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इन दिनों पूरी दुनिया के मीडिया में जिहादी अबु बक अल-बगदादी की बर्बरता की चर्चा हो रही है। कहा जा रहा है कि बगदादी दूसरा बिन लादेन है। इसी बगदादी के नेतृत्व में इराक में सुन्नी जिहादियों का गुट इस्लामिक स्टेट इन इराक एंड लेवांत (आई.एस.आई.एस.) बर्बरता की हद पार कर चुका है। ये जिहादी इराकी सैनिकों और आम नागरिकों को खुलेआम क्रूरतापूर्वक मार रहे हैं। किसी सैनिक का गला काटकर उसका कटा सिर इन्टरनेट पर दिखा रहे हैं, इराकी सैनिकों को पंक्ति में खड़े करके तोप से उड़ा रहे हैं। कोई जिहादी तोप चलाता है,तो कोई अपने साथियों की करतूतों का वीडियो बनाता है। इसी वीडियो को बाद में इन्टरनेट पर डाला जाता है। संयुक्त राष्ट्र संघ की एक रपट के अनुसार सिर्फ जून महीने में इराक में जिहादियों ने 2,417 लोगों की हत्या की है।
अब इन जिहादियों ने बगदादी को अपना खलीफा घोषित कर दिया है। खलीफा घोषित होते ही बगदादी ने इराक और सीरिया में अपने कब्जे वाले भूभाग को 'खलीफा का साम्राज्य' बनाने का प्रण लिया है। रमजान के पहले ही दिन बगदादी ने दुनियाभर के मुसलमानों का आह्वान किया है कि वे जिहाद के लिए इराक आएं। बगदादी ने अपनी जहरीली तकरीर में दुनियाभर के सुन्नी मुसलमानों को भड़काते हुए उन्हें हिजरे लड़ने के लिए तैयार होने को कहा है। उसे पता है कि रमजान चल रहा है इसलिए उसने इस मौके को भुनाने की पूरी कोशिश की है।
रमजान के महीने में एक मुसलमान इराक और सीरिया के शियाओं को मारने के लिए दुनियाभर के मुसलमानों का आह्वान कर रहा है और अजीब बात यह है कि इस्लामी जगत में आश्चर्यजनक चुप्पी है। इराक और सीरिया के कुछ नेताओं को छोड़कर दुनिया का कोई भी मुस्लिम राजनेता या मजहबी नेता बगदादी और उसके साथी जिहादियों की निन्दा तक नहीं कर रहा है। वे लोग भी चुप हैं,जो इस्रायल द्वारा हमास के किसी आतंकवादी के मारे जाने पर या अमरीका द्वारा किसी आतंकवादी को सजा देने पर कहते हैं, 'इस्लाम खतरे में है। दुनिया के मुसलमानो एकजुट हो जाओ।' क्या इनकी नजर में जो लोग इराक और सीरिया में जिहादियों के हाथों मारे जा रहे हैं वे मुसलमान नहीं हैं?
अब ईरान और अमरीका साथ आए
अपने इतिहास के सबसे कठिन दौर से गुजर रहे इराक को अमरीका से मदद की बड़ी उम्मीद थी,लेकिन न जाने क्यों अमरीका ने शुरू में इराक की खुले मन से मदद नहीं की। अपने सैनिकों की कुछ टुकडि़यों को इराक भेजते हुए कहा कि ये सैनिक इराकी सैनिकों को सलाह देंगे। इसके बाद इराक सरकार ने रूस से कई लड़ाकू विमान खरीदे। वही लड़ाकू विमान जिहादियों पर कहर बरपा रहे हैं,लेकिन जिहादियों को स्थानीय सुन्नी समुदाय का समर्थन मिलने से लड़ाई थोड़ी कठिन हो गई है। जिहादी सुन्नी आबादी वाले क्षेत्रों में पनाह लेते रहे हैं। अब समाचार यह है कि इराक मामले पर ईरान और अमरीका साथ आए हैं।
अपनों को वापस लाने में जुटा है भारत
इराक में फंसे भारतीयों को स्वदेश वापस लाने में भारत सरकार हर वह कदम उठा रही है,जो संभव है। पिछले दिनों विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने नई दिल्ली में खाड़ी देशों के राजदूतों के साथ बैठक की और उनसे भारतीयों को इराक से निकालने में सहयोग मांगा।इसके बाद इराक के नजफ, कर्बला, बसरा, बगदाद जैसे शहरों में भारतीय बचाव दल के लोग भारतीयों से मिलकर उनकी घरवापसी के रास्ते तलाश रहे हैं। सबसे बड़ी समस्या यह आ रही है कि भारतीयों के पास जरूरी कागजात नहीं हैं। इस समाचार के लिखे जाने तक बचाव दल के सदस्यों ने 530 भारतीय नागरिकों को भारत वापस लाने का इंतजाम कर लिया है।
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