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-अजय मित्तल-
इन चुनावों में अनुसूचित जनजाति समुदाय भाजपा को अभूतपूर्व समर्थन दे रहा है। इस हकीकत ने मायावती की नींद उड़ा दी है। वे घबरा गयी हैं। घबराई मायावती ने यह दुष्प्रचार शुरू किया है कि भाजपा सत्ता में आयी तो आरक्षण समाप्त कर देगी। पर पिछली राजग सरकार का ट्रैक-रिकॉर्ड इस मामले में बेहद आश्वस्तकारी है। यह श्री अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व वाली सरकार ही थी, जिसने पचास साल में उपयुक्त अनुसूचित व्यक्ति न मिलने पर नियुक्तियां न होने के कारण जो बैकलॉग इकट्ठा हो गया था, वह साफ किया। यही नहीं राजग सरकार ने आगे प्रोन्नति में अनुसूचित समुदाय के आरक्षण की राह बनायी। इन सब के लिए वाजपेयी सरकार ने संविधान में तीन संशोधन किये थे। 81 व 85वां संशोधन, जिनके द्वारा अनुच्छेद 16 में बदलाव लाया गया तथा 82वां संशोधन, जिससे अनुच्छेद 335 को सुधारा गया। साथ ही राजग सरकार ने ही अनुसूचित जाति व जनजाति की चिन्ता करते हुए इस वर्ग की 69000 विशेष भर्तियां की थीं। राजग सरकार की देन थी कि उसने अनुसूचित जनजाति समुदाय की प्रोन्नति में हमेशा के लिए नयी संवैधानिक व्यवस्था द्वारा आरक्षण तय कर दिया। अभिप्राय यह है कि जहां तक अनुसूचित समुदायों के आरक्षण का सवाल है, भाजपा अन्य सभी दलों की अपेक्षा ज्यादा प्रतिबद्ध दिखाई देती है और इसीलिए इस आरक्षण की परिधि में मतान्तरितों को शामिल कर वंचित समाज के अवसर कम करना उसे मंजूर नहीं है। इस दिशा में कांग्रेस व सपा जैसे दलों द्वारा की जा रही पहल का भाजपा ने डटकर विरोध किया है। पर बहन मायावती इस बिन्दु पर चुप्पी साधे रखकर स्वयं को संदिग्ध बना रही हैं।
भाजपा ने हमेशा किया बाबा साहब का सम्मान
बाबा साहब अंबेडकर से जुड़े चार स्मारक देश में हैं और चारों में भाजपा का उल्लेखनीय योगदान रहा है। बाबा साहब का जन्मस्थान महू (निकट इंदौर, मध्य प्रदेश) में है। यह एक सैनिक छावनी है, जहां वर्ष 1891 में उनके पिता श्रीराम सकपाल सपरिवार रहते थे, जब वे सेना में कार्यरत थे। यहीं पर बालक भीमराव ने माता भीमाबाई के घर जन्म लिया। उक्त मकान को राष्ट्रीय स्मारक बनाने की योजना का शिलान्यास मध्य प्रदेश के भाजपाई मुख्यमंत्री श्री सुन्दरलाल पटवा ने वर्ष 1991 में किया। पर यह कार्य बीच में दिग्विजय सिंह की कांग्रेस सरकार ने अधर में छोड़ दिया। वर्ष 2002 में भाजपा सरकार की वापसी के बाद श्री शिवराज सिंह चौहान ने यहां भव्य भीम जन्मभूमि स्मारक बनाया। इसका उद्घाटन पूर्व उपप्रधानमंत्री श्री लालकृष्ण आडवाणी द्वारा 12 अप्रैल 2008 को किया गया। भाजपा सरकार ने महू का नामकरण भी अंबेडकर नगर किया है।14 अक्तूबर 1956 को बाबा साहब ने बौद्धमत स्वीकार किया था। नागपुर की उस दीक्षाभूमि पर भी वाजपेयी सरकार ने भव्य स्मारक बनाया है। यहां एशिया का सबसे बड़ा स्तूप निर्मित किया गया है। इसका उद्घाटन 18 दिसम्बर 2001 को तत्कालीन राष्ट्रपति के.आर. नारायणन ने किया था।6 दिसम्बर 1956 को दिल्ली में 26, अलीपुर रोड पर बाबा साहब ने शरीर त्यागा था। यही वह कोठी है, जहां रहते हुए उन्होंने संविधान रचना की और बहुत सी पुस्तकें लिखीं। अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार ने इस कोठी को वर्ष 2003 में राष्ट्रीय स्मारक बनाने के लिए अधिगृहीत किया। 7 दिसम्बर 1956 को दादर मुम्बई में बाबा साहब का अंतिम संस्कार किया गया था। वह चैत्यभूमि विश्वभर के लोगों को आकृष्ट करती है। इसे भी भाजपा-शिवसेना सरकार ने भव्यरूप दिया। 6 दिसम्बर को बाबा साहब के महापरिनिर्वाण दिवस पर दादर की चैत्यभूमि में उस महामानव को श्रद्धांजलि भेंट करने को भारी भीड़ उमड़ती है। इसी स्थान पर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के कार्यकर्ताओं द्वारा चलाया जा रहा सेवाभारती मंच लाखों लोगों को नाममात्र के मूल्य पर भेाजन, शुद्ध पेयजल व अल्पाहार उपलब्ध कराता है। वर्षों से यह क्रम चल रहा है। माई साहब (बाबा साहब की धर्मपत्नी माई सविता बाई अम्बेडकर) ने भी यहां आकर इस सेवाकार्य को अपना आशीर्वाद प्रदान किया था। ल्ल
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