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आवरण कथा 'मन से उतरे मनमोहन' में संप्रग सरकार की राष्ट्र विरोधी नीतियों पर व्यंग्यात्मक टिप्पणियां बड़ी ही प्रभावकारी हैं। आपने सभी पक्षों को करीबी से रेखांकित किया है। घपले-घोटालों की इस सरकार ने सर्वाधिक महत्वपूर्ण तत्त्व 'जनता का विश्वास' ही खो दिया है जो अत्यन्त ही गंभीर है। जब जनता नहीं है और न उसका विश्वास है तो फिर लोकतंत्र की उपस्थिति असंभव है। असंवैधानिक राष्ट्रीय सलाहकार परिषद् का गठन कर राष्ट्रहित की बात करना दोगलापन ही है।
–डॉ प्रभात कुमार
वार्ड न-3,बीच बाजार, पत्रा–सोह सराय
जिला–नालन्दा-803118 (बिहार)
q सम्पादकीय में करोड़ों भारतीयों की सोच झलकती है। चाहे देश का कोई भी वर्ग हो वह मनमोहन सरकार से नाराज है। जब से यह सरकार आई है तब से महंगाई बढ़ती ही जा रही है। 2008 के आम चुनाव से पहले खुद मनमोहन सिंह कहते थे हमारी सरकार बनने के 100 दिन के अन्दर महंगाई रुक जाएगी। किन्तु कितने 100 दिन खत्म हो गए पर महंगाई घटी नहीं। इस कारण लोगों के मन से मनमोहन उतर रहे हैं।
–गोपाल
विवेकानन्द मिशन, गांधीग्राम
जिला–गोड्डा (झारखण्ड)
q एक अर्थशास्त्री प्रधानमंत्री के रहते भारत की अर्थव्यवस्था बिगड़ रही है। लगता है कि देश में सरकार नाम की कोई चीज ही नहीं है। आर्थिक ही नहीं हर मोर्चे पर यह सरकार विफल है। देश में महंगाई के कारण आम आदमी परेशान है,पर यह सरकार मस्त है। शायद इस सरकार को लगता है कि अपने वोट बैंक के बल पर वह फिर से चुनाव जीत जाएगी। ऐसी खुशफहमी किसी को नहीं पालनी चाहिए।
–दयाशंकर मिश्र
लोनी, गाजियाबाद (उ.प्र.)
q देश की जनता चाहती है कि यह सरकार जितनी जल्दी हो चली जाए। यह सरकार जनता के लिए भार बन चुकी है। इस सरकार के शब्दकोष में राष्ट्रहित और शर्म दोनों ही नहीं हैं। लोगों के कष्टों से यह सरकार यूं आंख चुराती है मानो उसको जनता से कोई लेना-देना ही नहीं है। मनमोहन सिंह को आखिर हो क्या गया है?
–ठाकुर सूर्य प्रताप सिंह सोनगरा
गांव व पो–कंडरवासा
जिला–रतलाम-457222 (म.प्र.)
q मनमोहन सरकार की सारी समस्याओं की जड़ भ्रष्टाचार और घोटालों का भारी-भरकम योग है। अर्थव्यवस्था के विशेषज्ञ प्रधानमंत्री और वित्त मंत्री की ऐतिहासिक जुगलबंदी महंगाई और बेरोजगारी का इतिहास बना रही है तो इससे बड़ा दुर्भाग्य देश का क्या होगा? डॉलर के मुकाबले रुपए का कमजोर होना और फिर भी अमीरों की संख्या का बढ़ना उद्योग जगत की सरकारी मिलीभगत का षड्यन्त्र नहीं तो और क्या है?
–हरिओम जोशी
चतुर्वेदी नगर, भिण्ड (म.प्र.)
q यह बात पूरी तरह सत्य है कि जो व्यक्ति झूठ बोलता है वह अन्दर से डरा हुआ होता है। इस वजह से वह कोई सही काम भी नहीं कर सकता है। यही हाल है हमारी केन्द्र सरकार का। इस सरकार ने न केवल जनता का विश्वास खोया है, बल्कि अपना भी विश्वास खो दिया है। इसलिए यह सरकार कुछ भी नहीं कर पा रही है। पड़ोसी देश आये दिन हमारे सामने चुनौती खड़ी कर रहे हैं पर यह सरकार चुप पड़ी है।
–राममोहन चन्द्रवंशी
अभिलाषा निवास
विट्ठल नगर, टिमरनी, जिला–हरदा(म.प्र.)
पहल से चहल–पहल
संघ लोक सेवा आयोग में 'अंग्रेजी अनिवार्य क्यों' पर प्रकाशित रपट अच्छी लगी। शिक्षा बचाओ आन्दोलन समिति के प्रयास ने रंग दिखाया और दिल्ली उच्च न्यायालय ने इस सम्बन्ध में कई निर्देश दिए हैं जो भारतीय भाषाओं के लिए बहुत ही मत्वपूर्ण हैं। यह बहुत ही दुखद है कि भारतीय भाषाएं पिछड़ रही हैं और अंग्रेजी आगे बढ़ रही है। गांव-गांव में अंग्रेजी माध्यम के विद्यालय खुल रहे हैं। सरकारी कार्यालयों में अंग्रेजी पढ़े-लिखे लोगों की अधिक पूछ हो रही है। हम लोगों में यह धारणा है कि अंग्रेजी के बिना कुछ नहीं हो सकता है। अंग्रेजी की जानकारी जरूरी है पर अंग्रेजी ही सब कुछ है यह सोचना गलत है।
–जमालपुरकर गंगाधर
13-3-11109, श्री नीलकंठ नगर
जियागुड़ा, हैदराबाद-6 (आं.प्र.)
असली चेहरा
मंथन 'वोट राजनीति का सच कैसे बताएं दल' में राजनीतिक दलों का असली चेहरा दिखाया गया है। जिन राजनीतिक दलों पर देश चलाने का जिम्मा है वे अपने बारे में किसी को भी कुछ बताने के लिए तैयार नहीं हैं। ऐसा नहीं होना चाहिए। राजनीतिक दलों को कब और कौन पैसा दे रहा है यह सबको पता होना चाहिए। यदि ये दल ऐसा करेंगे तो लोगों का उनके प्रति विश्वास बढ़ेगा।
–हरिहर सिंह चौहान
जंवरीबाग नसिया, इन्दौर-452001 (म.प्र.)
q इसमें कोई दो राय नहीं है कि सभी राजनीतिक दल पूंजीपतियों से पैसा लेते हैं। यह भी मैंने कहीं पढ़ा है कि कई बड़े घरानों के कालेधन से कई राजनीतिक दल मालोमाल हुए हैं। क्या कोई उद्योगपति किसी राजनीतिक दल को पैसा देता है तो उसके बदले उससे कुछ नहीं मांगता है? ऐसा तो हो नहीं सकता है। यही कारण है कि सरकारें आम आदमी के हितों की तो परवाह नहीं करती हैं, पर पूंजीपतियों के हितों का बहुत ख्याल करती हैं।
–मनीष कुमार
तिलकामांझी, जिला–भागलपुर (बिहार)
q केन्द्रीय सूचना आयोग ने राजनीतिक दलों के सन्दर्भ में जो निर्देश दिए हैं वे बिल्कुल सही हैं। राजनीतिक दल कहते हैं कि वे देश की सेवा करते हैं। पर क्या कोई सेवा करने वाला अपना कुछ छिपाता है? फिर ये राजनीतिक दल अपने बारे में लोगों को कोई जानकारी देना क्यों नहीं चाहते हैं? जो कांग्रेस कहती है कि आर टी आई उसकी देन है तो फिर उसी की बात क्यों नहीं मानती है?
–विकास कुमार
शिवाजी नगर, वडा, जिला-थाणे (महाराष्ट्र)
न्याय का अंधकार युग
मालेगांव बम विस्फोट की आड़ में नेशनल इन्वेस्टिगेशन एजेंसी (एनआईए) साध्वी प्रज्ञा सिंह और अन्य कुछ हिन्दुओं के साथ जो कर रही है वह बहुत ही शर्मनाक है। पाञ्चजन्य ने साध्वी प्रज्ञा के भाई भगवान सिंह,लोकेश शर्मा की पत्नी साधना,कमल चौहान के पिता राधेश्याम और दिलीप पाटेदार की पत्नी पद्मा के दुखभरे बयानों को प्रकाशित कर लोगों को सच्चाई बताने का प्रयास किया है। इनकी बातों से तो यही लगता है कि इस देश में हिन्दू ही हिन्दू पर अत्याचार कर रहा है। अदालत ने साध्वी प्रज्ञा को लेकर सरकार पर कई बार टिप्पणी की है कि साध्वी पर मुकदमा चलाना चाहते हो या उसकी मौत? इसका अर्थ तो यही है कि सरकार के पास साध्वी के विरुद्ध कोई ठोस सबूत ही नहीं है।
–वीरेन्द्र सिंह जरयाल
28-ए, शिवपुरी विस्तार, कृष्ण नगर
दिल्ली-110053
q लगता है भारत में न्याय का अंधकार युग लौट आया है। हिन्दुओं के साथ आज जिस तरह के अन्याय हो रहे है ऐसे अन्याय तो तो कभी नहीं हुए होंगे। पर आज तो हिन्दुओं के साथ हर मोड़ पर सौतेला व्यवहार किया जा रहा है। झूठे आरोप लगाकर हिन्दुओं को जेल में बंद किया जा रहा है। हिन्दू अपने विद्यालयों में अपने बच्चों को धर्म की शिक्षा भी नहीं दे सकता है। इस तरह के अनेक उदहारण हैं।
–नवीन साकिया
द्वारका, नई दिल्ली
q झूठे सेकुलरवादियों के कारण इस देश की न्याय प्रणाली भी बदनाम हो रही है, उस पर लोगों का विश्वास भी टूट रहा है। आतंकवादी घटनाओं में शामिल जिन लोगों के खिलाफ आरोपपत्र दाखिल हो चुके हैं उन्हें सरकारी दबाव पर छोड़ने की बात की जा रही है और जिन लोगों के विरुद्ध सरकार कोई सबूत नहीं जुटा पा रही उन्हें जेल में बन्द रखा जा रहा है। यह कैसा सेकुलरवाद है?
–मनोहर मंजुल
पिपल्या–बुजुर्ग
जिला–पश्चिम निमाड़-451225(म.प्र.)
विश्वासघात
'कैग जाल में केन्द्र सरकार' यह रपट पढ़कर यह कहना उचित होगा कि देश में रक्षा सचिव के पद पर कार्यरत रहे शशिकान्त शर्मा को केन्द्र सरकार ने नियन्त्रक महालेखा परीक्षक के पद पर नियुक्त करके देश की 122 करोड़ जनता के साथ विश्वासघात किया है। रक्षा सौदों में हुई गड़बड़ी की निष्पक्ष जांच वह व्यक्ति कैसे कर सकता है जो रक्षा सौदों में हुई गड़बड़ी के दौरान रक्षा विभाग में रक्षा सचिव जैसे महत्वपूर्ण पद पर थे? श्री शर्मा से पूर्व नियन्त्रक महालेखा परीक्षक के पद पर रहे विनोद राय ने राष्ट्रमण्डल खेल घोटाला व कोयला आवंटन घोटाले की जांच पूरी ईमानदारी व कर्तव्यनिष्ठा से करके केन्द्र की यूपीए सरकार के भ्रष्ट मंत्रियों के दागी चेहरों को जनता के सामने प्रस्तुत किया था।
–निमित जायसवाल
ग 39, ई.डब्लू.एस., रामगंगा विहार फेस
प्रथम, मुरादाबाद-244001 (उ.प्र.)
करनी होगी चीनी धमक की चिन्ता
पिछले अंक में चीनी प्रधानमंत्री ली कीकियांग की भारत यात्रा पर केन्द्रित रपट 'वही हुआ जो ली चाहते थे' में लिखा गया है कि ली ने अपने फायदे को ही सबसे ऊपर रखा। चीन से हमें बहुत कुछ सीखने की जरूरत है। चीनी नेता हमेशा अपनी ही बात करते हैं। इसी का परिणाम है कि आज पूरी दुनिया में चीनी सामान का बोलबाला है। मेरे एक जानकार अमरीका में रहते हैं। कुछ दिन पहले वे भारत आये थे। एक दिन वे मेरे घर आए और साथ में उपहार का एक पैकेट भी लाए। उन्होंने खुद ही बोला कि अमरीका से आप सबके लिए कुछ कपड़े लाया हूं। कुछ देर बाद जब वे चले गए तो उस पैकेट को खोला गया। उसमें मेरे लिए एक कमीज भी थी। बड़ी खुशी हुई कि उन्होंने अमरीका से मेरे लिए कुछ लाया। एक दिन उस कमीज को पहनते समय एक पंक्ति दिखी 'मेड इन चाइना'। मैं बड़ा हैरान हुआ और सोचने लगा कि चीन ने अमरीकी बाजार में भी दस्तक दे दी है। भारत का भी कोई ऐसा कोना नहीं है जहां चीनी सामान नहीं मिलता है। चाहे दीवाली की फूलझड़ियां हों,देवी-देवताओं की मूर्तियां हों या ईद की सेवइयां- सब कुछ चीन से आने लगी हैं। रक्षाबंधन के समय चीन में बनी राखियां खूब बिकती हैं। कागज, कलम से लेकर कपड़े तक चीन निर्मित मिल रहे हैं। बिजली का सामान, मोबाइल, कम्प्यूटर, घड़ी, होली के रंग क्या-क्या गिनाएं। यहां तक कि चीन से पढ़कर आने वाले चिकित्सक भी भारत में काम करने लगे हैं। अनेक दवाइयां और चिकित्सीय उपकरण भी चीन से आयात किए जा रहे हैं। इस कारण भारतीय अर्थव्यस्था बिगड़ रही है। अनेक उद्योग बंद हो चुके हैं। फिर भी हम चीन को लेकर चिन्तित नहीं हैं। जबकि जरूरत है भारतीय बाजार को चीन से बचाने की।
–विजय कोहली
सी-3ए-39 बी, एम आई जी फ्लैट्स
जनकपुरी, नई दिल्ली-110058
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