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महान क्रांतिकारी वीर सावरकर का जन्म 28 मई, सन 1883 को नासिक जिले के भगूर नाम के गांव में हुआ था। उनके पिता श्री दामोदर एवं माता राधा बाई धार्मिक प्रवृत्ति और हिंदुत्ववादी विचारों के थे। इसका प्रभाव सावरकर के जीवन पर भी पड़ा। उनकी आयु महज नौ वर्ष थी जब हैजे से उनकी माता की मृत्यु हो गई। इसके बाद1899 में प्लेग से उनके पिता का देहांत हो गया था। इस कारण उनका प्रारंभिक जीवन काफी कठिनाई में बीता।
पढ़ा़ई के लिए बाल गंगाधर तिलक के अनुमोदन पर उन्हें श्यामजी कृष्ण वर्मा छात्रवृत्ति मिली। पढ़ा़ई के दौरान विनायक ने नवयुवकों को संगठित करके 'मित्र मेलों' का आयोजन किया तथा उनमें राष्ट्रीयता की भावना के साथ क्रांति की अलख जगाई।
पुणे के फर्ग्युसन कॉलेज में राष्ट्रभक्ति के ओजस्वी भाषण देकर युवाओं को क्रांति के लिए प्रेरित किया। वीर सावरकर पहले ऐसे स्नातक (ग्रेजुएट) थे जिनकी स्नातक की उपाधि (डिग्री) को स्वतंत्रता आंदोलन में भाग लेने के कारण अंग्रेज सरकार ने वापस ले लिया था।
वह एक दूरदर्शी राजनेता एवं दुनिया के अकेले ऐसे क्रांतिकारी थे जिन्हें दो-दो आजीवन कारावास की सजा मिली, सजा को पूरा किया और फिर से राष्ट्र जीवन में सक्रिय हो गए। इसके अलावा वे विश्व के पहले ऐसे लेखक थे जिनकी कृति ह्य1857ह्ण का प्रथम स्वतंत्रता संग्राम को दो-दो देशों ने प्रकाशन से पहले ही प्रतिबंधित कर दिया। विद्यार्थी जीवन में वे पहले ऐसे भारतीय थे जिन्होंने इंग्लैंड की राजशाही के प्रति वफादारी की शपथ लेने से मना कर दिया था।
राष्ट्रध्वज तिरगे के बीच में धर्म चक्र लगाने का सुझाव सर्वप्रथम वीर सावरकर ने दिया था, जिसे राष्ट्रपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद ने माना। उन्होंने ही सबसे पहले पूर्ण स्वतंत्रता को भारत के स्वतंत्रता आंदोलन का लक्ष्य घोषित किया। वे ऐसे प्रथम राजनैतिक बंदी थे जिन्हें फ्रांस की भूमि पर बंदी बनाने के कारण हेग के अंतरराष्ट्रीय न्यायालय में मामला पहुंचा। वह भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन के तेजस्वी सेनानी और प्रखर राष्ट्रवादी नेता थे। वे एक महान क्रांतिकारी, चिंतक, लेखक-कवि, ओजस्वी वक्ता भी थे।
वीर सावरकर दुनिया के ऐसे पहले कवि थे जिन्होंने अंदमान के एकांत कारावास में जेल की दीवारों पर कील और कोयले से कविताएं लिखीं और फिर उन्हें याद किया। इस प्रकार याद की हुई दस हजार पंक्तियों को उन्होंने जेल से छूटने के बाद पुन: लिखा। 26 फरवरी, 1966 को बम्बई में उन्होंने अपनी अंतिम सांस ली।
ल्ल प्रतिनिधि
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