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16वीं लोकसभा चुनाव के छह चरण पूरे होने के बाद कांग्रेस मुसलमानों के लिए 4.5 फीसदी आरक्षण का पूरक घोषणापत्र लेकर आई है। तर्क दिया जा रहा है कि राहुल गांधी जब अलग-अलग समुदायों की राय ले रहे थे तब यह विचार आया था। लेकिन मामला अदालत में होने के कारण अब दलील दी जा रही है कि यह मांग जनता में से आई है। इसे पूर्व कांग्रेस ने अपनी वेबसाइट पर प्रस्तावित नीतियों और कार्यक्रमों के अंतर्गत संकेत किया कि पार्टी सरकार बनने की स्थिति में पिछड़े मुसलमानों को ओबीसी कोटे के तहत 4.5 फीसदी आरक्षण देने की दिशा में काम करेगी। विस्तृत कार्ययोजना में वादा किया गया है कि पार्टी सर्वोच्च न्यायालय में इस मामले की उचित पैरवी करेगी और यह सुनिश्चित करेगी कि इसे उचित कानून बनाकर लागू किया जाए।
'इसका कोई अर्थ नहीं है, चुनावों के दौरान ऐसे वादे होते रहते हैं और ऐसे में जबकि कई चरणों के चुनाव पहले ही पूरे हो चुके हैं। यह कभी भी क्रियान्वित नहीं हो सकता। कांग्रेस पार्टी जो कि चुनाव के समय इस छोटे से झुनझुने पर बहस छेड़ने और वोट पाने की सोच रही है, उसकी अब मुस्लिम समाज के बीच में शायद ही कुछ विश्वसनीयता बाकी रह गई हो। बल्कि चुनावों के समय में यह शुद्ध आचार संहिता के उल्लंघन का मामला है और चुनाव आयोग को संबंधित पक्ष पर ठोस कार्रवाई करनी चाहिए।'
-शाहिद सिद्दिकी ,
वरिष्ठ पत्रकार एवं संपादक नई दुनिया उर्दू साप्ताहिक
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