नवाज शरीफ की जीत से
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भारत के शक्कर सम्राटों में प्रसन्नता की लहर
पिछले दिनों पाकिस्तान में बिना रुकावट आम चुनाव सम्पन्न होने पर लोग खुशियां मना रहे हैं।
पाकिस्तान के पत्र लिख रहे हैं कि पिछले 65 वर्षों में यह पहली सरकार है जिसे एक लोकतांत्रिक सरकार ने विरासत के रूप में सत्ता सौंपी है। इससे यह स्पष्ट हो जाता है कि अब पाकिस्तान में 'मार्शल ला' के दिन नहीं लौटेंगे। जनता के निर्वाचित प्रतिनिधि अब सरकार बनाएंगे और चलाएंगे भी। नवाज शरीफ जैसे लोकप्रिय और अनुभवी नेता सरकार बनाने जा रहे हैं। पाकिस्तान की राष्ट्रीय असेम्बली में 342 सीटें हैं, जिनमें 272 का चुनाव वोटों के माध्यम से आम जनता करती है। शेष 70 सीटें महिला एवं गैर-मुस्लिमों के लिए आरक्षित हैं। 60 प्रतिशत मतदान होना इस बात का सबूत है कि पाकिस्तान के मतदाता लोकतंत्र के प्रति जिम्मेदार बने हैं और परिपक्व भी। नवाज शरीफ को 125 सीटें मिली हैं। नवाज शरीफ को विश्वास है कि सदन में उन्हें पूर्ण बहुमत मिल जाएगा। इमरान खान, जो नवाज शरीफ के सबसे बड़े आलोचक हैं, ने शरीफ को यह विश्वास दिलाया है कि वे उनके साथ 'फ्रेंडली मैच' खेलने की नीति को अपनाएंगे। 26 निर्दलीय चुनाव जीत कर संसद में पहुंचे हैं। इसलिए नवाज शरीफ की सरकार हर स्थिति में बनने वाली है। पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी और इमरान खान की 'पाकिस्तान तेहरीके इंसाफ' इतने पीछे हैं कि उनसे नवाज शरीफ की सरकार को कोई खतरा नहीं हैं। नवाज शरीफ भारत के प्रति अपना सकारात्मक दृष्टिकोण दर्शा रहे हैं। इतना ही नहीं नवाज शरीफ और उनका परिवार पाकिस्तान के जाने-माने उद्योगपतियों में से एक हैं। इसलिए यह विश्वास भी व्यक्त किया जा रहा है कि पाकिस्तान आर्थिक गतिविधियों में अधिक से अधिक सहयोग प्रदान करेगा।
पाकिस्तान का 'डेली एक्सप्रेस' लिखता है कि भारत के शक्कर सम्राट नवाज शरीफ के प्रधानमंत्री बनने से बहुत उत्साही हैं। क्योंकि नवाज शरीफ परिवार के सात बड़े शक्कर के कारखाने केवल पंजाब में हैं। अन्य राज्यों में भी उनके सगे सम्बंधी चीनी मिल चलाते हैं। पिछले दिनों पाकिस्तान के 'अखबारे जहां' ने अपने एक विश्लेषण में नवाज शरीफ को शक्कर सम्राट की उपाधि दी थी। पाकिस्तान में शक्कर उद्योग प्रारम्भ से नवाज शरीफ परिवार के कब्जे में रहा है। नवाज शरीफ की जीत से भारत के शक्कर सम्राट खुश हैं। उनका मानना है कि भारत अब उनसे शक्कर खरीदेगा। भारत में गन्ने की पैदावार बड़े पैमाने पर होती है फिर भी यहां शक्कर की कमी रहती है। भारत के शक्कर सम्राट दूसरे देशों को चीनी की आपूर्ति कर देते हैं। इसलिए भारत में शक्कर का अभाव बना रहता है। इस स्थिति में भारत की शक्कर लॉबी पाकिस्तान से चीनी बड़े पैमाने पर खरीदेगी और देश-विदेश में उसे बेच कर मालामाल हो जाएगी। पत्र का यहां तक मानना है कि भारत के शक्कर सम्राटों ने नवाज शरीफ का स्वागत किया है। लेकिन दैनिक जसारत ने एक विश्लेषण में यह भी लिखा है कि अब दोनों देशों के शक्कर माफिया एक होकर भारत और पाकिस्तान की जनता को लूटने में पीछे नहीं रहेंगे। यह कहने की आवश्यकता नहीं कि नवाज शरीफ का परिवार पाकिस्तान का जाना-माना औद्योगिक घराना है। भारत विभाजन के पश्चात् नवाज शरीफ बंधुओं के पिता मोहम्मद शरीफ अमृतसर से लाहौर पलायन कर गए। जहां 1949 में नवाज शरीफ का जन्म हुआ। उनका परिवार उद्योग जगत में 'इत्तिफाक समूह' के नाम से जाना जाता है। जिसके पास असंख्य कम्पनियां हैं। पाकिस्तान में स्टील के वे जन्मदाता माने जाते हैं। उनकी अनेक स्टील कम्पनियां न केवल पंजाब, बल्कि पाकिस्तान के अन्य भागों में भी फैली हुई हैं। उनकी इस ताकत को तोड़ने के लिए 1975-76 में पाकिस्तान के तत्कालीन प्रधानमंत्री जुल्फिकार अली भुट्टो ने इन कम्पनियों का राष्ट्रीयकरण कर दिया था। यही वह बिंदु था जब अपनी इन कम्पनियों को पुन: प्राप्त करने के लिए नवाज शरीफ ने राजनीति का रूख किया। उस समय उनका केवल यही एक कार्यक्रम था कि अपनी स्टील कम्पनियों को वे किस प्रकार पुन: प्राप्त कर सकें? उन दिनों पाकिस्तान के पंजाब में आईएसआई के पूर्व निदेशक जनरल गुलाम जिलानी खान निर्वाचित होकर आए थे। गुलाम जिलानी खान को उन दिनों एक तेजतर्रार युवा नेता की आवश्यकता थी। जो उन्हें नवाज शरीफ के रूप में मिल गया। जिलानी खान ने नवाज शरीफ को वित्त मंत्री बना दिया। इसके एक वर्ष के पश्चात् नवाज शरीफ को 1980 में पंजाब एडवाईजरी बोर्ड का सदस्य बना दिया गया। जिसका नेतृत्व जनरल जियाउल हक कर रहे थे। इस प्रकार नवाज शरीफ जनरल जिया के निकट हो गए। जियाउल हक के साथ ही नवाज शरीफ उस समय ज्वाइंट चीफ ऑफ स्टाफ कमेटी के अध्यक्ष जनरल रहीमुद्दीन खान और आई.एस.आई. के महानिदेशक लेफ्टीनेंट जनरल हमीद गुल के भी अति निकट हो गए। इस प्रकार तत्कालीन पाक सेना के बड़े अधिकारियों की छत्र-छाया में वे चले गए। नवाज शरीफ जनरल जिया के कितने निकट थे इस बात का अनुमान इससे लगाया जा सकता है कि 1985 में उन्होंने जब राष्ट्रीय असेम्बली सहित सभी रियासतों की विधानसभाओं को भंग करते हुए नए चुनाव की घोषणा की थी तब केवल और केवल नवाज शरीफ की सरकार पंजाब में बची थी। इतना ही नहीं उसे अपनी अवधि पूर्ण करने की भी छूट दी थी। इस बीच विदेशी कम्पनियों और सत्ताधारियों से भी नवाज शरीफ के सम्बंध अत्यंत मधुर बनते चले गए। उनकी स्टील कम्पनियों का कारोबार सऊदी एवं खाड़ी के अन्य देशों में फैलता चला गया। इसी कारण जब परवेज मुशर्रफ ने नवाज शरीफ को सत्ता से बेदखल कर दिया था उस समय सऊदी अरब ने बीच-बचाव करके उन्हें निर्वासित जीवन व्यतीत करने के लिए जिद्दाह बुला लिया था। नवाज शरीफ जितने सत्ता में आगे बढ़ते चले गए उसी तेजी से उनकी एक बड़े उद्योगपति की छवि भी विकसित होती चली गई। आज वे 'स्टील किंग' के रूप में पहचाने जाते हैं। यदि भारत के साथ नवाज शरीफ की मित्रता सफल हो जाती है तो भारत जैसा एक बड़ा देश उनके व्यवसाय का भाग बन जाता है। इसलिए उदारीकरण की आड़ में नवाज शरीफ मनमोहन सिंह पर डोरे डालना चाहते हैं। भारत के प्रधानमंत्री तो आंख बंद कर इस दिन की प्रतीक्षा कर रहे थे। यदि दोनों के बीच व्यापारिक समझौते होते हैं तो दोनों देश एक-दूसरे का लाभ उठा सकते हैं। क्योंकि अपने उद्योग समूह को विकसित करने के लिए नवाज शरीफ बेचैन हैं। भारत इसे अपने लिए लाभ मान कर उस जाल में फंसता है तो यह फिलहाल दु:स्साहस ही कहलाएगा।
पाकिस्तान हर समय भारत से व्यापार करने की इच्छा दर्शाता है। वह भारत को 'मोस्ट फेवर्ड नेशन' का दर्जा देने के लिए भी उत्सुक है। लेकिन भारत आज तक चल रही पाकिस्तान की हुकूमतों पर विश्वास नहीं कर सकता है। इस मामले में उसे सबसे अधिक भय वहां की सेना का है। पाकिस्तान के कर्नल और जनरल भारत को कभी खुशहाल नहीं देखना चाहते हैं। वहां की आईएसआई भारत में घुसपैठ करके बंगलादेश का बदला लेना चाहती है। एक सैनिक सब कुछ माफ कर सकता है लेकिन जिसके हाथों उसकी पराजय हुई है उसे कभी क्षमा नहीं कर सकता है। इसलिए पाकिस्तान का खतरा भारत को हर समय रहेगा। इसमें दो राय नहीं हो सकती है। नवाज शरीफ अपने कारोबार का जाल फैला कर भारत को यदि अपने शिकंजे में लेना चाहते हैं तो इस बात को भारत की सेना कभी स्वीकार नहीं कर सकती है। पाकिस्तान का कोई भी शासक आज तक भारत के साथ नेक नीयती का बर्ताव नहीं कर सका है। आज भी पाकिस्तान चीन के अधिक निकट है। यह दोनों देश मिलकर कोई षड्यंत्र करते हैं तो भारत उसे भला किस प्रकार बर्दाश्त कर सकेगा? नवाज शरीफ अपने व्यावसायिक हितों से भारत को विदेशी मुद्रा का भंडार दिला सकते हैं लेकिन क्या उसे कश्मीर का वह भाग दिला सकेंगे, जिसके घाव भारत के शरीर पर आज भी ताजा हैं? पिछले 65 साल का इतिहास बताता है कि पाकिस्तान ने समय-समय पर भारत की पीठ में छुरा भोंका है। अब मनमोहन सिंह इस कौए को मोती चुगा कर हंस बनाने का प्रयास करेंगे तो भारत के साथ वही होगा जो आज तक होता रहा है। मुजफ्फर हुसैन
म्यांमार के मुस्लिम बसने लगे हैं भारत में
जिन लोगों ने भारत में करोड़ों बंगलादेशियों को बसाया, अब वे रोहिंग्याई मुस्लिमों को भारत में बसा रहे हैं। यही लोग इन मुस्लिमों को बंगलादेश के रास्ते भारत लाते हैं और यहां विभिन्न जगहों पर बसाते हैं। पिछले दिनों उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर स्थित बुढ़ाना में 43 रोहिंग्याई मुस्लिम आए थे। इनमें 18 बच्चे, 13 महिलाएं व 12 पुरुष हैं। स्थानीय मुस्लिमों की मदद से ये लोग बुढ़ाना की हिण्डन नदी के पुल के पास रह रहे थे। मीडिया के जरिए जब इनकी खबर फैली तो पुलिस-प्रशासन हरकत में आया। 27 मई को स्थानीय पुलिस ने इन मुस्लिमों से पूछताछ की। वे लोग किसी भी सवाल का सन्तोषजनक जवाब भी नहीं दे पाए। किसी के पास पोसपोर्ट भी नहीं मिला। इसलिए मुजफ्फरनगर की पुलिस ने इन लोगों को जबर्दस्ती दिल्ली की रेलगाड़ी पकड़ा दी यह कहते हुए कि वहां म्यांमार के दूतावात को अपनी जानकारी दो और फिर तुम्हारे रहने का प्रबंध दूतावास वाले ही करेंगे। पुलिस की इस कार्रवाई का विरोध स्थानीय मुस्लिमों ने किया। मालूम हो कि ये रोहिंग्याई मुस्लिम म्यांमार के रहने वाले हैं। वहां बौद्धों और मुस्लिमों के बीच जारी संघर्ष के कारण ये लोग बंगलादेश के रास्ते भारत आ रहे हैं। मूलत: ये लोग बंगलादेश के हैं। पर बंगलादेश इन्हें अपने यहां रहने नहीं दे रहा है। इस समय हरियाणा, उत्तर प्रदेश, जम्मू-कश्मीर, राजस्थान के कई स्थानों पर रोहिंग्याई मुस्लिम रह रहे हैं। कुछ भारतीय मुस्लिम सरकार से मांग कर रहे हैं कि इन्हें भारत की नागरिकता दो।
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