|
भारत के कुछ भागों को छोड़कर बाकी हिस्सों में कुछ साल पहले तक 10 से 15 फीट पर पानी मिल जाता था। अब तो कहीं-कहीं 200 फीट पर भी पानी नहीं मिल रहा है। जल स्तर बहुत तेजी से नीचे गिर रहा है। जिन जगहों पर कभी भी कुएं नहीं सूखते थे अब वहां भी कुएं सूखने लगे हैं। केन्द्रीय भूजल बोर्ड की एक हालिया रपट के अनुसार भारत के 55 प्रतिशत कुंओं में तेजी से जल स्तर गिरा है। यह गिरावट 2007-2012 के बीच सबसे अधिक रही है। दिल्ली और आंध्र प्रदेश के कुंओं में यह गिरावट सर्वाधिक पाई गई है। केंद्रीय भूजल बोर्ड ने 2007 और 2012 के दौरान मानसून पूर्व 11024 कुंओं का निरीक्षण करने के बाद यह रपट जारी की है। जल विशेषज्ञ इसके अनेक कारण मानते हैं। पहला कारण तो यह है कि जल का अति दोहन। सिंचाई में ही करीब 70 प्रतिशत जल खर्च हो जाता है। धनी देशों में यह उपयोग 44 प्रतिशत है और अल्प विकसित देशों में 90 प्रतिशत से अधिक है।
इसके बाद कल-कारखानों में पानी अंधाधुंध बहाया जाता है। एक महंगी कार के निर्माण में हजारों लीटर पानी लगता है। कारखानों में लगीं पानी की मोटरें दिन-रात पानी खींचती रहती हैं। विश्व बैंक की एक रपट के अनुसार भारत विश्व में सर्वाधिक भूजल प्रयोग करने वाला देश है। इस कारण भारत के 5723 भूजल खण्डों में से लगभग 30 प्रतिशत भूजल खण्ड खतरनाक, अर्द्ध खतरनाक या चिन्तनीय दशा में हैं और यह स्थिति भी तेजी से बिगड़ रही है। जल विशेषज्ञों का कहना है कि 2025 तक देश के लगभग 60 प्रतिशत भूजल खण्ड खतरनाक स्थिति में पहुंच जायेंगे।
भूजल के दोहन में न्यायालय के निर्देशों का पालन नहीं किया जा रहा है। जब से चीन निर्मित पानी की हल्की मोटरें आने लगी हैं तब से भूजल का दोहन और तेजी से होने लगा है। लोग आसानी से 250-300 फीट नीचे से भी पानी खींच ले रहे हैं। पूरे देश के किसान अपने-अपने खेतों में बोरवेल खुदवा रहे हैं और चीन की मोटर से बेहिसाब पानी खेतों में बहा रहे हैं। जल के इस दोहन को देखते हुए विशेषज्ञ कहने लगे हैं कि सन् 2025 तक हमारी जल खपत 1530 अरब घन मीटर तक पहुंच जाएगी। किन्तु वर्षा के अलावा हमारे पास और कोई जल सम्पदा नहीं है। इसलिए हमें जल को किसी भी सूरत में बचाना चाहिए। जब बड़ी संख्या में तालाब और जोहड़ हुआ करते थे तब भूजल का स्तर सामान्य बना रहता था,पर अब तालाबों और जोहड़ों को पाटकर घर बनाये जा रहे हैं। जल विशेषज्ञ कहते हैं कि भूजल के स्तर को ऊपर करने के लिए घरों की छत से जमीन के अन्दर तक एक पाइप लगाई जाय ताकि बारिश का पानी जमीन के अन्दर जा सके।
खाली हो रहे हैं भूजल भण्डार
भारत में विश्व के मात्र 4 प्रतिशत जल-स्रोत हैं, जबकि आबादी 17 प्रतिशत है। राष्ट्रीय जल नीति प्रारूप 2012 के अनुसार देश में 4000 अरब घन मीटर बारिश होती है। पर इसमें से 1123 अरब घन मीटर जल ही उपयोग में लाया जा सकता है। भारत के दो तिहाई भूजल भण्डार खाली हो चुके हैं। जो बचे हैं वे भी प्रदूषित हो रहे हैं। अधिकांश नदियां प्रदूषित हो गई हैं। उनका पानी पीने लायक नहीं रह गया है। कुछ साल पहले तक डब्बा-बंद गंगा जल में कीड़े पैदा नहीं होते थे। पर अब गंगा नदी से ही कई जगह बदबू आने लगी है।
यूएनओ की चेतावनी
कुछ दिन पहले ही संयुक्त राष्ट्र संघ 'यूएनओ' ने जल विकास रपट जारी की है। इस रपट में यूएनओ ने कहा है कि दुनिया के अनेक भागों में पानी की गंभीर समस्या है। अगर पानी की बर्बादी नहीं रोकी गई तो स्थिति बहुत ही खराब हो सकती है। सन् 2050 तक दुनिया की जनसंख्या 9 अरब हो जाने की संभावना है। पानी, भोजन की बढ़ती मांग और जलवायु परिवर्तन के कारण समस्या गंभीर होती जा रही है। इसी रपट में यूएनओ के महासचिव बान की मून ने कहा है कि कृषि की बढ़ती आवश्यकताओं, अन्न उत्पादन, बढ़ती ऊर्जा खपत, प्रदूषण और जल प्रबंधन की समुचित व्यवस्था न होने के कारण साफ पानी पर दबाव बढ़ रहा है।अरुण कुमार सिंह
टिप्पणियाँ