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ओडिशा के खुर्दा जिला स्थित गयाबंध गांव में भरत श्रीचंदन के परिवार की संयुक्त परिवार के रूप में पूरे क्षेत्र में मिसाल दी जाती है। इस आदर्श परिवार में 121 लोग आज भी एक ही छत के नीचे बैठकर भोजन ग्रहण करते हैं। यह परिवार पुराने संस्कारों के साथ एक सूत्र में बंधा हुआ है।
दिलीप श्रीचंदन बताते हैं कि उनके दादा भरत श्रीचंदन के 5 पांच बेटे थे-वैरागी, गिरिधारी, विद्याधर, गदाधर और सदानन्द। दादा और उनके पिता विद्याधर का देहांत हो चुका है। इस घर में आज भी चार पीढि़यों के लोग रहते हैं। परिवार को एकसूत्र में बांधने की शिक्षा दादी स्वदरमणि से मिली जिससे घर में संस्कार एक से दूसरी पीढ़ी को विरासत में मिलते गये। दादी घर में मिठाई आने पर सभी को उसमें से थोड़ा-थोड़ा मीठा खाने को देती थीं। परिवार के लोगों के 30 कमरे हैं जिनमें सभी रहते हैं। परिवार की कमाई का जरिया खेती है। खेती से ही पूरे परिवार का गुजारा होता है। इनके यहां धान, मंूग, चावल और दाल की खेती होती है।
राजनीतिक पहचान
दिलीप श्रीचंदन वर्ष 1995 से वर्ष 2000 तक खुर्दा विधानसभा से कांग्रेस के विधायक भी रह चुके हैं। परिवार की सामाजिक और राजनीतिक प्रतिष्ठा भी पूरे क्षेत्र में दूर-दूर तक फैली हुई है। श्रीचंदन कहते हैं कि राजनीति और सामाजिक क्षेत्र में आगे बढ़ने की प्रेरणा उन्हें परिवार में दादी और चाची से मिली थी। घर में किसी न किसी कार्य से आसपास के रहने वाले लोगों का आज भी घर में जमघट लगा रहता है। इससे पूरे घर में सौहार्दपूर्ण वातावरण रहता है।
एक दिन का कई किलो राशन
इस परिवार में प्रतिदिन भोजन के लिए 25 किलो चावल, 15 किलो सब्जी, सात किलो दाल और 20 लीटर दूध की खपत होती है। इतनी खाद्य सामग्री तो दूसरे परिवारों में कभी उत्सव होने पर उपयोग में आती है। परिवार में कभी शादी या कोई अन्य समारोह के अवसर पर घर में परिजनों की संख्या बढ़कर 400 तक पहंुच जाती है और मेला सा लग जाता है। परिवार की होती है चर्चा-आज के वातावरण में जहां एक परिवार में मात्र चार से पांच लोग रहते हैं, वहीं 121 सदस्यों वाले इस संयुक्त परिवार को क्षेत्र के लोग आदर्श मानते हैं। परिवार के बारे में क्षेत्र के लोग अपने बच्चों को कहानी-किस्से के रूप में सुनाते हैं। पीढि़यां गुजरती रहीं, पर परिवार नहीं
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