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ओडिशा उच्च न्यायालय द्वारा गायों की तस्करी को रोकने के लिए राज्य सरकार को कड़े निर्देश देने के बावजूद राज्य में गायों की तस्करी रुकने का नाम नहीं ले रही है, वहीं गो तस्करों ने अब सड़क मार्ग के साथ ही रेलवे का भी इस्तेमाल शुरू कर दिया है। हाल ही में सिकंदराबाद से हावड़ा जा रही ईस्ट-कोस्ट एक्सप्रेस ट्रेन से बजरंग दल के कार्यकर्ताओं द्वारा 27 गाय व बैलों को बचाने पर इसका खुलासा हुआ।
इन पशुओं को गोकशी के लिए सिकंदराबाद से हावड़ा ले जाया जा रहा था। तस्करी की इस घटना में संलिप्त तीन लोगों को गिरफ्तार किया गया है। गुप्त सूचना के आधार पर बजरंग दल के कार्यकर्ताओं ने गायों को कटक स्टेशन पर रुकी एक्सप्रेस ट्रेन के पार्सल डिब्बे में पाया। गायों की तस्करी ट्रेन से किए जाने की खबर फैलने के बाद कटक स्टेशन पर गो प्रेमियों की भीड़ उमड़ पड़ी। इस घटना से रेलवे अधिकारियों की भूमिका पर सवाल खड़े हो गए हैं ।
प्राप्त जानकारी के अनुसार 20 अप्रैल को बजरंग दल के कार्यकर्ताओं को गुप्त सूचना मिली कि सिकंदराबाद से हावड़ा जा रही ईस्ट-कोस्ट एक्सप्रेस ट्रेन के पार्सल यान में 27 गायों को हावड़ा तस्करी के लिए ले जाया जा रहा है। इस खबर के आधार पर नीलगिरि से विधायक प्रताप षडंगी तथा बजरंग दल के प्रांत गोरक्षा प्रमुख भूपेश नायक के साथ सैकड़ों कार्यकर्ता कटक स्टेशन पहुंचे और ईस्ट-कोस्ट एक्सप्रेस के पार्सल यान को खुलवाया। पार्सल यान में 27 गायों को देखने के बाद वहां तनाव बढ़ गया। कटक स्टेशन पर लोगों ने दो घंटे तक इस ट्रेन को रोके रखा। इस दौरान ट्रेन के सैकड़ों यात्री भी प्लेटफॉर्म पर उतरकर विरोध प्रदर्शन करने लगे। मौके की गंभीरता को भांपते हुए स्थानीय पुलिस, रेलवे पुलिस व रेल विभाग के अधिकारी स्टेशन पर पहुंचे और डिब्बे में लदी गायों को नीचे उतारा गया। रेलवे पुलिस ने बताया कि डिब्बे में लदी गायों की बुकिंग नहीं कराई गई थी। सवाल है कि क्या रेलवे कर्मचारियों की मिलीभगत से गो तस्करी हो रही थी? आखिर गाय डिब्बों तक कैसे पहंुचीं? पुलिस इस मामले में मौके से गिरफ्तार इकराम, यासीन और आस अहमद से पूछताछ कर रही है। ये तीनों उत्तर प्रदेश के निवासी बताये गये हैं। बताया जाता है कि ये ओडिशा व आंध्रप्रदेश से गायों की तस्करी कर पश्चिम बंगाल के बूचड़खानों में बेचते थे। बजरंग दल ने ओडिशा सरकार से गायों की तस्करी को तुरंत बंद कराने की मांग की है। फिलहाल इन गायों को चौद्वार नन्दगांव स्थित गोशाला में रखा गया है। सामान्य तौर पर किसी सामान या जीवों को रेल से ले जाने के लिए पहले रेलवे स्टेशन पर पार्सल विभाग के जरिए बुकिंग कराई जाती है।
रेल खुलने से पहले पार्सल विभाग के अधिकारी ट्रेन में तैनात गार्ड को भी बुकिंग की जानकारी देते हैं तथा सबकी मौजदूगी में डिब्बे का ताला बंद किया जाता है। किसी जीव के होने पर खिड़कियों को खुला रखा जाता है। लेकिन यहां ईस्ट-कोस्ट रेलवे में गायों को ले जाते समय नियमों को ताख पर रख दिया गया। लोगों को यह बात समझ में नहीं आ रही है कि इतनी संख्या में गायों को कैसे डिब्बे तक पहुंचाया गया और रेलवे के अधिकारियों को इसकी भनक क्यों नहीं लगी। इस प्रकरण के बाद से रेलवे के अधिकारियों की कार्यशैली पर भी प्रश्नचिन्ह लग गया है। ल्ल समन्वय नंद
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