हमको रास नहीं आता है तेरा रास रचाना जनता हम गाते हैं जय-जय कुरसी तू जन-गण-मन गाना जनता पस्त रहे ते, मस्त रहें हम घोटालों में व्यस्त रहें हम तुझे लाख हों रोग हमें क्या चरें देश को, स्वस्थ रहें हम तू तो केवल आंख बंद कर हमें वोट दे जाना जनता हम गाते हैं…. तुझको रोना है तू रो ले जितना सोना है तू सो ले अधिकारों की खातिर लेकिन कोई अपने ओंठ न खोले तुझे दिखाएं सब्ज बाग जब तू बस खुश हो जाना जनता हम गाते हैैं…. पगडण्डी से प्यार किए जा हर गड़बड़ स्वीकार किए जा जो मिल जाए उसमें खुश रह यूं ही जीवन पार कि ए जा तुझे नहीं हक, अगर बुने तू कोई ताना-बाना जनता! हम गाते हैं…. चाहे जी और चाहे मर तू जो भी कहें समर्थन कर तू सब कुछ सहकर मुस्काती रह कभी न करना अगर-मगर तू तुझे कसम है, जोर जुल्म हो मत आवाज उठाना जनता हम गाते हैं जय-जय कुरसी तू जन-गण-मन गाना जनता – अशोक अंजुम
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