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देश के गृहमंत्री सुशील कुमार शिंदे सच जानते हैं, महाराष्ट्र के गृहमंत्री आर.आर. पाटिल भी सच जानते हैं, पर दोनों ही बड़ी बेशर्मी से अपनी नाकामी स्वीकार कर लेते हैं कि, 'नक्सलवाद से निपटना आसान नहीं।' गर्मी के दिनों में ही बीमार होने वाले देश के गृहमंत्री सुशील कुमार शिंदे जब 'ठंडे यूरोप में इलाज' कराकर लौटे तो अपने गृह प्रदेश महाराष्ट्र जाकर बयान दाग आए कि 'पुणे नगर नक्सलियों की हिटलिस्ट में है।' दरभा (छत्तीसगढ़) में कांग्रेस की परिवर्तन यात्रा पर नक्सलियों के हमले के परिप्रेक्ष्य में उन्होंने यह बयान दिया। खुफिया विभाग ने गृहमंत्री को बताया था कि छत्तीसगढ़ से लगे महाराष्ट्र के गढचिरोली और गोंदिया जिले के घने जंगलों में सक्रिय नक्सलवादियों को नैतिक और आर्थिक संबल पुणे से प्राप्त हो रहा है। सो गृहमंत्री उसकी जड़ तक गए बिना, किसी प्रकार की जांच कराए बिना, बयान दागकर लोगों को डरा आए। उन्हें लगा कि इससे पवार कांग्रेस के कोटे से राज्य के गृहमंत्री आर.आर. पाटिल की नाकामी सामने आएगी। पर पाटिल एक हाथ आगे बढ़ गए और प्रेस कांफ्रेंस कर बोल दिया कि मौजूदा हालात में नक्सलवाद और नक्सलवादियों से निपटने में न तो राज्य सरकार सक्षम है, न केन्द्र सरकार। यहां तक कि नक्सल समस्या से निपटने के लिए कोई कारगर नीति भी नहीं है। इसीलिए केन्द्र ने एक बड़बोले को गृहमंत्री बना रखा है, जो गंभीर समस्या पर बोलने के अलावा कुछ नहीं कर सकते।
नक्सलवाद का आधा-अधूरा सच पुणेवासी पहले से ही जानते थे, उस पर इन दोनों गृहमंत्रियों ने मुहर लगा दी है। गोंदिया की पुलिस ने जब भीमराव और उसकी पत्नी सुनंदा को पुणे की एक समृद्ध कालोनी से गिरफ्तार किया गया था तब ये दोनों वहां 'ग्रीन फ्यूचर फाउंडेशन' नाम से एनजीओ बनाकर, लोगों की आंखों में धूल झोंककर नक्सलियों के लिए समर्थन जुटाने का काम करते थे। कुछ और एनजीओ के नाम पर नक्सलियों को मदद पहुंचाने के सूत्रधार संतोष शोलार और प्रशांत कांबले पुलिस की पकड़ से अब तक दूर हैं, जबकि पुणे की औद्योगिक उपनगरी रांजणगांव और पिरंगुट से खांटी नक्सली सुकमा रामटेके की गिरफ्तारी ने जता दिया था कि वहां के मजदूरों के बीच नक्सली घुसपैठ हो चुकी है। खुफिया विभाग के लोगों ने पुणे के कई सांस्कृतिक संगठनों एवं कला मंचों की गतिविधियों की जानकारी जुटाकर बताया है कि ये सब दरअसल केन्द्र व राज्य सरकार के विरुद्ध नफरत की चिंगारी को हवा देकर लोगों की भावनाएं भड़काते हैं तथा उचित समय देखकर उनके बीच नक्सलवादी विचारों का बीज बो देते हैं। यह सारी जानकारी केन्द्र व राज्य सरकार के पास है, लेकिन दोनों अपनी जिम्मेदारी से बचने के लिए गेंद एक-दूसरे के पाले में डालने के लिए बेशर्म बयानबाजी कर रहे हैं। द.बा. आंबुलकर
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