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नक्सलियों के हमले की जांच में अंदरूनी व्यक्ति के शामिल होने की बात सामने आ रही है। जांच एजेंसियों के सूत्र बता रहे हैं कि नक्सलियों द्वारा किया गया सुनियोजित हमला बिना किसी अंदरूनी सूचना के अंजाम नहीं दिया जा सकता था।
कांग्रेस के नेताओं को घेरने के बाद नक्सलियों ने एक ही सवाल किया- 'नंद कुमार पटेल कहां हैं'? यानी नक्सली पहले से जानते थे कि यात्रा में नंद कुमार पटेल भी हैं। जहां हमला हुआ वहां सड़क के दोनांे तरफ कई किलोमीटर तक घने जंगल के अलावा कुछ नहीं है। गुरिल्ला युद्ध विशेषज्ञ ब्रिगेडियर बी.के. पंवार का कहना है कि आखिर जरूरत क्या थी इस रास्ते को अपनाने की? जिस व्यक्ति ने इस रास्ते पर चलने का सुझाव दिया उस पर सवाल खड़ा होता है।
खूंखार माओवादी महिला दस्ता
कांग्रेस की परिवर्तन यात्रा पर हमला करने वालों में बड़ी संख्या में महिला नक्सली थीं। इन महिला नक्सलियों ने ही पुरुष नक्सलियों के साथ मिलकर महेन्द्र कर्मा, नंद कुमार पटेल और उनके बेटे को बड़ी बेरहमी से मारा। कहा जाता है कि महिला नक्सली पुरुष नक्सलियों से ज्यादा बर्बर होती हैं।
सूत्रों के अनुसार महिला नक्सलियों की संख्या में दिनोंदिन बढ़ोतरी हो रही है। इन्हें पुरुष नक्सलियों की तरह खूंखार बनाने के लिए प्रशिक्षण दिया जाता है। महिलाओं को पहले बाल संगम में नियुक्त किया जाता है। बाल संगम में छह से 12 साल के बच्चे-बच्चियों को प्रशिक्षित किया जाता है। जब महिला 20 साल की हो जाती है तो उसे गहन प्रशिक्षण किया जाता है। महिला दस्ते को बम बनाने का भी प्रशिक्षण दिया जाता है।
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