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राजनीति के लिए राम के अस्तित्व को नकारने वाले, रामसेतु पर लगातार उंगुलियां उठाने वाले, भ्रष्टाचार और घोटालों के सबसे सघन मकड़जाल में उलझे ये वही चेहरे हैं जो रामलीला के मंच पर पहुंचकर खुद को सबसे बड़े रामभक्त दिखाते हैं। राम और रामसेतु के अस्तित्व पर कांग्रेस खुद सवाल उठा चुकी है। यहां तक कि उच्चतम न्यायालय की तरफ से दायर हलफनामे में भी रामसेतु पर सवाल उठाए थे, लेकिन देखिए इन तस्वीरों को। सोनिया गांधी से लेकर प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह, राहुल गांधी, दिल्ली की मुख्यमंत्री शीला दीक्षित और कपिल सिब्बल जैसे सेकुलर कांग्रेसी सब पूजा की थाली लिए खड़े हैं। वैज्ञानिकों के अनुसार रामसेतु के नीचे सागर के गर्भ में यूरेनियम का अथाह भंडार है। जो आने वाले 150 वर्षों तक ऊर्जा का एक बड़ा स्रोत है। अमरीका की नजर इसी रेडियो धर्मी पदार्थ पर है। अंदरखाने खबर है कि कांग्रेस इसका सौदा अमरीका से कर चुकी है। इसलिए वह रामसेतु को तोड़ना चाहती है। इन चित्रों को देखिए और जानिए कांग्रेसी नेतृत्व का दोमुंहापन।
मुख्यमंत्री शीला दीक्षित
वर्ष 2009 में भाजपा कार्यकर्ता व अधिवक्ता सुनीता भारद्वाज ने शीला दीक्षित पर आरोप लगाया कि उन्होंने 3.5 करोड़ रुपए राजीव रत्न योजना के विज्ञापन देने के लिए केन्द्र सरकार से जवाहरलाल नेहरू शहरी राष्ट्रीय नवीनीकरण मिशन के नाम पर ली धनराशि का दुरुपयोग किया था। इसी साल अगस्त माह में अदालत ने शीला दीक्षित को संबंधित मामले में दोषी पाया है, और उनके खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करने के आदेश दिए हैं।
प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह
प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह 2जी स्पेक्ट्रम घोटाले के समय न केवल देश बल्कि पूरे विश्व के सामने अपनी सरकार की साख को नहीं बचा सके थे। ऐसे में संचार मंत्री ए. राजा को इस्तीफा देना पड़ा था और जेल भी जाना पड़ा था। इस प्रकरण में मनमोहन सरकार की खूब किरकिरी हुई थी।
सबसे ज्यादा हिला देने वाला तथ्य कुछ माह पूर्व ही सामने आया कि जब कोयला खादान आवंटन को लेकर प्रधानमंत्री पर उंगुलियां उठने लगीं। खास बात यह थी कि प्रधानमंत्री के पास ही घोटाले के समय कोयला विभाग था। इस वजह से विपक्षी दलों ने मनमोहन सरकार पर सवाल उठाए थे। जिस नीति से कंपनियों को लाभ दिया गया वह नीति स्वयं प्रधानमंत्री की
उपज थी।
सोनिया गांधी
राष्ट्रीय सुझाव समिति की अध्यक्ष होने के कारण सोनिया गांधी पर लाभ के पद पर रहते लोकसभा सदस्य होने का आक्षेप लगा था। 23 मार्च, 2006 को उन्होंने दोनों पद छोड़ दिए थे और मई, 2006 में राय बरेली से चुनाव जीता था।
राबर्ट वाड्रा
1-राबर्ट वाड्रा पर हरियाणा के पलवल जिले में स्थित हसनपुर गांव में 75 एकड़ भूमि खरीदने का आरोप है, जो कि वर्ष 1981 में एक अनुसूचित जाति के व्यक्ति को हरियाणा सरकार ने आवंटित की थी।
2-वर्ष 2013 में राबर्ट वाड्रा गुड़गांव में सरकारी भूमि के उपयोग को परिवर्तित कराने पर काफी चर्चा में रहे थे। उन पर भारतीय प्रशासनिक सेवा में हरियाणा कैडर के अधिकारी अशोक खेमका ने नियमों का ताक पर रखने का आरोप लगाया था। इसके चलते खेमका को स्थानांतरण भी कर दिया गया था। आरोप था कि सरकारी जमीन कौडि़यों के भाव लेकर वाड्रा ने निजी कंपनियों को बेच दी थी।
3-अन्तरराष्ट्रीय हवाई अड्डे पर राबर्ट वाड्रा को वही सुरक्षा इंतजाम और व्यवस्था मुहैया कराई जाती है, जो कि राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री और पूर्व राष्ट्रपति और पूर्व प्रधानमंत्री के लिए ही दी जाती है। इस प्रकार नियमों को ताक पर रखकर वाड्रा को यह सुविधा दी जाती है। 4-अक्तूबर, 2012 में वाड्रा डीएलएफ कंपनी को बिना ब्याज के 65 करोड़ रुपये की राशि दिलाने का आरोप लगा था। इस प्रकरण में भी सरकार का विपक्ष ने कड़ा विरोध किया था। प्रतिनिधि
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