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1. एक कहानी मैं कहूं सुन ले मेरे पूत
बिना पंख के उड़ गई बांध गले में सूत।
2. चार टांग की चंपा चिडि़या, उठकर रोज नहाए,
चावल दाल का नाम न जाने, कच्ची रोटी खाए
3. छीलो तो छिलका नहीं, फोड़ो तो न बीज
वर्षा में आए सदैव, बोलो वह क्या चीज
4. पूरे जग का भार उठाती, पीड़ा सहकर भी मुस्काती
कहलाती हूं सबकी माता, देखूं पहले कौन बताता
5. एक हाथ है रखा कमर पर, रखा दूसरा सिर के ऊपर
लगा रही चक्कर कुछ ऐसे, घूम रही हो तकली जैसे
6. बना पहाड़ों में घर सुंदर, आना है तो आओ
घुप्प अंधेरा मेरे अंदर कहीं न डर तुम जाओ
(गुड़गांव से हमारे पाठक घमंडीलाल अग्रवाल द्वारा भेजीं पहेलियां )
उत्तर:- 1 पतंग, 2 रोटी बेलने का चकला, 3 ओले, 4 पृथ्वी, 5 कठपुतली, 6 गुफा
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