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पूर्व अमरीकी खुफिया अधिकारी और इस समय रूस की शरण में रह रहे एडवर्ड स्नोडेन के हवाले से वाशिंगटन पोस्ट (30 जून ) में प्रकाशित एक समाचार के अनुसार 2010 में एक अमरीकी अदालत ने अमरीका की गुप्तचर संस्था राष्ट्रीय सुरक्षा एजेंसी (एन.एस.ए.) को भाजपा पर निगरानी करने को कहा था। भाजपा के साथ पाकिस्तान की 'पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी', लेबनान की 'अमल पाटी', वेनेजुएला की 'बोलिवेरियन कांटिनेंटल को-ऑडिनेटर ऑफ वेनेजुएला' और मिस्र की 'मुस्लिम ब्रदरहुड' और 'इजिप्शियन नेशनल सालवेशन फ्रंट' भी शामिल है। इसके साथ ही यह भी कहा गया है कि अदालत ने उस एजेंसी को 193 देशों की सरकारों पर भी निगरानी रखने की अनुमति दी थी। इसमें भारत भी शामिल है। हालांकि जैसे ही यह खबर फैली भारत सरकार ने भारत स्थित अमरीकी दूतावास के एक वरिष्ठ अधिकारी को बुलाया और कहा कि अमरीका से जो समाचार आ रहा है,वह चिन्ता बढ़ाने वाला है। भारत ने यह भी कहा कि अमरीका यह भी सुनिश्चित करे कि आगे ऐसी कोई बात न हो। लोग कह रहे हैं कि अमरीकी समझ भी अजीब है। मुस्लिम ब्रदरहुड मिस्र में हिंसा के जरिए सत्ता हथियाना चाहती है, लेकिन भाजपा उस समय दुनिया के सबसे बड़े लोकतांत्रिक देश भारत की दूसरी सबसे बड़ी राजनीतिक पार्टी थी। इसके बावजूद किस आधार पर अमरीका ने भाजपा और मुस्लिम ब्रदरहुड को एक श्रेणी में रखा,यह समझ से परे है।
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