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आईआईटी से इंजीनियरिंग कर अपने भविष्य को संवारने की चाह हर मेधावी छात्र की होती है, लेकिन परिवार की आर्थिक स्थिति अच्छी न होने और कई बार सही निर्देशन और कोचिंग न कर पाने की वजह से बहुत से मेधावी छात्र अपने सपनों को हकीकत में बदलने से चूक जाते हैं। गरीब तबके के ऐसे ही छात्रों को नि:शुल्क शिक्षा और कोचिंग देकर उनके सपनों को उड़ान देने और उन्हें साकार करने में राष्ट्रोत्थान परिषद, बेंगलूरू उनकी मदद कर रही है। राष्ट्रोत्थान परिषद द्वारा शुरू किए गए संस्थान 'तापस' में गरीब पृष्ठभूमि के छात्रों को नि:शुल्क शिक्षा के साथ-साथ आईआईटी की प्रवेश परीक्षा की तैयारी करवाई जाती है। तापस से पढ़ाई करके निकले छात्र आईआईटी और विभिन्न प्रतिष्ठित इंजीनियरिंग संस्थानों में अपनी सीट सुनिश्चित कर चुके हैं।
राष्ट्रोत्थान परिषद ने शिक्षा के क्षेत्र में मेधावी छात्रों को प्रोत्साहित करने व उनके सपनों को साकार करने के लिए वर्ष 2012 में बेंगलुरू में 'तापस' नाम से एक संस्थान की शुरुआत की थी। 10वीं की परीक्षा उत्तीर्ण करने वाले छात्र तापस में प्रवेश ले सकते हैं। यहां पर प्रवेश के लिए कुल तीन चरणों से गुजरना पड़ता है। पहले चरण में छात्र को प्रवेश परीक्षा में बैठना पड़ता है। उसमें उत्तीर्ण होने के बाद पांच दिवसीय कार्यशाला व उसके बाद बच्चे का साक्षात्कार लिया जाता है। तीनों चरणों में अच्छा प्रदर्शन करने वाले छात्र को तापस में प्रवेश मिल जाता है। छात्रों को यहां 11वीं और 12वीं की पढ़ाई नि:शुल्क कराई जाती है और साथ में आईआईटी प्रवेश परीक्षा की तैयारी कराई जाती है। हर छात्र के लिए छात्रावास में रहना अनिवार्य होता है। शिक्षा के साथ छात्रों का रहना और खाना भी नि:शुल्क होता है। 'बीएएसई' एजुकेशनल से विभिन्न विषयों के विशेषज्ञ शिक्षक तापस में आकर छात्रों को आईआईटी की प्रवेश परीक्षा की तैयारी करवाते हैं। तापस की प्रधानाचार्य पुष्पा रुद्रेश ने बताया कि 2014 में उनके संस्थान का पहले बैच 'पासआउट' है। इस बैच के कुल 40 छात्रों में से सात आईआईटी की प्रवेश परीक्षा में उत्तीर्ण हुए हैं। बाकी के सभी छात्रों का भी विभिन्न प्रतिष्ठित इंजीनियरिंग संस्थानों में चयन हुआ है। आईआईटी में चुने गए सातों छात्रों के अलावा बाकी इंजीनियरिंग संस्थानों में चुने गए छात्रों की रैंक भी 1000 से कम ही आ आई है। सभी छात्रों को उनके मनमाफिक इंजीनियरिंग क्षेत्र में भविष्य बनाने का मौका मिलेगा। वर्तमान में तापस में 11वीं और 12वीं में मिलाकर 68 छात्र पढ़ाई कर रहे हैं। उन्होंने बताया कि तापस में शिक्षण लेने वाले छात्रों को कोर्स की पढ़ाई के साथ- साथ नियमित रूप से कोचिंग की करवाई जाती है। तापस से पढ़ाई करके आईआईटी में 255 रैंक लाने वाले प्रशांत के पिता दिहाड़ी मजदूर, जबकि आईआईटी प्रवेश परीक्षा में 1007 रैंक लाने वाले रघुवेंद्र वाल्मीकी के पिता दैनिक वेतन पर काम करते हैं। दोनों छात्रों का कहना है कि यदि उन्हें तापस का सहारा नहीं मिला होता तो उनके लिए आगे की पढ़ाई कर पाना मुश्किल था। तापस में पढ़ाई करने के दौरान उन्हें बेहतरीन तरीके से कोचिंग कराई गई, जिसकी वजह से प्रथम प्रयास में ही वे आईआईटी प्रवेश परीक्षा पास कर सके।
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