इजिप्ट मेंमुरसी का 'ब्रदरहुड' ढहा
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जश्न में डूबा तहरीर चौक
केयरो के तहरीर चौक से जो जनांदोलन उपजा था उसकी तपिश
कम होने का नाम नहीं ले रही है। पिछले लगभग सवा महीने से वहां राष्ट्रपति मुरसी को कुर्सी से हटाने की मांग पर जिस तरह से इजिप्ट के नागरिक जमा होते आ रहे थे उसकी परिणति 3 जून की शाम हुई और जबरदस्त राजनीतिक गहमागहमी के बाद, मुरसी को उनकी कुर्सी से हटा दिया गया। देश में पहली बार लोकतांत्रिक तरीके से चुनकर आई इस्लामवादी ब्रदरहुड पार्टी की मुरसी सरकार को सेना ने बाहर का रास्ता दिखा दिया।
वहां बातचीत और समझौतों के जरिए बीच का रास्ता निकालने की तमाम कोशिशों के नाकाम रहने के बाद विपक्षी नेताओं, मजहबी नेताओं और सेना के बड़े अफसरों की रजामंदी से 3 जून की शाम 7 बजे सेनाध्यक्ष और रक्षा मंत्री जनरल अब्दुल फतह अल-सीसी ने जैसे ही सरकारी टेलीविजन पर मुरसी को हटाने और नए सियासी खाके की घोषणा की, तहरीर चौक पर मानो जनसैलाब उमड़ पड़ा, लोग खुशी से झूम उठे, जबरदस्त आतिशबाजी हुई, लोग वहां तैनात फौजियों के गले मिलकर बधाई देने लगे। जनरल अल-सीसी ने इसके साथ ही वहां की सर्वोच्च संवैधानिक अदालत के मुख्य न्यायाधीश अदली महमूद मंसूर को अंतरिम राष्ट्रपति बनाने की घोषणा की और मुस्लिम ब्रदरहुड पार्टी के नेताओं के देश छोड़ने पर पाबंदी लगा दी, हवाई अड्डों और तमाम शहरों में फौजियों की भारी तैनाती कर दी।
दरअसल, 30 जून 2012 को ही सत्ता संभालने वाले मुरसी पर पद छोड़ने का भारी दबाव था, लेकिन लोकतंत्र की दुहाई देते हुए वे पद से हटने को तैयार नहीं थे। आएदिन लोग सड़कों पर उतरे, प्रदर्शन हुए, लेकिन अपने सलाहकारों के दम पर मुरसी टस से मस होने को तैयार नहीं थे। बीते एक हफ्ते से तो विरोध इस कदर बढ़ा कि अंदाजन एक करोड़ 70 लाख लोग सड़कों पर उतरे, पूरा आंदोलन खुद से ही उपजा लगता था, क्योंकि कहीं से भी सुनियोजित हिंसा या मुरसी समर्थकों के साथ छिटपुट झड़पों के अलावा किसी बड़ी वारदात की खबर नहीं मिली पिछले साल पद पर आते ही मुरसी ने आपाधापी में ऐसे निर्णय लिए जो विरोधियों की त्योरियां चढ़ा गए। संविधान के बनकर अमल में आने से पहले ही मुरसी ने खास अधिकार अपने हाथ में ले लिए। उन्होंने इस्लामी झुकाव वाली संविधान सभा को ही आगे बढ़ाया। लाख विरोध के बावजूद मुरसी ने नए संविधान को पारित करा लिया। इधर आर्थिक हालात बिगड़ते जा रहे थे, बिजली की कमी थी, पेट्रोल नदारद हो रहा था, पर्यटन खस्ताहाल था। लोगों की सत्ता से नाराजगी बढ़ती जा रही थी। इजिप्ट की सेना मुरसी की सीरिया के विद्रोहियों को मदद देने की 22 जून 2012 की घोषणा से यूं भी नाराज थी। घटनाक्रम इस तेजी से बदला कि 30 जून को लोगों ने तहरीर चौक पर जमा होकर 'मुरसी कुर्सी छोड़ो' की मांग की। 1 जुलाई, 2013 को सेना ने मुरसी को लोगों की मांगें पूरी करने या पद छोड़ने का 48 घंटे का अल्टीमेटम दे दिया, जिसके जवाब में 1 जून की आधी रात को मुरसी ने चेतावनी दी कि उन्हें हटाने की कोशिश गृहयुद्ध की शुरुआत कर सकती है। 3 जून की दोपहर भी सेनाध्यक्ष और मुरसी के बीच हुई बातचीत बेनतीजा रही। आखिरकार फौजी जनरल तमाम पक्षों के साथ संयुक्त बैठक करके शाम को मुरसी की विदाई और तख्तापलट की मुनादी कर दी। खबर है कि 4 जून को इजिप्ट में मुरसी और ब्रदरहुड पार्टी के आला नेताओं को हिरासत में ले लिया गया।
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