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उत्तर प्रदेश में अभी 3 चरणों का ही मतदान निपटा है लेकिन विरोधियों के हौसले पस्त होने लगे हैं। चुनाव से पहले केन्द्र में तीसरे मोर्चे की सरकार बनने और खुद के प्रधानमंत्री बनने का ख्वाब देखने वाले सपा प्रमुख मुलायम सिंह यादव चुनावी समर के बीच रास्ते में ही लस्त-पस्त नजर आने लगे हैं।
पराजय के बोल खुद उनके मुंह से बाहर आने लगे हैं, अपनी दूसरी सीट पर नामांकन के लिए आजमगढ़ पहुंचे मुलायम ने लोगों से गिड़गिड़ाने वाले सुरों में कहा कि ह्यकिंग नहीं तो किंग मेकर ही बना दोह्ण जब वह यह कह रहे थे तो उनके चेहरे पर हार की छाया साफ दिख रही थी, मुलायम के बोलने के बाद पूरे उत्तर प्रदेष में अब किसी को यह समझना बाकी नहीं रह गया है कि वह हवा का रुख समझ चुके हैं। मुलायम को यह अहसास हो गया है कि जनता इस बार उनके किसी झांसे में नहीं आने वाली। इसलिए उन्होंने जनता के सामने गिड़गिड़ाना शुरू कर दिया है।
आजमगढ़ हो या उसके आस-पास का इलाका- यहां की जातियों का गणित मुलायम सिंह की जातिवादी और तुष्टीकरण की राजनीति के अनुकूल बैठता रहा है, उनकी तुष्टीकरण की चाल और मुसलमानों को बरगलाकर वोट लेने की साजिश कई मौकों पर मजबूती भी देती रही है। लेकिन इस बार देश-प्रदेश में चल रही मोदी की हवा के बाद उन्हें यह अहसास हो गया है कि पूर्वांचल ने भी मुलायम की जातिवाद और मुस्लिम तुष्टीकरण में उलझने के बजाय राष्ट्रवादियों और विकास की राजनीति को अपना समर्थन देने का संकल्प ले लिया है। इसीलिए मुलायम जैसे नेता अब जनता-जनार्दन के सामने गिड़गिड़ाकर लोगों की सहानुभूति हासिल करने की कोशिश कर रहे हैं जो फिलहाल सफल होती हुई नहीं दिखती।
वरिष्ठ लेखक व विचारक ह्रदय नारायण दीक्षित कहते हैं कि देश की जनता पहली बार सार्थक विषयों पर फैसला देने का संकल्प ले चुकी है इससे मुलायम जैसे अन्य जातिवादी व तुष्टीकरण की राजनीति करने वालों को परास्त होना ही है। इसलिए मुलायम अब रोने-धोने की राजनीति पर उतर आये हैं पर जनता अब इसमें फंसने वाली नहीं है। जनता-जनार्दन ने राष्ट्रवादी नेता व विकास के प्रति प्रतिबद्घ नरेन्द्र मोदी को देश की सेवा करने का अवसर प्रदान करने का संकल्प ले लिया है। ल्ल
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