सपा-मुलायम और मुस्लिम तुष्टिकरण के पैंतरे
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उत्तर प्रदेश की सपा सरकार में अब मुस्लिम तुष्टीकरण के लिए ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती के उर्स (देहान्त के दिन) पर सार्वजनिक अवकाश की घोषणा की है। उल्लेखनीय है कि चिश्ती के उर्स पर किसी भी मुस्लिम देश तक में सार्वजनिक अवकाश नहीं होता है। यहां तक कि चिश्ती के जन्म स्थान अफगानिस्तान में भी अवकाश नहीं होता है। ख्वाजा चिश्ती की दरगाह राजस्थान के अजमेर में है, वहां भी उर्स पर छुट्टी नहीं होती है। यह भी उल्लेखनीय है कि है कि मोइनुद्दीन चिश्ती मोहम्मद गोरी द्वारा भारत पर हमलों के दौरान यहां आए थे। और अब केवल मुस्लिम ही नहीं बल्कि बड़ी संख्या में हिन्दू भी उनकी दरगाह पर चादर चढ़ाने जाते हैं। उत्तर प्रदेश में हजरत अली के जन्म दिवस (24 मई) पर भी सार्वजनिक अवकास होता है।
उधर उत्तर प्रदेश सरकार ने ऑल इण्डिया इत्तेहाद-ए-मिल्लत काउंसिल के प्रमुख तौकीर रजा खां को हथकरघा एवं वस्त्रोद्योग में सलाहकार बनाकर लाल बत्ती लगी गाड़ी भेंट की है। ये वही तौकीर रजा खां हैं जिन पर साम्प्रदायिक दंगे के सम्बंध में कई मामले चल रहे हैं। उनके खिलाफ कई आपराधिक मामले भी लम्बित हैं।
पिछले कुछ साल में बरेली में अनेक बार साम्प्रदायिक दंगे हुए हैं। माना जाता है कि कट्टरवादियों को भड़काने में तौकीर की अहम भूमिका रहती है। दंगे के आरोपी को लालबत्ती लगी गाड़ी देने पर भाजपा ने विरोध जताया है। 30 मई को भाजपा के प्रतिनिधिमण्डल ने बरेली के ए.डी.एम (सिटी) को एक ज्ञापन सौंपा है। ज्ञापन में कहा गया है कि इससे साम्प्रदायिकता को बढ़ावा मिलेगा।
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