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-डिब्रूगढ़ से मनोज पाण्डेय
इर बार की तरह ही एक बार फिर असम की भूमि हिंदी भाषी लोगों के लहू से लाल हो गई। मरने वालों का दोष सिर्फ यही था कि वे हिंदी भाषी थे। सम्भवत: हर बार की तरह ही इस घटना के बाद भी राज्य के मुख्यमंत्री व कांग्रेस के सिपहसालार तरुण गोगोई ने रटा रटाया जवाब दिया कि सख्त कार्रवाई की जाएगी। इसके बाद पुलिस ने कई लोगों को पकड़कर पूरे मामले को ठंडे बस्ते में डालने की कोशिश की। वहीं हर बार उग्रवादिओं द्वारा हिंदी भाषियों को चुन- चुन कर मारे जाने पर राज्य में हिंदी भाषियों का गुस्सा फुट पड़ा। इससे पूरे राज्य में धरना व प्रतिवादी रैली के साथ ही कई संगठनांे ने 24 घंटे के लिए असम बंद का आह्वान भी किया। उसे जनता का पूर्ण समर्थन भी मिला। इस दौरान हर बार खोखले आश्वासनों देने से बाज नहीं आ रहे मुख्यमंत्री को भी हिंदी भाषी संगठनो ने साफ शब्दो में चेता दिया है। वहीं आगामी लोकसभा चुनाव के मद्देनजर मुख्यमंत्री व उनके सिपहसलार भी इन घटनाओ को हलके में लेना नहीं चाहते।
मालूम हो कि राज्य के कोकराझार जिले के शेरफानंगुडी थाना क्षेत्र के अंतर्गत अठियागुडी में राष्ट्रीय राजमार्ग संख्या 31 पर सिलीगुडी से लखीमपुर होते हुए जोनाई जा रही स्वपना नामक बस को एक निर्जन स्थान पर बोडो उग्रवादी संगठन नेशनल डेमोक्रेटिक फ्रंट ऑफ बोडोलैंड के संगबिजित गुट (एनडीएफबी (एस)) के 10-12 उग्रवादिओं ने सेना की पोशाक पहन कर रुकने का निर्देश दिया। उसके बाद तलाशी के नाम पर सभी यात्रियो से हिंदी में बात की और बस में सवार 36 यात्रिओ में से 9 यात्री, जो बिहार के थे उन्हें अलग कर दिया। उसके बाद उन्हें वहां से भागने को कहा और पीछे से गोली मार दी। जिसमंे पांच हिंदी भाषियों की मौत हो गई, जबकि तीन गंभीर रूप से घायल हो गये। वहीं इस घटना में मरे लोगांे की पहचान छपरा जिले के पप्पू सिंह (22), अवध बिहारी गिरी (25), और रस बिहारी गिरी (25) ( ये दोनों भाई है ) और सिवान जिले के सोमश्वर मंत्री (25) के रूप में की गई। वहीं एक मृतक की पहचान माणिक के रूप में की गई। गंभीर रूप से घायल अनमोल गुप्ता, बाबुल कर्मकार व रामानंद ओझा को स्थानीय अस्पताल में उपचार के लिए दाखिल कराया गया है। ये सभी असम में छोटे-मोटे कार्य कर अपने परिवार का गुजारा करते थे।
वहीं उक्त घटना के तुरंत बाद ही एनडीएफबी (एस) के एरिया कमांडर बी. जाबलांग ने स्थानीय मीडिया को बयान जारी करते हुए इस घटना की जिम्मेवारी लेते हुए कहा कि पुलिस व सेना द्वारा उनके खिलाफ चलाये जा रहे अभियान तथा हमारे संगठन के नेता रजा. बसुमतारी को दोपहर को मौत के घाट उतारे जाने की घटना का बदला लेने के लिए उन्होंने इस घटना को अंजाम दिया है। इस घटना के 24 घंटे के भीतर ही उदालगुडी थाना अंतर्गत अंबा गाव चौक पर पिछले 40 वर्षों से सैलून चलाकर अपने परिवार का पेट पाल रहे विक्रम ठाकुर (55) नामक नाई की उग्रवादियों ने गोली मार कर हत्या कर दी। मृतक ठाकुर की दुकान का दरवाजा रात को किसी ने खटखटाया था और जैसे ही उसने दरवाजा खोला तो उसके सिर में गोली मारकर कुछ लोग मोटरसाइकिल पर बैठकर फरार हो गए।
वहीं दूसरी तरफ चिरांग जिले के पान बाड़ी गाव में एनडीएफबी (एस) के सदस्यो ने लगातार गोली चलाकर एक व्यक्ति को मौत के घाट उतार दिया। इस गोलीबारी में पांच अन्य लोग भी घायल हो गए। मृतक की पहचान स्थानीय निवाशी ईमान अली के रूप में की गई है। इन हत्याओं के बाद भी एनडीएफबी (एस) का खूनी खेल बंद नहीं हुआ। लगातार तीसरे दिन भी एनडीएफबी (एस) के खूनी मंसूबो क ी भेंट धुबड़ी जिले के बगड़ी बाड़ी थानाक्षेत्र में मंगलझोरा बाजार के गौर कुंडू (70) नामक व्यापारी की गोली मारकर हत्या कर दी। वह सुभाष नगर इलाके में अपने घर से निकल कर दुकान खोलने के लिए जा रहा था। एनडीएफबी (एस) के सदस्यांे ने शोणितपुर जिले के ढेकियाजुली के पास को कुछ बतासीपुर में एक व्यक्ति पर मोटरसाइकिल पर सवार लोगांे ने गोली चलाकर उसे गम्भीर रूप से घायल कर दिया। उसकी पहचान विक्रम कुमार राय (24) के रूप में की गई है। इन घटनाओं से जहां हिंदी भाषी समाज भयभीत हैं, वहीं इसी दौरान कुछ अज्ञात उपद्रवियों ने कोकराझार जिले के दोतमा थानाक्षेत्र के बोउबा घर में व्यवसायी सुधांशु सरकार (55) को गोली मार कर उसकी हत्या कर दी। वे बोउबाघर के ब्रोजोखोला में अपनी दुकान बंद कर खुकसी अंचल स्थित अपने घर लौट रहे थे। प्रारंभिक जांच में पुलिस इस हत्याकांड के पीछे कामतापुर लिबरेशन ऑर्गनाइजेशन (केएलओ) का हाथ होने का संदेह कर रही है।
राज्य में लगातार हो रही हिन्दी भाषी लोगों की हत्या के बाद राज्य के नवनियुक्त पुलिस महानिदेशक खगेन शर्मा ने उग्रवादी संगठनो के खिलाफ हरसंभव कड़ी कार्यवाही करने का आश्वासन दिया है। उन्होंने मीडिया को बताया कि एनडीएफबी (एस) व अन्य उग्रवादी संगठनों के खिलाफ कार्रवाई के लिए असम के पड़ोसी राज्यो के अलावा भूटान से भी संपर्क साधा जा रहा है। उग्रवाद पर लगाम लगाने के लिए सेना की कई कम्पनियां भी पहुंच रही हैं। वही श्री शर्मा से राजनीतिज्ञों को उग्रवादी संगठनो से मिलने वाली धमकियों के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि ये कोई नई बात नहीं है। पहले भी ऐसी धमकियां मिलती रही हैं। उन्होंने कहा कि प्रतिबंधित संगठन उल्फा और अन्य आतंकी संगठनों से भी कई बार ऐसी धमकियां मिलती रही हैं। वहीं एनडीएफबी (एस) के हिंसक गतिविधियों से बिगड़ी कानून-व्यवस्था की स्थिति को ध्यान में रखते हुये चिरांग जिले के सदर काजल गांव स्थित पुलिस अधीक्षक कार्यालय में आयोजित एक उच्च स्तरीय बैठक में पुलिस महानिदेशक खगेन शर्मा ने भाग लिया। बैठक में पश्चिमी रेंज के डीआईजी सुरेन्द्र कुमार, बीटीएडी के आईजी.पी.एल.आर. विश्नोई के अलावा चिरांग, बंगाईगांव, कोकराझार, ग्वालपाघ व धुबड़ी के पुलिस अधीक्षकों तथा सेना, एसएसबी व सीआरपीएफ के आला अधिकारी भी उपस्थित थे। मालूम हो कि आगामी लोकसभा चुनाव के मद्देनजर असम में हुए लगातार खून-खराबे की घटना पर आम जनता में तीव्र प्रतिक्रिया को देखते हुए मुख्यमंत्री तरुण गोगोई व उनके सिपहसालारो में काफी गहमागहमी शुरू हो गई है। उग्रवादी संगठनो के खिलाफ करवाई करते हुए असम पुलिस के मुख्यालय में आयोजित एक संवाददाता सम्मलेन में अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक (कानून व्यवस्था) ए.पी. रावत ने एनडीएफबी (एस) गुट के चेयरमैन सह कमांडर एन चीफ संबिजित इंग्ती कथार (41) सहित कुल 15 नेताओं की सूची जारी करते हुए उन्हें जिंदा व मुर्दा पकड़वाने में मदद के लिए इनामी राशि की घोषणा भी की है। इसके साथ ही सम्मलेन में उपस्थित पुलिस महानिरीक्षक (कानून व्यवस्था) एस. एन. सिंह ने संवाददाताओं को बताया कि संबिजित गुट की तरह ही उल्फा, केपीएलटी व केएलओ समेत अन्य उग्रवादी गुटांे के नेताओ कि धरपकड़ के लिए आने वाले समय में इनामी राशि की घोषणा की जायेगी। उन्होंने आगे कहा कि पिछले एक साल में उग्रवादियों के साथ मुठभेड़ में करीब 40 उग्रवादियों को मार गिराया गया तथा डेढ़ सौ कैडरों को गिरफ्तार किया गया। उन्होंने बताया कि जनता व उसकी सुरक्षा के लिए वर्तमान में कोकराझार में सुरक्षा बलों कि 39 कम्पनियां व चिरांग में 27 कम्पनियां तैनात की गयी हैं।केंद्र सरकार से 15 अतिरिक्त कंपनियों की मांग की है।
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