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नशा-संगठित अपराध
अपराध और मादक पदार्थ से जुड़ने वालों का गठबंधन फलफूल रहा है। समाज में मादक पदार्थ की आपूर्ति और उसका सेवन करने वालों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है जिससे लोगों की उपयोगिता नष्ट होती जा रही है। देश में नगालैण्ड और मणिपुर में मादक पदार्थ का सेवन करने वालों की बढ़ती संख्या खतरे की घंटी बजा रही है। मणिपुर के थौबल जिले में बीते नवम्बर माह में करीब 20 करोड़ रुपये मूल्य की मादक दवाएं पकड़ी गईं थीं जिसमें मणिपुर राइफल्स के एक जवान समेत पांच लोग गिरफ्तार किए गए थे। बीते साल ही 11 जनवरी को इंफाल तुलीहाल हवाई अड्डे से 1.4 करोड़ रुपये की मादक पदार्थ जब्त किए गए थे। 24 फरवरी को भी 25 करोड़ की थौबल जिले में ही मादक दवाएं पकड़ी गईं थीं। इन दोनों मामलों की सीबीआई जांच जारी है।
इसका सेवन करने से आपराधिक घटनाएं भी तेजी से बढ़ रही हैं। अमरीका में हुए एक शोध से पता लगा है कि मादक पदार्थ लेने वाले और अपराध करने वालों का अनुपात समानान्तर चलता है। नशे की लत का शिकार हुए लोग आपराधिक घटनाआंे में भी खूब लिप्त रहते हैं जिन्हें किसी भी कीमत पर सेवन के लिए मादक पदार्थ चाहिए, चाहे फिर उसके लिए उसे अपराधी ही क्यों न बनना पड़े। ऐसे लोग और अपराध करने वालों का गठबंधन समाज में हथियारों के इस्तेमाल को भी बल दे रहा है। इनकी भी तेज गति से पूर्वोत्तर राज्यांे में आपूर्ति हो रही है। मादक पदार्थों की तस्करी का प्रभाव सीधा देश की अर्थव्यवस्था पर पड़ता है। सोने-हीरे के कारोबार के साथ नशीली दवा का कारोबार काले धन के बराबर में अर्थव्यवस्था के साथ जगह बना चुका है। यह राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए बेहद गंभीर बात है। इस गठबंधन के तार अपराधियों और अंतरराष्ट्रीय मकड़जाल से जुड़े हैं, जो कि हमारी एजेंसियों की पकड़ से बाहर है। राष्ट्र-विद्रोही लोग जैसे कि आतंकी संगठन भी इसी का एक हिस्सा हैं। मुंबई में हुए विस्फोट के दौरान दाऊद इब्राहिम को भी पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आईएसआई के एजेंटों के माध्यम से ही मदद मुहैया कराई गई थी। यह एजेंसी अभी भी राष्ट्र विरोधी गतिविधियों में सक्रिय है। दुर्भाग्य से राष्ट्रीय और अन्तरराष्ट्रीय एजेंसियां इस विषय पर गंभीर नहीं हैं। राजनेता भी इस नेटवर्क से अछूते नहीं हैं। केवल शिक्षित लोग, सक्रिय गैर सरकारी एजेंसियां और अन्तरराष्ट्रीय सहयोगी संस्थाएं ही मिलकर समाज के विरुद्ध उभरती इस चुनौती का रास्ता निकाल रहे हैं। छत्तीसगढ़, झारखंड, ओडिशा, आंध्र प्रदेश और सहित देश के अन्य राज्यों में नक्सली घटनाक्रम से जुड़ी रिपोर्ट के आंकड़े निम्नलिखित हैं। ंपाञ्चजन्य ब्यूरो
विषय वर्ष 2008 वर्ष 2009 वर्ष 2010 वर्ष 2011 वर्ष 2012 वर्ष 2013
नक्सलियों द्वारा की गईं घटनाएं 1591 2258 2213 1760 1415 1129
नक्सली हमले में मारी गई जनता 490 591 720 469 301 279
जवानों की हत्या 231 317 285 142 114 115
पुलिस पर हमले 192 250 230 131 135 143
पुलिस मुठभेड़ 271 309 272 223 216 218
मारे गए नक्सली 199 220 172 99 74 99
नक्सली गिरफ्तार 1743 1981 2916 2030 1901 1397
नक्सलियों ने किया समर्पण 400 150 266 394 445 283
पुलिस बल से हथियार लूटे 1219 217 256 67 55 77
नक्सलियों के हथियार जब्त 1511 572 642 636 591 627
(स्रोत: गृह मंत्रालय के सूत्रों के हवाले से)
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