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प्रयाग में ब्रह्मली
न शांतानन्द सरस्वती के शताब्दिपूर्ति वर्ष पर भव्य आयोजन
-हरिमंगल-
गत दिनों प्रयाग में ज्योतिर्पीठ के पूर्व शंकराचार्य ब्रह्मलीन स्वामी शांतानंद सरस्वती के शताब्दिपूर्ति वर्ष पर एक विशाल धार्मिक कार्यक्रम का आयोजन किया गया। सप्ताह भर चले इस शताब्दिपूर्ति समारोह में प्रतिदिन पूजा, पाठ, हवन के साथ-साथ कथा, प्रवचन तथा धार्मिक, सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन हुआ। समापन समारोह के अंतिम दिन हिन्दू सम्मेलन का आयोजन किया गया जिसमें दूर-दराज से आये साधु-संतों के साथ-साथ श्रद्धालु और समाज के विभिन्न वर्गों के बुद्धिजीवी व समाजसेवी उपस्थित रहे।
हिन्दू सम्मेलन का मुख्य विषय रहा ह्यसनातन धर्म की रक्षा, उसके समक्ष चुनौतियांह्ण। इसके वक्ता थे राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक श्री मोहनराव भागवत। उन्होंने कहा कि हिन्दुओं पर प्रहार करने वाले संगठित हैं। ऐसे में उनका मुकाबला हम संगठित होकर कर सकते हैं। हमारे पास सत्य और शक्ति दोनों है लेकिन दोनों के एकजुट न होने के कारण हम जिस भारत की कल्पना करते हैं, वैसा नहीं बना पा रहे हैं। अब समाज को कहीं और देखने की जरूरत नहीं है, परिस्थितियां हमारे अनुकूल बन रही हैं, लेकिन कठिनाइयां भी हैं। इन कठिनाइयों का मुकाबला करने के लिए एकजुट होकर सत्य के साथ आगे बढ़ने की जरूरत है। संघ प्रमुख ने कहा कि हिन्दू समाज के अकेले संगठित होने से कार्य नहीं होगा, बल्कि सच के साथ चलने वाले पूरे भारतीय समाज को अपने साथ लाना होगा।
सरसंघचालक ने कहा कि आने वाले समय में शक्ति और युक्ति दोनों की लड़ाई है। इस लड़ाई के समय कई लोग तरह-तरह के वेष और रंग बदलकर आएंगे। हमें असली आदमी की पहचान करनी होगी। श्री भागवत ने कहा कि आने वाले चुनाव में अपने निजी स्वार्थ को भूलकर समाज और राष्ट्र के लिए उपयुक्त को पहचान कर मतदान करना होगा। पूज्य संतों का स्मरण करते हुए कहा कि हमारे आध्यात्मिक विरासत के संत ही गुरु हैं,संतों की प्रेरणा ही हम सबको आगे बढ़ाएगी।
समारोह की अध्यक्षता करते हुए विहिप के संरक्षक श्री अशोक सिंहल ने कहा कि इस देश की पहचान आध्यात्मिकता है। इस देश का हिन्दू समाज कतई स्वीकार नहीं करेगा कि वह धर्मनिरपेक्ष है। श्री सिंहल ने स्पष्ट किया कि अयोध्या में श्री रामजन्मभूमि पर भव्य मन्दिर का निर्माण श्रीराम जन्मभूमि न्यास ही कराएगा, क्योंकि उसे देशभर से जनादेश प्राप्त है। भाजपा विधायक केशव प्रसाद मौर्य ने भी हिन्दुओं से अपील की कि वह आपस के सारे मतभेद भुलाकर संगठित हों और हिन्दू धर्म, संस्कृति और आस्था पर प्रहार करने वाले को मुंहतोड़ जवाब दें। अपने आशीर्वचन में शंकराचार्य स्वामी वासुदेवानंद सरस्वती ने कहा कि अब हिन्दुओं को संगठित होना होगा तभी सनातन धर्म और हिन्दुओं की रक्षा हो सकेगी। इस अवसर पर अखाड़ा परिषद् के अध्यक्ष हरी गिरी, निर्वाणी अनी के श्री महंत धर्मदास, राम जन्मभूमि न्यास के अध्यक्ष महंत नृत्य गोपाल दास प्रमुख संत उपस्थित रहे।
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