जनता को करनी होगी जल की चिन्ता
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जनता को करनी होगी जल की चिन्ता

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May 18, 2013, 12:00 am IST
in Archive
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दिंनाक: 18 May 2013 14:26:50

आवरण कथा 'पानी गया पाताल' के साथ महाराष्ट्र के अकाल की रपट पढ़ी। यह अकाल एक चेतावनी है कि जल संरक्षण का प्रबंध करो, नहीं तो एक-एक बूंद पानी के लिए तरसना पड़ेगा। कभी 10-15 फीट पर पानी मिलता था, अब 200 फीट पर भी नहीं मिल रहा है। हर साल अकाल पड़ने लगा है। फिर भी हम वर्षा जल को रोक नहीं रहे हैं।

–श्रीकान्त देशपाण्डे

पुणे (महाराष्ट्र)

n½þ¨É अपने-अपने घरों की छतों पर वर्षा जल को रोकें और उसे पाइप के जरिए जमीन के अन्दर ले जाएं। वर्षा जल बेकार न बहे। जल संरक्षण का यह तरीका गुजरात के कुछ जगहों पर अपनाया जा रहा है। पूरे भारत के लोगों को यह तरीका अपनाना चाहिए।

–ब्रजेश श्रीवास्तव

आर्य समाज रोड, मोतीहारी (बिहार)

n जल ही जीवन है। जल के बिना जीवन संभव नहीं है। फिर भी आदमी जल की कीमत नहीं समझ रहा है। जल का दोहन किया जा रहा है। हमारी जीवनशैली ही ऐसी हो गई, जिसमें अधिक से अधिक पानी की जरुरत पड़ती है। हमारी दिनचर्या प्रकृति से जुड़ी होनी चाहिए। बूचड़खानों को बन्द कर गोशाला खोलने और शाकाहारी बनने की जरूरत है। भारत हिन्दुस्थान बना रहेगा तो यहां पानी की कमी नहीं रहेगी।

–बी.आर. ठाकुर

सी-115, संगम नगर, इन्दौर (म.प्र.)

n जल माफिया की वजह से राजधानी दिल्ली में भी करोड़ों लोगों को पीने का पानी खरीदना पड़ता है। नेताओं और बड़े पैसे वालों ने जल पर कब्जा कर रखा है। दक्षिणी दिल्ली के कई इलाकों में पाइप के जरिए पानी की आपूर्ति नहीं हो रही है। कई बार फोन करने पर पानी का टैंकर आता है। एक-एक नेता के पास सैकड़ों पानी के टैंकर हैं। ये टैंकर वाले 500 रु. में 3000 लीटर पानी देते हैं।

–श्याम कोहली

जनकपुरी, नई दिल्ली

n पुणे में जल संरक्षण में लगे अरुण देशपाण्डे का काम अनुकरण करने लायक है। सरकार ऐसे लोगों को बढ़ावा दे तो निश्चित रूप से जल समस्या कुछ कम होगी। यह दु:खद है कि इस देश में कुछ लोगों ने जल को पैसा कमाने का साधन बना लिया है। यहां गर्मी के दिनों में सड़क के किनारे प्याऊ लगाकर लोगों को पानी पिलाने की परम्परा है। जल माफिया उस परम्परा पर गौर करें।

–हरिओम जोशी

चतुर्वेदी नगर, भिण्ड (म.प्र.)

n अब वैज्ञानिक इस नतीजे पर पहुंचे हैं कि पृथ्वी के केन्द्र का तापमान सूर्य की सतह के तापमान के बराबर हो गया है। यदि हम पृथ्वी के अन्दर बढ़ते तापमान को नहीं रोक पाए तो जीवनदायिनी नदियां सूख जाएंगी। इसके बाद जीव-जन्तुओं का क्या होगा, इसकी कल्पना भी नहीं की जा सकती है।

–राममोहन चंद्रवंशी

अभिलाषा निवास, विट्ठल नगर टिमरनी, जिला–हरदा (म.प्र.)

एक नहीं यूपीए

संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (यूपीए) की स्थिति का अच्छा विश्लेषण किया गया है। यूपीए के अन्दर खलबली मची हुई है। यूपीए की अगुवाई कांग्रेस कर रही है। यूपीए सरकार पर जब भी कोई दाग लगता है तो कांग्रेस बड़ी सफाई से उस दाग को अपने सहयोगी दलों पर लगा देती है। 2जी मामले में यही हो रहा है। 2जी के आवंटन में कांग्रेस के मंत्रियों का भी हाथ है, पर केवल राजा को कठघरे में खड़ा किया जा रहा है। इसलिए घटक दल यूपीए से निकलने का बहाना ढूंढ रहे हैं।

–गोपाल

गांधीग्राम, जिला–गोड्डा (झारखण्ड)

राष्ट्रघातक नीति

जम्मू–कश्मीर में पुलिसकर्मियों की भर्ती के लिए जो नीति अपनाई गई है वह विशुद्ध रूप से राष्ट्रघातक है और साम्प्रदायिकता को बढ़ावा देने वाला है। एक मजहब विशेष के लोगों की ही भर्ती हो रही है। इनमें कइयों का इतिहास राष्ट्रद्रोह जैसा रहा है। केन्द्र सरकार हस्तक्षेप करे और इस आधार पर  हो रही नियुक्ति को बन्द कराए।

–ठाकुर सूर्यप्रताप सिंह 'सोनगरा'

कांडारवासा, रतलाम-457222 (म.प्र.)

तुष्टीकरण का चश्मा

राजस्थान सरकार की तुष्टीकरण नीति पर चोट करती रपट 'राष्ट्रभक्तों को रखा देशद्रोहियों की कतार में' पढ़ी। राजस्थान सरकार को आज तक यह पता नहीं चल पाया है कि कौन-सा संगठन देशभक्त है और कौन-सा देशद्रोही। जिसकी नजर सिर्फ वोट पर रहती है उसे देशभक्तों और देशद्रोहियों के बीच फर्क दिखता ही नहीं है। कांग्रेसी तुष्टीकरण के चश्मे को उतार कर देखें तभी उन्हें सच्चाई दिखेगी। केवल मुस्लिमों को खुश करने के लिए किसी को देशद्रोही की कतार में खड़ा न करो।

–वीरेन्द्र सिंह जरयाल

28-ए, शिवपुरी विस्तार

कृष्ण नगर, दिल्ली-110051

n राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की तुलना राष्ट्रविरोधी कार्यों में लिप्त रहे जमात-ए-इस्लामी से करना निंदनीय है। राजस्थान की कांग्रेस सरकार द्वारा खेल में राजनीति को लाना गलत है। राजस्थान सरकार ने यह कुकर्म करके अपनी दोहरी मानसिकता का जो परिचय दिया है वह अशोभनीय है। पुरस्कार मिलने से पूर्व शपथपत्र की शर्त आने पर सैकड़ों खिलाड़ियों ने पुरस्कार वितरण कार्यक्रम का बहिष्कार करके सराहनीय कार्य किया।

–निमित जायसवाल

ग-39, ई. डब्ल्यू.एस.

रामगंगा विहार, फेस प्रथम मुरादाबाद-244001 (उ.प्र.)

गन्दी राजनीति

गत दिनों बेंगलुरू में हुए बम धमाके के बाद कांग्रेसी नेता शकील अहमद ने जो बयान दिया उस पर गुस्सा भी आता है और हंसी भी आती है। कांग्रेस ने अपने आपको उनके बयान से अलग रख कर दोहरे चरित्र का परिचय दिया। यदि शकील अहमद के इस बयान को सही समझें तो क्या श्रीमती इन्दिरा गांधी की हत्या के बाद कांग्रेस एवं राजीव गांधी को चुनावों में मिला प्रचण्ड बहुमत कांग्रेस को श्रीमती गांधी की हत्या के बाद का लाभ समझा जाए? देश में ऐसी गन्दी राजनीति होने लगी है कि लोग नेताओं की बातों को गंभीरता से नहीं ले रहे हैं।

–अयज शर्मा

7932/4, नई बस्ती

अम्बाला शहर (हरियाणा)

यही साम्प्रदायिक हैं

काफी दिनों से इस देश में 'धर्मनिरपेक्षता' और साम्प्रदायिकता का शोर मच रहा है। इस शोर को सुनते-सुनते कान पक गए। मैंने कई बार देखा है कि भीड़ भड़े बाजार में कोई जेबकतरा किसी की जेब काटकर यह कहते हुए दौड़ता है कि उसे पकड़ो-पकड़ो, उसने मेरी जेब काट ली है। यह कहकर वह लोगों का ध्यान बंटाने में सफल हो जाता है और खुद को बचा लेता है। धर्मनिरपेक्षता और साम्प्रदायिकता की रट लगाने वाले भी उसी जेबकतरे के समान हैं। ये लोग मजहब के आधार पर देश को बांट रहे हैं, अपने स्वार्थ के लिए साम्प्रदायिकता को बढ़ावा दे रहे हैं। किन्तु अपने को पाक-साफ रखने के लिए भाजपा और अन्य हिन्दुत्वनिष्ठ संगठनों पर आरोप लगाते हैं कि ये लोग बड़े साम्प्रदायिक हैं।

–लखनलाल गुप्ता

ओम निवास, 126, नेताजी सुभाष रोड, आसनसोल-713301

(प. बंगाल)

जाने का समय आ गया

प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने वित्तमंत्री के रूप में अपने पहले बजट भाषण (1991) में आर्थिक उदारीकरण की शुरुआत करते हुए विक्टर ह्यूगो के ये शब्द उद्धृत किये थे- 'दुनिया की कोई ताकत उस विचार को नहीं रोक सकती जिसका समय आ गया है।' इस कथन में थोड़ी फेरबदल के साथ कहना चाहूंगा कि दुनिया की कोई ताकत सोनिया-मनमोहन सरकार को बनाये नहीं रख सकती क्योंकि उसके जाने का समय आ गया है। कर्नाटक में कांग्रेस की जीत भी नहीं।

–अजय मित्तल

खंदक, मेरठ (उ.प्र.)

नालायक सरकार

इस घोटाला सरकार ने देश की छवि खराब कर दी है। यही कारण है कि श्रीलंका, मालदीव जैसे छोटे-छोटे मुल्कों की नजर में भी हमारा कोई सम्मान नहीं है। चीन देश की सीमा में 19 किलोमीटर के अन्दर तक आकर जमकर बैठ जाता है और हम मन मसोस कर सब बर्दाश्त कर लेते हैं। इस यूपीए-2 सरकार ने तो घोटालों की ऐसी फसल बो रखी है जो कभी खत्म होने का नाम ही नहीं ले रही और सरकार देश चलाने की बजाय इन्हीं में उलझी रहती है। उच्चतम न्यायालय सरकार को बार-बार ऐसे फटकार लगाता है जैसे किसी नालायक विद्यार्थी को अध्यापक फटकार लगाता है। क्या वास्तव में देश में सरकार नामक कोई संस्था है? अगर है तो उसकी शक्ति, तेजस्विता, धाक और अस्तित्व कहां है? आखिर सरकार 121 करोड़ लोगों की बेइज्जती क्यों करवा रही है? कब सरकार घोटालों के कीचड़ से निकल कर देश और विदेश में अपना वास्तविक चेहरा दिखाएगी?

–अरुण मित्र

324, राम नगर, दिल्ली-110051

यहां चांटा, वहां 'अपमान'

उत्तर प्रदेश के नगर-विकास मंत्री मोहम्मद आजम खां को (24 अप्रैल, 2013) जब अमरीका में बोस्टन हवाई अड्डे पर आवश्यक जांच से गुजरना पड़ा, तो उनका अहंकार जाग गया और उन्होंने अपने 'मुसलमान' होने के कारण हुए इस दुर्व्यवहार की भरसक निंदा की और अपने अन्य कार्यक्रम छोड़कर वापस आने का फैसला कर लिया। परन्तु जब आजम खां उत्तर प्रदेश में होते हैं तो वह किसी न किसी अधिकारी को जब चाहे बेहिचक अपमानित कर देते हैं। कभी-कभी हिंसा पर उतारू होकर चांटा तक मार देते हैं। पिछले दिनों उन्होंने एक रेलकर्मी को चांटा मारा तथा मुर्गा बनाया था। ये वही आजम हैं, जिन्होंने अपनी मुस्लिम राजनीति को हवा देने के लिए भारत माता के प्रति अपशब्द कहकर मुस्लिम साम्प्रदायिकता का जहर फैलाया था। 8 फरवरी, 2012 को गोरखपुर की एक चुनावी सभा में इन्होंने कहा था, 'बदलाव लाओ और सपा सरकार के गुजरे कार्यकाल को याद करो जब थाने के लोग दाढ़ी (संभवत: मुसलमान) पर हाथ धरने से डरते थे।' आजम खां के इसी बड़बोलेपन की बोस्टन हवाई अड्डे पर हवा निकाल दी गई। अमरीका जिहादी आतंकवाद से निपटने में लगा है। इसलिए वह हर किसी की जांच करता है। परन्तु आजम खां तो अमरीका को भी शायद भारत ही समझ बैठे, जहां जेलों में बंद संदिग्ध मुस्लिम आतंकवादियों को छुड़ाने की मुहिम चल रही है।

–आर.के. गुप्ता

बी-1238, शास्त्री नगर, दिल्ली-52

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