टेढ़ी चाल वाले चीन से सावधान!
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आवरण कथा 'ड्रेगन की दादागिरी' संकेत कर रही है कि चीन को लेकर भारत अपनी विदेश नीति बदले, अन्यथा उसकी आक्रामकता बढ़ती जाएगी। चीन की नीति है किसी भी तरह अपनी सीमा का विस्तार करना। विस्तारवादी चीन बहुत चतुर भी है। वह कूटनीति का माहिर खिलाड़ी है। उसे लगता है कि एशिया में कोई उसे चुनौती देगा तो वह भारत है! इसलिए वह भारत की घेराबंदी कर रहा है। किन्तु हमारी सरकार चीन की हरकतों से सतर्क नहीं हो रही है।
–ब्रजेश कुमार
गली सं. 5, आर्य समाज रोड मोतीहारी, जिला–पूर्वी
चम्पारण-845401 (बिहार)
o nÖù¶¨ÉxÉ हमारी सीमा के अन्दर आ जाता है और हमें पता ही नहीं चलता है। हमारा खुफिया तंत्र क्या करता रहता है? चीन पर हमें कड़ी नजर रखनी होगी। खुफिया विभाग को और मजबूत करने की जरूरत है।
–दिनेश गुप्ता
कृष्णगंज, पिलखुवा (उ.प्र.)
o +{ÉxÉä पड़ोसी देशों को लेकर भारत सरकार कड़ा रुख अपनाए। विशेषकर चीन और पाकिस्तान को लेकर। चीन ने पाकिस्तान से दोस्ती गांठ ली है। वह उसे कई आधुनिक हथियार भी दे चुका है। चीन और पाकिस्तान की दोस्ती भारत के लिए ठीक नहीं है। भारतीय कूटनीति विफल क्यों हो रही है?
–राममोहन चंद्रवंशी
अभिलाषा निवास, विट्ठल नगर टिमरनी, जिला–हरदा (म.प्र.)
o SÉÒxÉ जिस प्रकार से भारत को समुद्री एवं स्थलमार्ग से घेर रहा है उससे लगता है कि चीन एक सुनियोजित चाल के अन्तर्गत 1962 से भी अधिक खतरनाक खेल खेलने पर आमादा है। पाकिस्तान के परमाणु कार्यक्रम में सहयोग से लेकर लद्दाख एवं अधिकृत कश्मीर में सैन्य तंत्र का संजाल फैला रखा है। समय रहते भारत को पुरानी गलतियों से सीख लेकर चीन के प्रति कठोर कूटनीतिक फैसले लेने होंगे। जापान, दक्षिण कोरिया, वियतनाम व ताइवान जैसे चीनी साम्राज्यवाद के खिलाफ खड़े होने वाले देशों से राजनायिक संबंधों में प्रगाढ़ता बढ़ानी होगी। इसके अतिरिक्त देश में चीनी उत्पादों के आयात एवं व्यापार नीति में पुनर्विचार कर उसके आर्थिक स्रोतों पर करारा प्रहार करना होगा।
–रमेश कुमार मिश्र
ग्राम–कान्दीपुर, पत्रा–कटघरमूसा
जिला–अम्बेडकर नगर-224149
(उ.प्र.)
o ¦ÉÉ®úÒ भरकम सेना और साजो-सामान की अधिकता में चीन अपने सबल होने के दंभ में इस कदर इठलाता है कि पिछले साल 400 बार सीमा का उल्लंघन किया और इस वर्ष 100 बार सीमाओं को रौंदते हुए लद्दाख के दौलत बेग ओल्दी में इस प्रकार विराजमान हो गया मानो ढीठता दिखाना उसका जायज हक हो। क्या अन्तरराष्ट्रीय संबंधों की ऐसी अवहेलना विश्व शांति के मार्ग में खतरा नहीं है?
–हरिओम जोशी
चतुर्वेदी नगर, भिण्ड (म.प्र.)
o 1962 में चीनी सेनाओं की घुसपैठ को तत्कालीन प्रधानमंत्री नेहरू ने स्थानीय समस्या कहकर गंभीरता से नहीं लिया था। परिणामस्वरूप चीन ने अक्तूबर 1962 में हमारे देश पर आक्रमण कर दिया। चीनी सैनिकों का मुकाबला करने में हमारे 1423 सैनिक शहीद और 3018 घायल हुए। 3587 बंदी बनाये गये, 1655 सैनिक लापता हुए थे। लद्दाख का 37555 वर्ग किमी. क्षेत्रफल पर चीन ने कब्जा कर रखा है।
–विनोद कुमार सर्वोदय
नया गंज, गाजियाबाद (उ.प्र.)
o ½þ¨ÉÉ®äú घर में हथियार के साथ जबरदस्ती विदेशी आ बैठे और हम उनसे विनती करते हैं कि आप अपने घर वापस जाएं। शायद ऐसी नीति भारत के अलावा और किसी देश की नहीं होगी। खुद चीन भी बिन-बुलाए आए किसी विदेशी को बर्दाश्त नहीं करेगा। सीमा का उल्लंघन करने के आरोप में चीनी सैनिकों को गिरफ्तार किया जाना चाहिए था। लचर विदेश नीति से हम अपनी संप्रभुता की रक्षा ज्यादा दिन तक नहीं कर पाएंगे।
–सत्यदेव गुप्त
उत्तरकाशी (उत्तराखण्ड)
o SÉÒxÉ ने हमें खुली चुनौती दी। पर सरकार बड़ी बेशर्मी से कहती रही कि इस घटना को ज्यादा तूल न दें, सब ठीक हो जाएगा। भारत सरकार के इस रुख से देशवासियों को डर लगने लगा है। जब रोम जल रहा था तब वहां का शासक नीरो चैन से बंसी बजा रहा था। क्या भारत सरकार भी नीरो की भूमिका निभाएगी?
–ठाकुर सूर्यप्रताप सिंह 'सोनगरा'
कांडरवासा,रतलाम-457222 (म.प्र.)
o Eäòxpù सरकार की गलत नीतियों के कारण चीनियों की हिम्मत बढ़ती जा रही है। चार-पांच वर्ष पहले यूपीए के कार्यकाल के दौरान ही चीन द्वारा ब्रह्मपुत्र नदी पर बांध बनाने की योजना बनाई गई थी और उसकी धारा मोड़ने का प्रयास किया जा रहा था, तब यह सरकार सो रही थी। यदि उस समय कार्रवाई की जाती तो शायद आज चीनी सैनिक भारतीय सीमा के अन्दर नहीं घुसते।
–निमित जायसवाल
ग 39, ई. डब्ल्यू.एस.,
रामगंगा विहार, फेस प्रथम
मुरादाबाद-244001 (उ.प्र.)
सिर्फ मुखौटा
सम्पादकीय 'मन्नू तेरा क्या होगा' में प्रधानमंत्री डा. मनमोहन सिंह की कार्यशैली और 2 जी मामले में उनको बरी करने वाले पी.सी. चाको पर करारी चोट की गई है। मनमोहन सिंह तो सिर्फ एक मुखौटा हैं। उस मुखौटे की आड़ में कोई दूसरी ताकत इस देश पर राज कर रही है। उस ताकत को लग रहा है कि यदि मनमोहन सिंह लपेटे में आ गए तो उसका असली चेहरा सबके सामने आ जाएगा।
–गणेश कुमार
पाटलिपुत्र कालोनी, पटना (बिहार)
o b÷Éì. मनमोहन सिंह की पकड़ न तो अपनी सरकार में है और न ही अपनी पार्टी कांग्रेस में। इसलिए उनके मंत्री कुछ भी करते और बोलते हैं। विपक्षी दल बिल्कुल सही कह रहे हैं कि अब तक के सबसे कमजोर प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह हैं। जब किसी घर का मुखिया ही कमजोर होगा तो वह घर समस्याओं और अराजकता का गढ़ बन जाएगा। देश के साथ यही हो रहा है।
–उमेदुलाल
ग्राम–पटूडी पट्टी धारमण्डल
पो.-धारकोट
जिला–टिहरी गढ़वाल (उत्तराखण्ड)
कथित सामाजिक कार्यकर्ता तीस्ता जावेद सीतलवाड़ की करतूतों को उजागर करने के लिए पाञ्चजन्य की टोली को साधुवाद! तीस्ता ने अपनी बौद्धिक सम्पदा बेचकर सत्ता तंत्र के लिए एक समर्पित 'अभिकर्ता' के रूप में काम किया है। पारिश्रमिक के रूप में पद-पैसा तो पाया ही, नमस्कार और पुरस्कार की अधिकारी भी बनीं। उनके सहयोगी रईस खान पठान में अचानक परिवर्तन क्यों? कहीं ऐसा तो नहीं कि अनुबंध के अनुसार इनके हिस्से में कुछ कटौती कर दी गई हो? हाय रे बहुरूपिया सेकुलर!!
–डॉ. प्रभात कुमार
वार्ड नं. 3, बीच बाजार
पत्रा.-सोहसराय
जिला–नालन्दा-803118 (बिहार)
o iÉÒºiÉÉ सीतलवाड़ जैसे सेकुलर केवल हिन्दुओं को ही बदनाम नहीं करते हैं, बल्कि ये लोग विदेशों में भारत की भी बदनामी करते हैं। ऐसे ही एक मामले में सर्वोच्च न्यायालय ने तीस्ता को चेतावनी दी थी।
–बी.एल. सचदेवा
263, आई.एन.ए. मार्केट
नई दिल्ली-110023
o iÉÒºiÉÉ झूठ बोलने में पारंगत हैं। किसी झूठ को वह इस तरह प्रस्तुत करती हैं कि लोगों को वह झूठ भी सही लगने लगता है। यही कारण है कि आम लोगों के बीच उनकी छवि सामाजिक कार्यकर्ता की है। मेरे एक सहपाठी हैं, जो तीस्ता जैसों की तारीफ करते हैं। पाञ्चजन्य में तीस्ता के बारे में जो लिखा गया है वह उन्हें पढ़ाया। अब वे अपना विचार बदलने लगे हैं। राष्ट्रभक्तों की कम सक्रियता के कारण छद्म सेकुलरों की अच्छी छवि समाज में है। यदि हम उन पर प्रहार करते रहें, उनकी असलियत उजागर करते रहें तो उनका गुब्बारा फट जाएगा।
–सुधाकर मिश्रा
1 सी/बी-5, धवलगिरी अपार्टमेंट, सेक्टर-34, नोएडा (उ.प्र.)
बच्चों के लिए समय निकालें
'महिला अपमान और बेशर्म बयानों की पुरानी कहानी' और 'संस्कार बदले बिना नहीं होगा समाधान' इन दोनों लेखों के विचारों से मैं सहमत हूं। हम अपने बच्चों को वह संस्कार नहीं दे पा रहे हैं, जो उन्हें एक सभ्य नागरिक बना सके। अब परिवार के नाम पर माता-पिता और बच्चे हैं। घर में बड़े-बुजुर्ग जो संस्कार देते हैं उनसे आज के बच्चे वंचित हैं। जिन्दगी की आपाधापी के बीच अपने बच्चों के लिए भी थोड़ा समय निकालें। बच्चे संस्कारित होंगे तो समाज में अवांछित घटनाएं कम हो सकती हैं।
–हरिहर सिंह चौहान
जंवरीबाग नसिया
इन्दौर-452001 (म.प्र.)
अनेक पत्र ऐसे प्राप्त होते हैं, जिनमें केवल नाम लिखा होता है। इस स्थिति में उन पत्रों को प्रकाशित करने में कठिनाई होती है। अत: पाठकों से निवेदन है कि वे अपना पूरा नाम और पता पत्र के अंत में अवश्य लिखें। अंक से संबंधित पत्र समय पर भेजेंगे तो उन्हें स्थान देने में हमें सुविधा होगी। -सं.
घातक हैं कांग्रेसी नीतियां
आज की कांग्रेस पार्टी जिस तरह की नीतियां अपना रही है, वे राष्ट्रघाती ही सिद्ध हो रही हैं। यह कांग्रेस निर्लज्ज और कायर है। भारत के गरीबों का खून चूस रही है। इसने खाने, ओढ़ने-पहनने की सब चीजों पर भारी कर लगा दिया है। इस कर ने देश की 70 प्रतिशत जनता को गरीब बना दिया है। इसीलिए एक लाख से ज्यादा किसानों ने आत्महत्या कर ली है। इन बेशर्म राजनेताओं को शर्म नहीं आती है। कांग्रेस के नेताओं ने अरबों खरबों रुपया विदेशी कम्पनियों से रिश्वत लेकर भारत की जमीन, नदी, खनिज, जंगल, पहाड़, जल बेच दिये हैं। जितना देश का विनाश अंग्रेजों ने 150 साल में किया था, उससे बहुत ज्यादा इन्होंने 50 वर्ष में कर दिया है। कांग्रेस ने देशद्रोही मुस्लिम लीग को तथा कम्युनिस्टों को हमजोली बनाकर राष्ट्रघातियों को महिमामंडित कर दिया है। यह कांग्रेस देशभक्तों पर झूठे मुकदमे लाद रही है और राष्ट्रद्रोहियों के मुकदमे वापस करने के प्रयास में लगी है। इस कांग्रेस की हर योजना मुस्लिम-केन्द्रित ही क्यों है? इसे समझने की जरूरत है।
–चिम्मन लाल जैन
7/67, पथवारी
आगरा (उ.प्र.)
धोखा ही धोखा भरा, नाम रखा पर खेल
नोटों की बरसात में, भारी धक्कम पेल।
भारी धक्कम पेल, करोड़ों में बिकते हैं
लेकिन फिर भी ऊपर का लालच रखतेहैं।
कह 'प्रशांत' भारत में छाया संकट भारी
टीवी के कारण है फैली यह बीमारी।।
–प्रशांत
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