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गुजरात दंगा मामले में खुद को सेक्यूलरिज्म की सबसे बड़ी पैरोकार के रूप में साबित करने वाली 'सेंटर फॉर जस्टिस एंड पीस'(सीजेपी) एनजीओ चलाने वाली तीस्ता सीतलवाड़ लगातार विदेशों के इशारे पर काम कर रही है। तीस्ता गुजरात की चुनी हुई सरकार को अस्थिर करने और गिराने में वर्ष 2002 से ही जुटी रही है। तीस्ता सीतलवाड़ के विदेशी कनेक्शन का खुलासा खुद उनके पूर्व सहयोगी रहे रईस खान पठान ने अदालत में जमा अपने एक हलफनामे में किया था। रईस खान के मुताबिक तीस्ता के पास विदेशों से हवाला के जरिए जमकर पैसा आ रहा है।
गुजरात दंगे से पहले जनवरी 2001 से दिसंबर 2002 के बीच तीस्ता सीतलवाड़ व उसके पति जावेद आनंद के यूनियन बैंक ऑफ इंडिया में खुले बचत खाते में कोई भी रकम नहीं थी, लेकिन गुजरात दंगे के बाद न केवल उन्होंने कई बैंकों में खाते खोल लिए, बल्कि करोड़ों रुपए की बारिश भी उन पर होने लगी! जिस गुलबर्ग सोसायटी केस में उसने दिवंगत एहसान जाफरी की पत्नी जाकिया जाफरी के साथ मिलकर घटना के चार साल बाद नरेंद्र मोदी को मुख्य अभियुक्त बनाया था, उस सोसायटी के पीडि़तों ने शिकायत की थी कि दंगा पीडि़तों को मदद करने के नाम पर तीस्ता देश-विदेश के दानकर्ताओं से करोड़ों रुपए वसूल तो कर रही है, लेकिन हमें फूटी कौड़ी भी नसीब नहीं हुई है!
तीस्ता के स्टेट बैंक ऑफ इंडिया के बचत खाता नंबर- 369102010003883 में वर्ष 2002 से मई 2013 के बीच डेढ़ करोड़ रुपए जमा हुए हैं। इसी दौरान उसके पति जावेद के बचत खाते में भी 92 लाख 21 हजार रुपए जमा हुए। तीस्ता-जावेद दंपति का आईडीबीआई बैंक में भी बचत खाता है, जिसमें साल 2005 -13 के बीच करीब 98 लाख रुपए जमा हुए हैं। इसी दौरान उसकी बेटी तमारा के बचत खाते में भी अलग-अलग जगहों से 3 लाख 52 हजार रुपए जमा हुए। दंगे के बाद तीस्ता के आईडीबीआई व यूनियन बैंक खाते में 2 करोड़ 11 लाख एवं 1 करोड़ 28 लाख रुपए जमा हुए हैं। तीस्ता के पूर्व सहयोगी रईस खान पठान के मुताबिक, दंगा पीडि़तों की मदद के लिए आए इस दान के धन को तीस्ता व उसके पति ने फिक्स्ड डिपोजिट, मार्केट शेयर और म्युच्युअल फंड में निवेश कर खूब मुनाफा कमाया है।
तीस्ता ने दंगा पीडि़तों की मदद के लिए 'सबरंग ट्रस्ट' और 'सिटीजन फॉर जस्टिस एंड पीस' नामक एनजीओ बना रखा है। इसके अलावा तीस्ता ने 'सबरंग कम्युनिकेशन' नाम से एक फर्म भी बनाया हुआ है। अप्रैल 2007 से 2013 के बीच सबरंग ट्रस्ट के फेरा अकाउंट नंबर- 369102010802885 में एक करोड़ 38 लाख रुपए विदेशी चंदे से आया। इन रुपयों को दंगा पीडि़तों में बांटने या उनकी मदद में लगाने की जगह तीस्ता व उसके पति जावेद ने करीब 40 लाख रुपए अपने बचत खाते में हस्तांतरित कर लिया और शराब, सेंट आदि सुविधाओं की खरीद में इसका निजी उपयोग किया। इसके अलावा सबरंग कम्युनिकेशन में भी उसने इसी खाते से 33 लाख रुपए हस्तांतरित किए। इसके अलावा तीस्ता के एनजीओ 'सिटीजन फॉर जस्टिस एंड पीस' को दान में 96 लाख रुपए मिले, जिसमें से 55 लाख रुपए जावेद ने अपने बचत खाते में हस्तांतरित कर लिए।
तीस्ता फर्जीवाड़ा करने से यहीं नहीं रुकी, बल्कि गुलबर्ग सोसायटी में मारे गए लोगों की याद में एक स्मारक बनाने के नाम पर उसने पूरी दुनिया से करीब डेढ़ करोड़ रुपए इकटठा किया, लेकिन 2007 में उसने स्मारक बनाने की योजना स्थगित कर दी और यह रुपया भी दंगा पीडि़तों की जगह उसके व उसके परिवार के सदस्यों के काम आ गया। तीस्ता के सबरंग ट्रस्ट में केवल तीन ट्रस्टी हैं- तीस्ता, उसका पति जावेद आनंद व उसकी बहन एमिली सीतलवाड़। इसके अलावा उसने अपनी बेटी को भी इस ट्रस्ट में काम करते हुए दर्शा रखा है। यह पूरा परिवार दान में मिले धन की हेराफेरी के अलावा ट्रस्ट से मोटी तनख्वाह भी लेता है।
बैंक खाते में विदेशों से आने वाली रकम ही नहीं, बल्कि तीस्ता को मिले पुरस्कार और अन्य दस्तावेज भी उसके विदेशी कनेक्शन और वहां से मिल रही मोटी रकम को दर्शाते हैं। अमरीका के मानवाधिकार उल्लंघन की पोल और दुनिया भर के राजनीतिज्ञों व दौलतमंद व्यक्तियों की पोल खोलने वाली वेबसाइट 'विकीलिक्स' के मुताबिक, तीस्ता सीतलवाड़ और अमरीकी सरकार लगातार एक-दूसरे के संपर्क में हैं। तीस्ता के अमरीकी कनेक्शन का दूसरा सबूत अमरीकी कंपनी व दुनिया की प्रमुख हथियार निर्माता कंपनी 'फोर्ड' की सामाजिक इकाई फोर्ड फाउंडेशन द्वारा 2 लाख 50 हजार अमरीकी डॉलर के फंड का मिलना भी है। यह राशि तीस्ता के 'सबरंग ट्रस्ट' को मिली है। इसके अलावा तीस्ता को नीदरलैंड की 'हिवोस' संस्था से भी जबरदस्त फंडिंग का सबूत सामने आ चुका है। यही नहीं, अरब देशों से उनकी फंडिंग का सबसे बड़ा सबूत कुवैत के 'फेडरेशन ऑफ इंडियन मुस्लिम एसोसिएशन' द्वारा उन्हें सम्मानित किया जाना भी है। तीस्ता के एनजीओ पर फेरा के उल्लंघन का मामला भी सामने आ चुका है। आज गुलबर्ग सोसायटी दंगा पीडि़तों की स्थिति जस की तस है। गुजरात दंगे से पहले एक मद खाली बैंक खाते वाली तीस्ता व उसके पति जावेद दंगे के बाद करोड़पति हो गए हैं!
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