बच नहीं सकेंगे भ्रष्टाचारी बाबू
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यूपीए सरकार की दलीलें खारिज
नौकरशाहों के खिलाफ जांच के लिए नहीं लेनी होगी सरकार से पूर्व अनुमति
भ्रष्टाचार के आरोपों से घिरे अधिकारियों का नहीं रहा रक्षा कवच
सर्वोच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश आर. एम. लोढ़ा की अध्यक्षता वाली पांच सदस्यीय संविधान पीठ ने दिया फैसला
सर्वोच्च न्यायालय ने गत 6 मई को सरकार की तमाम बेबुनियाद दलीलों को दरकिनार करते हुए एक अहम फैसला सुनाते हुए कहा कि अब सीबीआई को भ्रष्टाचार के आरोपों से घिरे संयुक्त सचिव व उससे भी वरिष्ठ अधिकारियों के खिलाफ जांच शुरू करने से पूर्व कानूनी अनुमति लेने की कोई भी आवश्यकता नहीं है। इस फैसले से पूर्व जहां सीबीआई सरकार की पूर्व अनुमति के बिना संयुक्त सचिव या उससे वरिष्ठ किसी भी अधिकारी के खिलाफ जांच नहीं कर सकती थी, लेकिन अब यह सम्भव होगा।
सर्वोच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश आर. एम. लोढ़ा की अध्यक्षता वाली पांच सदस्यीय संविधान पीठ ने साफ किया कि भ्रष्टाचार के मामले में बड़े-छोटे अधिकारियों के बीच फर्क करना संविधान में अनुच्छेद 14 के तहत दिए गए समानता के मौलिक अधिकार का उल्लंघन है। सर्वोच्च न्यायालय ने दिल्ली पुलिस की विशेष स्थापना कानून की धारा 6ए जिसमें संयुक्त सचिव एवं उससे वरिष्ठ अधिकारियों को भ्रष्टाचार के मामलों में संरक्षण दिया गया है कि धारा को असंवैधानिक करार देते हुए कहा कि इसमें भ्रष्ट व्यक्ति को संरक्षण देने की प्रवृत्ति दिखाई देती है। धारा 6ए के तहत पहले अनुमति लेने का जो प्रावधान है वह अप्रत्यक्ष रूप से प्रारम्भिक जांच में बाधा डालता है और जब सीबीआई को प्रारम्भिक जांच ही नहीं करने दी जाएगी तो जांच आगे कैसे बढ़ेगी। न्यायालय ने कहा कि भ्रष्टाचार निवारण कानून-1988 के तहत अपराध की जांच में अधिकारियों का कोई वर्गीकरण नहीं किया जा सकता है। साथ ही भ्रष्ट नौकरशाह चाहे उच्च पद पर हों या फिर निचले स्तर पर,सभी एक समान हैं और उनके साथ एक समान व्यवहार करना होगा।
संविधान पीठ ने सरकार की दलीलों को खारिज कर दिया, जिसमें उसने कहा था कि इस धारा का उद्देश्य किसी भी भ्रष्ट नौकरशाह को जांच से पहले समुचित संरक्षण सुनिश्चित करना है क्योंकि किसी भी वरिष्ठ नौकरशाह के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज होने से संबंधित विभाग व उसकी स्वयं की प्रतिष्ठा को ठेस पहुंचती है। इसी कारण जांच से पहले शिकायत पर विचार करना जरूरी समझा गया था। बहरहाल सर्वोच्च न्यायालय के इस ऐतिहासिक निर्णय के बाद नौकरशाहों के भ्रष्टाचार की जांच में सीबीआई को काफी मदद मिलेगी।प्रतिनिधि
पाक सेना प्रमुख जनरल रहील शरीफ ने कश्मीर को अपने देश के ह्यगले की नसह्ण बताते हुए इस समस्या का हल कश्मीरियों की इच्छा के अनुरूप किए जाने का राग छेड़ा है। साथ ही शांति बनाए रखने के लिए संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के प्रस्तावों को ध्यान में रखने की वकालत की है। इस पर कड़ी आपत्ति जताते हुए भाजपा ने इस बयान को युद्धकारी बताते हुए पाक सरकार से स्पष्टीकरण देने की मांग की है। भाजपा नेता निर्मला सीतारमण ने कहा पाक सेना प्रमुख का बयान आपत्तिजनक है और वह दोनों देशों के रिश्तों के लिए अच्छा नहीं है। उन्होंने कहा कि पाक अधिकृत कश्मीर सहित जम्मू-कश्मीर भारत का अभिन्न अंग है और इस सच्चाई को कोई नहीं बदल सकता है। यह पहली बार है कि जब जनरल शरीफ ने कश्मीर के बारे में कुछ बोला है। उन्होंने आगे कहा कि पाकिस्तानी सेना लोकतंत्र की मजबूती, संविधान की सर्वोच्चता और कानून के शासन में विश्वास रखती है। साथ ही सेना आतंकवाद से निपटने और शांति बहाली के हर प्रयास का समर्थन करती है। लेकिन पाक सेना प्रमुख का बयान कि कश्मीरियों की शहादत व्यर्थ नहीं जाएगी और यह कहना कि पाकिस्तान किसी भी आक्रमण का जवाब देने के लिए हर समय तैयार है, इससे एक नई बहस छिड़ गई है।प्रतिनिधि
शीर्ष परीक्षा की साख पर सवाल
अभी तक स्कूल-कॉलेजों में परीक्षार्थी नकल करने के लिए तरह-तरह के साधन अपनाते थे, लेकिन देश की शीर्ष प्रतियोगी सिविल सेवा परीक्षा में भी नकल करने वाले का पर्दाफाश हुआ है। सीबीआई ने यूपीएससी (संघ लोक सेवा आयोग) की सिफारिश पर की गई जांच में यह खुलासा किया है। इसमें मुख्य आरोपी दीपक मान दिल्ली पुलिस का पूर्व उप निरीक्षक है। यूपीएससी द्वारा आयोजित वर्ष 2013 की परीक्षा में नकल की शिकायत सीबीआई से की गई थी। शिकायत मिलने के बाद सीबीआई ने दीपक मान और उसकी महिला मित्र पर निगरानी रखनी शुरू कर दी। दीपक पहले दिल्ली पुलिस में था, लेकिन गलत तरीके से उसने आईएएस बनने का रास्ता तलाश लिया। इसके लिए उसने ब्लूटूथ की मदद से महिला मित्र के साथ मिलकर परीक्षा में नकल की। परीक्षा में ब्लूटूथ का इस्तेमाल करने के लिए उसने अपने बाल भी बढ़ा लिए थे जिनकी मदद से वह पकड़ा न जा सके। इसके लिए उसने कान और पेन में ब्लूटूथ लगाकर नकल की थी। इस दौरान यूपीएससी को उस पर कुछ संदेह हुआ था जिसके बाद से सीबीआई ने उस पर निगरानी शुरू कर दी थी। सीबीआई ने 1 मई को दिल्ली से दीपक को गिरफ्तार कर उससे पास से ब्लूटूथ उपकरण भी बरामद किया था।प्रतिनिधि
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