अपनी बात :अ'सरकारी संगठन कितने असरकारी!
December 5, 2023
  • Circulation
  • Advertise
  • Careers
  • About Us
  • Contact Us
Panchjanya
  • ‌
  • भारत
  • विश्व
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • आजादी का अमृत महोत्सव
  • बिजनेस
  • अधिक ⋮
    • राज्य
    • वेब स्टोरी
    • Vocal4Local
    • विश्लेषण
    • मत अभिमत
    • रक्षा
    • संस्कृति
    • विज्ञान और तकनीक
    • खेल
    • मनोरंजन
    • शिक्षा
    • साक्षात्कार
    • यात्रा
    • स्वास्थ्य
    • पुस्तकें
    • सोशल मीडिया
    • श्रद्धांजलि
    • संविधान
    • लव जिहाद
    • ऑटो
    • जीवनशैली
    • पर्यावरण
    • बोली में बुलेटिन
    • पॉडकास्ट
    • पत्रिका
    • जनजातीय नायक
SUBSCRIBE
No Result
View All Result
  • ‌
  • भारत
  • विश्व
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • आजादी का अमृत महोत्सव
  • बिजनेस
  • अधिक ⋮
    • राज्य
    • वेब स्टोरी
    • Vocal4Local
    • विश्लेषण
    • मत अभिमत
    • रक्षा
    • संस्कृति
    • विज्ञान और तकनीक
    • खेल
    • मनोरंजन
    • शिक्षा
    • साक्षात्कार
    • यात्रा
    • स्वास्थ्य
    • पुस्तकें
    • सोशल मीडिया
    • श्रद्धांजलि
    • संविधान
    • लव जिहाद
    • ऑटो
    • जीवनशैली
    • पर्यावरण
    • बोली में बुलेटिन
    • पॉडकास्ट
    • पत्रिका
    • जनजातीय नायक
No Result
View All Result
Panchjanya
  • होम
  • भारत
  • विश्व
  • सम्पादकीय
  • विश्लेषण
  • मत अभिमत
  • रक्षा
  • संस्कृति
  • संघ
  • पत्रिका
  • वेब स्टोरी
  • My States
  • Vocal4Local
होम Archive

अपनी बात :अ'सरकारी संगठन कितने असरकारी!

by
Jun 28, 2014, 12:00 am IST
in Archive
FacebookTwitterWhatsAppTelegramEmail

दिंनाक: 28 Jun 2014 14:09:03

इंटेलिजेंस ब्यूरो की एक ऐसी 'गुप्त रपट' के बाद, जिसके पन्ने मीडिया गलियारों में हर जगह फड़फड़ा रहे हैं, गैर सरकारी संगठनों (एनजीओ) की भूमिका एक बार फिर सवालों के घेरे में है। भारत की विकास योजनाओं को बाधित करते हुए एनजीओ के एकीकृत प्रयासों का जिक्र करती यह रपट महत्वपूर्ण है किंतु इसके साथ कुछ अंतर्विरोधी प्रश्न भी जुड़े हैं।

पहला सवाल उस रपट की सहज उपलब्धता है जिसके प्रत्येक पृष्ठ पर 'गोपनीय' लिखा है। प्रगतिशील–सेकुलर पत्रकारों के हाथों पर्चे की तरह धड़ाधड़ बंटती रपट और लगातार रिपोर्टिंग शंका पैदा करने वाली है। कुछ चुनिंदा पंक्तियों, व्यक्तियों और संस्थाओं के बार–बार नामोल्लेख से व्यापक विमर्श का यह विषय जिस तरह सरकार बनाम जनसरोकार की बहस के तौर पर उभारा जा रहा है उसे देखकर लगता है कि कहीं कुछ गड़बड़ है। कुछ लोग गैर सरकारी संगठनों की भूमिका पर साफ–सार्थक बहस से भागते हुए इस विषय को राजनैतिक मुद्दे की तरह भुनाने की कोशिश में हैं।

दूसरा प्रश्न इस रपट की तैयारी करने वाली सरकार का है। आज वामपंथी–एनजीओ इस रपट को आगे कर गिरोह की तरह लामबंद हो रहे हैं और उस नई सरकार को कोस रहे हैं जिसे कामकाज संभाले सिर्फ महीना भर ही हुआ है। ऐसे में रपट से सम्बद्ध विभाग की स्वायत्तता पर उंगली उठाए बगैर उन तत्कालीन शासकीय चिंताओं को समझना आवश्यक है जिनके चलते यह पूरी कवायद की गई। शासकों की चिंता में स्वहित, राष्ट्रहित और राजनीतिक षड्यंत्र के तत्व परखना इसलिए और भी जरूरी हो जाता है क्योंकि रपट के तैयार होने और जारी होने में जो वक्त लगा है उस बीच भारत की शासकीय सत्ता का ध्रुव परिवर्तित हो चुका है। ध्यान देने वाली बात है कि पूर्ववर्ती सरकार के खाते में गैरसरकारी संगठनों के प्रतिनिधियों को चुनी हुई सरकार के सिर पर बैठाने और राजनैतिक विरोधियों के शमन के लिए हर तरह के हथकंडे आजमाने की ख्याति दर्ज है।

तीसरा और सबसे महत्वपूर्ण सवाल इस रपट का अधूरापन है। यह खुफिया जांच करने वालों की उस नासमझी से जुड़ा प्रश्न है जिनके लिए बैंगन हो या बिजली, किसी भी चीज का विरोध सीधे–सीधे राष्ट्रद्रोह से प्रेरित है। विषमुक्त खेती, बीज बचाने की अलख और स्वदेशी ढंग–ढर्रे की पैरोकारी करने वाले जो लोग मोनसेंटो जैसे दैत्याकार विदेशी कंपनियों से जान झोंककर लड़ते आए हैं उन्हें विदेशी नीतिकारों के लिए माहौल बनाने वाले 'एनजीओ एजेंटों' के साथ खड़ा करना अन्याय है। साथ ही फोर्ड फाउंडेशन के पैसे के बूते भारतीय लोकतंत्र की नींव हिलाने का सपना पालते लोगों का जिक्र दब जाना, 'गुजरात और मानवाधिकार' की ढपली बजाते हुए देश में वैमनस्य का बीज बोने वालों की करतूतों का खुलासा ना होना भी देश के साथ अन्याय है। राष्ट्र की चिंताओं से जुड़ी कोई रपट सिर्फ विकास के सूचकांक का चक्कर लगाकर लौट आए और संस्कृति और समाज पर प्रहार करने वालों का उल्लेख ही ना हो यह बात कुछ हजम नहीं होती। वैसे इतना तय है कि मीडिया, सरकार और संगठनों में खलबली मचाती इस रपट ने एक व्यापक बहस की आवश्यकता जता दी है। जनसरोकारों की आड़ में राष्ट्रविरोध की जमीन तैयार करना नि:संदेह अक्षम्य काम है, लेकिन सिर्फ दूसरे पर चाबुक फटकारने से भी बात नहीं बनेगी। हर किसी को अपनी जिम्मेदारी स्वीकारनी होगी। स्वैच्छिक सेवा क्षेत्र का नियमन प्रबंधन देखने वाले सरकारी विभाग जो छोटे–छोटे कामों की पावती देते ही नहीं बाद में अनियमितताओं की सारी जिम्मेदारी किसी एनजीओ पर नहीं मढ़ सकते। इसी तरह हर काम में ईमानदारी की वकालत करने वाले एनजीओ आरटीआई जैसे कानूनों से भागते हुए भ्रष्टाचार से नहीं लड़ सकते।

दुनियाभर की बुराइयों के खिलाफ लड़ने का दम भरने वाले गैर सरकारी संगठनों को सबसे पहले दान में घपलेबाजी के बजबजाते कारोबार में सफाई करने की जरूरत है। साथ ही शासन को भी यह तय करना होगा कि सामाजिक चिंताओं से द्रवित होने वाले लोग जब काम करने के लिए निकलें तो उन्हें शासन द्वारा लांछित किए जाने का भय न हो। सबके लिए काम के नियम स्पष्ट हों, नियम पारदर्शी हों, जिम्मेदारी तय हो और राष्ट्रविरोधी तत्वों के पनपने की कोई गुंजाइश ही ना हो ऐसी सर्वसंगत व्यवस्था तैयार करना समय की मांग है।

बहरहाल, नीयत का सवाल बड़ी बात है, नीयत पर सवाल बुरी बात है। आज गैर सरकारी संगठनों को सोचना चाहिए कि ऐसी स्थिति आई ही क्यों जब उनकी नीयत पर सवाल उठने लगे। शक्तिशाली राष्ट्र के तौर पर कदम बढ़ाता भारत जिन्हें सिर्फ अपने डॉलर के चंदे की वजह से चुभता है इस रपट के बाद उनके लिए संकेत ठीक नहीं हैं। जिन्हें भारत से, भारतीयता से प्यार है उनके लिए सब अच्छा था और अच्छा ही है। अ'सरकारी संगठन इस देश से प्यार किए बगैर असरकारी नहीं हो सकते यह बात उन्हें गांठ बांध लेनी चाहिए।

ShareTweetSendShareSend

संबंधित समाचार

UP : शासन ने हलाल मामले की विवेचना एसटीएफ को सौंपा

UP News : यूपी में महिला संबंधी अपराध में सजा दिलाने की दर राष्ट्रीय औसत से 180 प्रतिशत अधिक

बरेली में मुस्लिम आमिर ने अरुण बनकर हिन्दू युवती को जाल में फंसा लिया और वीडियो बनाकर कई साल शोषण व ब्लैकमेलिंग करता रहा।

UP News : हिंदू लड़की से दरिंदगी, शोएब ने 6 माह तक बंधक बनाकर रखा, जबरन कन्वर्जन और गौ मांस खिलाया, लगातार करता रहा रेप

Assembly Elections 2023 : तीन राज्यों में हार से बौखलाए कांग्रेसी, शुरू की उत्तर और दक्षिण के विभाजन की राजनीति

Assembly Elections 2023 : तीन राज्यों में हार से बौखलाए कांग्रेसी, शुरू की उत्तर और दक्षिण के विभाजन की राजनीति

MP Senthil Kumar statement : DMK सांसद सेंथिल कुमार का बेहद शर्मनाक बयान, हिंदी भाषी राज्यों को बताया गौमूत्र राज्य

MP Senthil Kumar statement : DMK सांसद सेंथिल कुमार का बेहद शर्मनाक बयान, हिंदी भाषी राज्यों को बताया गौमूत्र राज्य

Sam Bahadur : सैम बहादुर के बहाने जनरल मानेकशॉ की याद

Sam Bahadur : सैम बहादुर के बहाने जनरल मानेकशॉ की याद

जामिया और एएमयू के सभी स्नातक पाठ्यक्रमों में सीयूईटी-यूजी के माध्यम से ही हो प्रवेश : ABVP

छात्र निर्माण से राष्ट्र निर्माण का ध्येय यात्री है अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद

टिप्पणियाँ

यहां/नीचे/दिए गए स्थान पर पोस्ट की गई टिप्पणियां पाञ्चजन्य की ओर से नहीं हैं। टिप्पणी पोस्ट करने वाला व्यक्ति पूरी तरह से इसकी जिम्मेदारी के स्वामित्व में होगा। केंद्र सरकार के आईटी नियमों के मुताबिक, किसी व्यक्ति, धर्म, समुदाय या राष्ट्र के खिलाफ किया गया अश्लील या आपत्तिजनक बयान एक दंडनीय अपराध है। इस तरह की गतिविधियों में शामिल लोगों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी।

ताज़ा समाचार

UP : शासन ने हलाल मामले की विवेचना एसटीएफ को सौंपा

UP News : यूपी में महिला संबंधी अपराध में सजा दिलाने की दर राष्ट्रीय औसत से 180 प्रतिशत अधिक

बरेली में मुस्लिम आमिर ने अरुण बनकर हिन्दू युवती को जाल में फंसा लिया और वीडियो बनाकर कई साल शोषण व ब्लैकमेलिंग करता रहा।

UP News : हिंदू लड़की से दरिंदगी, शोएब ने 6 माह तक बंधक बनाकर रखा, जबरन कन्वर्जन और गौ मांस खिलाया, लगातार करता रहा रेप

Assembly Elections 2023 : तीन राज्यों में हार से बौखलाए कांग्रेसी, शुरू की उत्तर और दक्षिण के विभाजन की राजनीति

Assembly Elections 2023 : तीन राज्यों में हार से बौखलाए कांग्रेसी, शुरू की उत्तर और दक्षिण के विभाजन की राजनीति

MP Senthil Kumar statement : DMK सांसद सेंथिल कुमार का बेहद शर्मनाक बयान, हिंदी भाषी राज्यों को बताया गौमूत्र राज्य

MP Senthil Kumar statement : DMK सांसद सेंथिल कुमार का बेहद शर्मनाक बयान, हिंदी भाषी राज्यों को बताया गौमूत्र राज्य

Sam Bahadur : सैम बहादुर के बहाने जनरल मानेकशॉ की याद

Sam Bahadur : सैम बहादुर के बहाने जनरल मानेकशॉ की याद

जामिया और एएमयू के सभी स्नातक पाठ्यक्रमों में सीयूईटी-यूजी के माध्यम से ही हो प्रवेश : ABVP

छात्र निर्माण से राष्ट्र निर्माण का ध्येय यात्री है अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद

Exit Poll : लगे तो तीर, नहीं तो तुक्का

Exit Poll : लगे तो तीर, नहीं तो तुक्का

उत्तराखंड राज्य के मदरसों को लेकर सीएम धामी ने किया बड़ा फैसला

UP News : मान्यता प्राप्त मदरसों की जांच कराएगी योगी सरकार, पहले चरण में 560 की होगी जांच

अब कनाडा कोई न जाना चाहता पढ़ने, भारत के छात्रों का हुआ उस देश से मोहभंग

अब कनाडा कोई न जाना चाहता पढ़ने, भारत के छात्रों का हुआ उस देश से मोहभंग

Uttrakhand News : हरिद्वार में है पौराणिक सती कुंड, जिसकी सुध लेने जा रही है सरकार

Uttrakhand News : हरिद्वार में है पौराणिक सती कुंड, जिसकी सुध लेने जा रही है सरकार

  • Privacy
  • Terms
  • Cookie Policy
  • Refund and Cancellation
  • Delivery and Shipping

© Bharat Prakashan (Delhi) Limited.
Tech-enabled by Ananthapuri Technologies

No Result
View All Result
  • होम
  • भारत
  • विश्व
  • सम्पादकीय
  • विश्लेषण
  • मत अभिमत
  • संघ
  • राज्य
  • रक्षा
  • संस्कृति
  • आजादी का अमृत महोत्सव
  • बिजनेस
  • विज्ञान और तकनीक
  • खेल
  • मनोरंजन
  • शिक्षा
  • साक्षात्कार
  • यात्रा
  • स्वास्थ्य
  • जीवनशैली
  • पुस्तकें
  • सोशल मीडिया
  • संविधान
  • पर्यावरण
  • ऑटो
  • लव जिहाद
  • श्रद्धांजलि
  • बोली में बुलेटिन
  • Web Stories
  • पॉडकास्ट
  • Vocal4Local
  • पत्रिका
  • About Us
  • Contact Us
  • Careers @ BPDL
  • प्रसार विभाग – Circulation
  • Advertise
  • Privacy Policy

© Bharat Prakashan (Delhi) Limited.
Tech-enabled by Ananthapuri Technologies