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लोकसभा चुनाव में महाराष्ट्र में सत्ताधारी कांग्रेस और राकांपा के गठबंधन ने लोकसभा चुनाव में भ्रष्ट और दागी उम्मीदवारों को टिकट देकर स्वयं पर सवालिया निशान खड़ा कर दिया है। ऐसे में दागी उम्मीदवारों को लेकर दोनों ही दलों की खासी किरकिरी हो रही है।
ब्यौरे के साथ बताया जाए तो राकांपा ने राज्य के पूर्व मंत्री डा. पदम सिंह पाटिल को उस्मानाबाद लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र से टिकट दिया है जिन पर हत्या का आरोप है। इसी के चलते उन्हें गिरफ्तार भी किया गया था। शुरुआत में तो पदम सिंह को टिकट देने की बजाय उनके बेटे को टिकट देने की चर्चा चली, लेकिन अंत में पार्टी ने सभी अटकलों को नकारते हुए कहा कि चुनाव में राकांपा के लिए अपने दल के सांसदों की संख्या बढ़ाना सर्वोपरि है, लिहाजा पदम सिंह को ही टिकट दे दिया गया।
दागियों को टिकट देने में कांग्रेस अपने सहयोगी दल राकांपा से बहुत आगे हो गई है। कांग्रेस ने जिन नितिन पाटिल को चुनाव मैदान में उतारा है, उन्हें औरंगाबाद जिला सहकारिता बैंक में गबन का मुख्य आरोपी बनाकर गिरफ्तार किया गया था। राज्य में विवाद उस समय और बढ़ गया कि जब पूर्व मुख्यमंत्री अशोक चव्हाण को मराठवाड़ा के नांदेड़ चुनाव क्षेत्र से टिकट दिया गया। चव्हाण को मुंबई में हुए हाईप्रोफाइल आदर्श सोसायटी घोटाले में अपने पद से इस्तीफा तक देना पड़ा था। कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने यह भी कहा था कि भ्रष्टाचारी या भ्रष्टाचार को समर्थन देने का सवाल ही नहीं उठता। लेकिन तमाम विरोध के बावजूद स्वयं राहुल गांधी की उपस्थिति में ही अशोक चव्हाण को टिकट दिया गया। इससे साफ हो गया कि चुनावी राजनीति में कांग्रेस को ऐसे नेताओं से कतई परहेज नहीं है। कांग्रेस को उस समय जबरदस्त आघात लगा जब कोयला घोटाले में सीबीआई ने कांग्रेसी राज्यसभा सांसद विजय दर्डा और उनके बेटे देवेन्द्र दर्डा के खिलाफ दूसरा आरोपपत्र दाखिल किया। आरोपपत्र में साफ किया गया कि वर्ष 2006 से लेकर वर्ष 2009 तक कोयले की खानों के आवंटन में दर्डा परिवार के स्वामित्व वाली नागपुर स्थित एएमआर आयरन एंड स्टील प्राइवेट लिमिटेड कंपनी द्वारा धोखाधड़ी कर साजिश के तहत व्यापक स्तर पर भ्रष्टाचार किया गया।
* द. वा. आंबुलकर
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