पुस्तक समीक्षा
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भारत एक परमाणु अस्त्र सम्पन्न राष्ट्र है। यह ऐसा सत्य है, जिसे झुठलाया नहीं जा सकता। यह पद हमने किसी से न तो मांगा है और न ही किसी दूसरे ने हमें प्रदान किया है। यह तो राष्ट्र को हमारे वैज्ञानिकों तथा इंजीनियरों की देन है- ये शब्द भारत के यशस्वी पूर्व प्रधानमंत्री श्री अटल बिहारी वाजपेयी के हैं, जिनके अहम योगदान और कुशल नीति के चलते
भारत को विश्व में यह मान मिला। उनकी दूरदर्शिता और कुशलनीति की बदौलत भारत ने 11 मई 1998 को पोखरण में तीन नाभिकीय परीक्षण किए। इन परीक्षणों ने देश को ही नहीं सम्पूर्ण विश्व को स्तम्भित कर दिया। इन परीक्षणों से साबित हो गया कि भारत भी किसी से पीछे नहीं है।
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'नाभिकीय अस्त्र सम्पन्न भारत' लेखक डॉ. ओमप्रकाश पहूजा की ऐसी ही कृति है, जिसमें उन्होंने नाभिकीय विज्ञान के सिद्धान्त,नाभिकीय विस्फोट को जन्म देने वाली श्रृंखला की प्रतिक्रिया की खोज की रोचक कथा,नाभिकीय बमों के विभिन्न प्रारूप व बम निर्माण के क्षेत्र में भारत की सफलतायें सहित इस क्षेत्र से जुड़ी अनेक चीजों का वर्णन किया है। पहले तथा दूसरे अध्याय में ह्यनाभिकीय अस्त्र विज्ञान व नाभिकीय बम : विनाशकारी अस्त्रह्ण में परमाणु बम के इतिहास से लेकर उसकी लागत व उसके परिवेश के विषय में विस्तार से बताया है। अध्याय ह्यभारत तथा बमह्ण में उन वैज्ञानिकों के नामों का जिक्र है,जिनके अथक प्रयास व समर्पण से भारत को यह गौरव हासिल हुआ। वैज्ञानिक राजगोपाल चिदम्बरम व डॉ. ए.पी.जे अब्दुल कलाम उन गिने चुने लोगों में से एक हैं,जिनके अथक परिश्रम व समर्पण से आज भारत पूरे विश्व में परमाणु अस्त्र सम्पन्न देशों में गिना जाता है।
1998 के ह्यशक्तिह्ण अभियान के दिनों में राजगोपाल चिदम्बरम ने सब कुछ भूलकर अभियान को सफल बनाया। राजगोपाल को पोखरण-द्वितीय का जनक भी कहा जाता है। साथ ही डॉ. कलाम ने अनेक प्रक्षेपास्त्रों के निर्माण से लेकर उस दल का नेतृत्व तक किया। पुस्तक में इस बात का भी जिक्र है, जिस समय भारत ने नाभिकीय विस्फोट किया, उस समय अनेक देशों ने भारत की इस अभूतपूर्व सफलता पर सिर्फ आखें ही नहीं तरेरीं बल्कि आक्रोश और बुरी टिप्पणियां तक कीं। जिनमें सबसे ज्यादा बुरी और भद्दी टिप्पणियां अमरीकी समाचार पत्रों ने प्रकाशित की थीं।
अमरीका ने इस बात का विरोध ही किया बल्कि असंसदीय भाषा तक का प्रयोग किया था। अमरीका के पत्र-पत्रिकाओं में केवल बदले के भाव के लेख छपे थे। भारत की इस विजय से अनेक देशों के हृदय पर सांप लोट गया था। भारत के नाभिकीय अस्त्र सम्पन्न देश बनने से वह आन्तरिक व वाह्य दोनों रूपों से मजबूत हुआ है। विश्व के अनेक परमाणु सम्पन्न देशों की भांति उसका भी दबदबा बढ़ा है। भारत ने इस प्रकार की शक्ति अर्जित कर विश्व को बता दिया कि वह भी किसी से पीछे नहीं है। कुल मिलाकर पुस्तक में परमाणु के संबंध में प्रारम्भिक जानकारी निहित है। यह पुस्तक युवाओं के ज्ञानार्जन के लिए उपयोगी सिद्ध होगी। -अश्वनी कुमार मिस्र
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