अल्जीरिया के एक आतंकी गुट (झुण्ड-अल-खलीफा) ने उत्तरी अफ्रीका में एक फ्रांसीसी पर्यटक हर्वे गोर्डल का अपहरण कर हत्या कर दी है। इसकी विश्वभर में आलोचना हो रही है। फ्रांस ने तो यहां तक कहा है कि वह इन हत्याओं से डरने वाला नहीं है और आतंकवादियों को खत्म करने के लिए काम करता रहेगा।
इसे भी पढ़ें : ईरान में 'सोशल साइट्स' पर प्रतिबंध
रूस भी आया आगे
रूस के राष्ट्रपति ब्लादिमीर पुतिन भी आई.एस.आई.एस. का मुकाबला करने के लिए तैयार हो गए हैं। इस सम्बंध में उन्होंने 21 सितम्बर को अपने देश की सुरक्षा परिषद् से चर्चा भी की है। उन्होंने साफ कहा कि रूस भी आतंकवाद की समाप्ति के लिए चल रहे अभियान में हिस्सा लेना चाहता है। लेकिन यूक्रेन में रूस के हस्तक्षेप से अमरीका खफा है और वह नहीं चाहता है कि रूस उसकी अगुवाई वाले सैन्य अभियान में शामिल हो। अमरीका की परेशानी यह है कि सैन्य अभियान में शामिल अन्य देश चाहते हैं कि रूस भी उनके साथ आए। ल्ल
टिप्पणियाँ