हिन्दी सम्मान से खिल उठा हृदय
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भाजपा सरकार के अधिकतर मंत्रियों का मातृभषा में शपथ लेना सुखद अनुभूति प्रदान करता है। यह सोच राष्ट्र सम्मान एवं भारतीयता के भाव के सम्मान बहाली की है। यह सरकारी स्कूल में पढ़ी उस आम जनता की भावनाओं का स्वर है जिसे प्रतिभा और निष्ठा के बावजूद सदैव द्वितीय श्रेणी का समझा जाता रहा है। ग्रामीण लोगों ,छात्रों और हिन्दी के साथ हृदय से जुडे़े उन लोगों की सरकार से यही आशा है कि कुछ ऐसा हो जिससे हिन्दी का सम्मान दिनोंदिन बढ़े। साथ ही हिन्दी के द्वारा रोजगार उपलब्ध हो। कुछ ऐसी नीति तथा नियम बनें जिससे उन्हंे इससे जुड़कर रोजगार मिले एवं जिससे अंग्रेजी की लत से छुटकारा मिले। देश के द्रोहियों ने अंग्रेजी को ऐसा बढ़ावा दिया और हिन्दी को ऐसा दबाया कि आज का युवा हिन्दी में बात करने में शर्म महसूस करने लगा है। वह हिन्दी बोलने में ऐसी शर्म महसूस करता है कि जैसे उसने कोई अपराध किया हो। आज जरूरत है कि हिन्दी का प्रयोग राष्ट्रीयता के लिए,अस्मिता के लिए अपने आप में गर्व और गौरवमय प्रतीक के रूप में हो। हिन्दी में बात करना एवं रोजगार मुहैया कराना मजबूरी के नजरिए से नहीं बल्कि देश के स्वाभिमान एवं उसकी मजबूती प्रदान करने की दिशा में एक ठोस कदम हो। देशी तकनीक, विज्ञान, शोध, खेती, व्यापार, आयुर्वेद, चिकित्सा,पत्रकारिता जैसे क्षेत्रों में हिन्दी का वर्चस्व बखूबी लहराया जा सकता है। नई सरकार से आशा है कि वह हिन्दी को उसका खोया सम्मान वापस दिलाएगी ।
-जमालपुरकर गंगाधर
नीलकंठ नगर,
हैदराबाद (तेलंगाना)
मंत्रालय में सब तरफ, छिड़ा हुआ अभियान
कूड़े को बाहर करो, बाकी पर दो ध्यान।
बाकी पर दो ध्यान, धूल अच्छे से झाड़ो
जो भी है बेकार, जलाओ उसको फाड़ो।
कह 'प्रशांत' लेकिन जल्दी में भूल न जाना
नष्ट नहीं कर देना सब इतिहास पुराना॥
-प्रशांत
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