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अगस्ता वेस्टलैंड कंपनी से 3600 करोड़ रुपये के वीवीआईपी हेलीकॉप्टर सौदा रद्द होने के मामले में इटली की अदालत ने 2360 करोड़ रुपये की बैंक गारंटी को भुनाने से मना कर दिया है। भारत इस निर्णय के विरुद्ध अपील करेगा।
हेलीकॉप्टर सौदा रद्द के होने के बाद भारत पहले ही 240 करोड़ रुपये की गारंटी भुना चुका है। अब इटली के बैंक में 2360 करोड़ रुपये की गारंटी भुनाई जानी है। 17 मार्च को इटली की अदालत में हुई सुनवाई के दौरान अगस्ता वेस्टलैंड कंपनी और उससे जुड़ी फिनमैकेनिका कंपनी ने भारत द्वारा बैंक गारंटी भुनाने के विरुद्ध अपील की थी। इस याचिका पर सुनवाई करते हुए अदालत ने भारत के गारंटी भुनाने पर रोक लगा दी है। इससे पहले ही बीती 8 जनवरी को अगला आदेश आने तक बैंक गारंटी भुनाने पर रोक लगा दी गई थी। गौरतलब है कि भारत ने घूसखोरी का खुलासा होने पर हेलीकॉप्टर सौदे को रद्द कर दिया था। इस मामले में भारत और इटली में जांच जारी है। अगस्ता वेस्टलैंड कंपनी ने घूसखोरी की जांच के आदेश के तुरंत बाद तीन हेलीकॉटर आपूर्ति करने के बाद अन्य की आपूर्ति पर भी रोक लगा दी थी।
नौसैनिकों की रिहाई के लिए इटली पहंुचा संयुक्त राष्ट्र संघ
इटली ने दो भारतीय मछुआरों की हत्या के मामले में लिप्त अपने दो नौसैनिकों की रिहाई के लिए संयुक्त राष्ट्र संघ के महासचिव से गुहार लगाई है। इटली के आंतरिक मामलों के मंत्री एंजेलिनो अल्फैनो ने कहा है कि वे इटली नौसैनिकों पर अपने देश में मुकदमा चलाना चाहते हैं जिसके लिए वे उनकी रिहाई की मांग कर रहे हैं। गौरतलब है कि इटली अपने मछुआरों को छुड़वाने के लिए लगातार यूरोपीय संघ, अमरीका, नाटो देशों और अन्तरराष्ट्रीय समुदाय का समर्थन जुटाने में लगा है। उल्लेखनीय है कि इटली के नौसैनिकों ने फरवरी, 2012 में केरल के निकट समुद्र में दो भारतीय मछुआरों की गोली मारकर हत्या कर दी थी। तभी से दोनों के खिलाफ भारत की अदालत में मुकदमा चल रहा है। पिछले दिनों भारत ने मौत की सजा देने वाले आरोप वापस ले लिए थे, लेकिन इटली समुद्री डकैती विरोधी कानून के तहत अड़ा हुआ है। इस कानून के तहत आरोपियों को अधिकतम 10 साल की सजा हो सकती है। इटली मौत की सजा के आरोप हटने के बाद अब ये कानून हटाने का भी भारत पर लगातार दबाव बना रहा है।
इसी प्रकरण के चलते इटली के राजदूत ने सर्वोच्च न्यायालय में हलफनामा भी दिया था कि वे दोनों आरोपी मछुआरों को भारत लाएंगे, लेकिन अब वे इससे मुकर गए हैं। इस पर सर्वोच्च न्यायालय ने कड़ा रुख अपनाते हुए साफ कर दिया कि एक राजनयिक ऐसा नहीं कर सकता है। पीठ ने साफ कर दिया है कि राजदूत बिना अनुमति भारत छोड़कर नहीं जा सकते और अगला आदेश आने तक यही स्थिति बनी रहेगी। सर्वोच्च न्यायालय ने 14 मार्च को ही राजदूत से साफतौर पर कहा था कि वे बिना अनुमति भारत नहीं छोड़ेंगे। प्रतिनिधि
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