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० नवजात शिशु को कुछ दिनों तक कपड़ों में लपेट कर रखें। इससे उसके शरीर में गर्मी भी बनी रहती है और बच्चा समझता है कि वह मां के गर्भ में है।
० नवजात शिशु केवल भूख लगने पर ही नहीं रोता है और भी बहुत सी बातें हैं, जिससे शिशु रोता है। गीला होने, पेट में दर्द या किसी तरह की परेशानी का संकेत भी इनका रोना हो सकता है। आप बच्चे के इन इशारों को जानने की कोशिश करें ताकि बच्चा सदा स्वस्थ रहे।
० शिशु का पेट बहुत छोटा होता है, जिससे उसे बार-बार भूख लगती है और इसे वह रोकर ही व्यक्त करता है। बच्चे को थोड़ी-थोड़ी देर में दूध पिलाती रहें।
० अधिकांश माताएं दूध पिलाकर बच्चे को सुला देती हैं, जिससे बच्चे के पेट में एसिडिटी हो जाता है। इससे बच्चे का बचाव करने के लिए दूध पिलाने के बाद उसे डकार दिलाएं। इसके लिए बच्चे को पेट के बल अपने कंधों पर रखें। पेट पर दबाव पड़ते ही बच्चे को डकार आ जाती है। जिससे पेट दर्द या एसिडिटी नहीं होती है।
० नवजात शिशु का आहार केवल मां का दूध है, इसलिए मां को स्वाद पर ध्यान न देकर पौष्टिक और संतुलित भोजन करना चाहिए।
० जैसे ही आपका बच्चा कपड़ा गीला करे उसे तुरन्त बदल दें। उसके कपड़े को गर्म पानी में डिटॉल डालकर धोएं। फिर धूप में सुखाएं।
० शिशु को डॉक्टर को दिखाते रहें। अगर बच्चा पेट भरने के बाद भी रोता रहता है तो उसे जरूर कोई परेशानी है। ऐसे में शिशु रोग विशेषज्ञ से मिलकर शिशु के अंदरूनी तकलीफों को जानें।
० शिशु को दूध हजम न होता हो तो दूध उबालते समय 200 ग्रा़ दूध में छोटी पिप्पली एक ग्रा़ (या एक-दो दाना) डाल दें और दूध औटाने के बाद निकालकर फेंक दें। यह पिप्पली दूध में मौजूद दोषों को नष्ट कर देती है तथा यह दूध सुपाच्य हो जाता है।
० छोटी पिप्पली दूध में उबालकर छानकर पिलाने से बच्चों की तिल्ली ठीक हो जाती है।
० मां को क्रोध की अवस्था में शिशु को दूध नहीं पिलाना चाहिए।
० दूध पिलाने से पहले यदि मां एक गिलास पानी पी ले और तब दूध पिलाए तो शिशु को दूध शीघ्र पच जाता है और उसे दस्त-उलटी आदि नहीं आते हैं।
० एक कप दूध में आधा चम्मच सौंफ डालकर उबालने से दूध हल्का और सुपाच्य बन जाता है।
० रात में एक चम्मच सौंफ आधा कप पानी में भिंगों दें। सुबह सौंफ को मसलकर पानी छान लें। इस पानी को दूध में मिलाकर पिलाने से शिशु का पेट फूलना, गैस भरना ठीक हो जाता है।
० दूध में एक छोटी इलायची के दाने और छिलका अलग करके डालकर उबालने से दूध रुचिकारक और हल्का बन जाता है। शिशु को दूध न पचता हो या दूध पीने से गुड़गुड़ाहट हो तो कुछ दिन नित्य प्रात: दूध को उपरोक्त तरीके से उबालकर उसे दें।
० बच्चे को पतले दस्त होने पर दूध बंद करने की जरूरत नहीं है लेकिन खुराक में बदलाव लाना आवश्यक है-जैसे केला मसलकर देना, पतली खिचड़ी और दही मिलाकर देना। नमक-चीनी का पानी (घोल) भी उस अवस्था में बहुत उपयोगी है जब बच्चे को अधिक दस्त-उलटी के कारण उसके शरीर में पानी, नमक व सोडियम की कमी
हो जाए।
० शिशु के लिए नमक-चीनी का पानी इस तरह से बनाएं-एक गिलास (200 ग्रा़) उबाले हुए पानी में एक चुटकी भर पिसा हुआ नमक यदि उपलब्ध हो तो एक चुटकी खाने का सोडा और एक चाय वाला चम्मच भर चीनी डाल कर मिला दें। ग्लूकोज मिलाएं तो चीनी से आधी मात्रा मिलाएं और गुड़ मिलाना हो तो सुपारी के बराबर गुड़ डालकर घोल बनाकर किसी कांच के बर्तन में ढक कर रख दें। इस घोल को एक-दो चम्मच की मात्रा से हर आधे घंटे बाद बच्चे को तब तक पिलाते रहें जब तक दस्त चालू रहे और उसे दो बार मूत्र न आ जाए। ल्ल
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