बंगलादेश में इस्लामवादियों का हिंसक प्रदर्शन
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ईशनिंदा विरोधी कानून बनाने की मांग, ढाका में आगजनी और पुलिस पर हमला
बंगलादेश की राजधानी ढाका को इन दिनों कट्टर इस्लामवादियों ने अपने मजहबी उन्माद का केन्द्र बनाया हुआ है। पिछले कुछ दिनों से वहां और आसपास के कांचपुर, मोतीझील इलाकों और चटगांव में जिस तरह से मुस्लिमों ने झुण्डों में पुलिस पर हमले किए और आगजनी की उससे साफ है कि उनकी ईशनिंदा विरोधी कानून बनाने की मांग की आड़ में शाहबाग चौक आंदोलन के बदले की कार्रवाई है। मई के पहले हफ्ते में शुरू हुए इन प्रदर्शनों में अब तक करीब 40 की मौत हो चुकी है। उपद्रवियों ने सड़कों पर जले टायर और लकड़ी के लट्ठे डाल कर उन्हें जाम कर दिया। पुलिस ने जब आंसू गैस और रबर की गोलियां दागीं तो भीड़ हिंसा पर उतर आई।
इस्लामवादियों की ईशनिंदा विरोधी कड़ा कानून बनाने की मांग को बंगलादेश सरकार ने यह कहकर निरस्त कर दिया है कि मुल्क पंथनिरपेक्ष उदारवादी कानूनों पर चलता है। राजनीतिक विश्लेषकों की राय है कि खालिदा जिया की पार्टी बीएनपी मजहबी कट्टरवादियों को उकसा रही है। इन हिंसक प्रदर्शनों के पीछे एक नये मजहबी उन्मादी गुट 'हिफाजते इस्लाम' का नाम सुनाई दे रहा है जिसे 'हिज्बते तहरीर' और 'जमाते इस्लामी' का समर्थन हासिल है। इन उन्मादियों की एक ही मांग है कि बंगलादेश में सौ फीसदी शरिया कानून लागू हो। यह सीधे सीधे वहां के हिन्दुओं और बौद्ध अल्पसंख्यकों को प्रताड़ित करने की चाल है। इस्लामवादी मुल्क का तालिबानीकरण करना चाहते हैं। मकसद एक ही है, फांसी की सजा पाए '71 की लड़ाई के वक्त मुल्क से गद्दारी करने वाले दिलावर हुसैन सईदी, कमरुज्जमां और दूसरे जमाते इस्लामी नेताओं को बचाना। लेकिन इस बार पुलिस भी मुस्तैद है और दंगाइयों को सख्ती से खदेड़ रही है।
चीनी सरकार और सेना कर रही है साइबर जासूसी:अमरीका
अमरीका भी आजकल चीन की हरकतों से बौखलाया हुआ है। उसे वहां की सरकार और सेना पर उसकी साइबर जासूसी किए जाने का शक है। यानी चीन ने अमरीका के कम्प्यूटर तंत्र में घुसपैठ कर ली है। 6 मई को अमरीकी रक्षा प्रतिष्ठान पेंटागन ने अपनी रपट में चीन पर यह आरोप लगाया है। यह पहली बार है जब अमरीका ने सीधे-सीधे चीन की सरकार और पीपुल्स लिबरेशन आर्मी पर ऐसा आरोप लगाया है। इतना ही नहीं, चीन की अपनी सेना को पुख्ता करने की कोशिशों पर भी रपट विस्तार से बताती है। उसके अनुसार, चीन नए लड़ाकू पोत, लड़ाकू जहाज और तथाकथित नजरों से दूर रहने वाली सैन्य मशीनरी पर भारी पैसा खर्च कर रहा है।
आखिर चीन अमरीका की साइबर जासूसी कर क्यों रहा है? इस पर रपट कहती है कि, चीन की साइबर जासूसी का खाका उसके प्रतिरक्षा और तकनीकी उद्योग को फायदा पहंुचाने और अमरीकी नीति-निर्माताओं की चीन को लेकर चल रही सोच में ताक-झांक करने के लिए तैयार किया गया है।
उधर चीन के विदेश मंत्रालय ने अमरीका की उस रपट पर तड़ से जवाब देते हुए वही मासूमियत दिखाई जैसी लद्दाख में सीमा से 20 किलोमीटर अंदर आकर भारत की जमीन पर तंबू तानकर डेरा जमाते वक्त दिखाई थी कि 'हमने क्या किया, हम तो पाक-साफ हैं।' चीनियों ने अमरीका को कहा, 'बीजिंग तो जी हर तरह की साइबर जासूसी के खिलाफ है। अमरीका तो जाने कब से चीन के प्रतिरक्षा कार्यक्रमों में भी मीन-मेख निकालता रहा है। यह काम तो पूरी तरह से देश की आजादी, संप्रभुता और भौगोलिक अखंडता बचाने के मकसद से चल रहा है जो कि किसी भी संप्रभु देश का हक बनता है।' विशेषज्ञ मानते हैं कि चीन की ताजा हरकतें उसकी दूसरे इलाकों तक अपना असर फैलाने की कोशिश ही है।
मंगलमूर्ति मोरया!
69 साल के प्रफुल्ल विसराम लंदन के लीसेस्टर इलाके में केटेरिंग का व्यवसाय चलाते हैं। रसोई में रोजाना खूब सब्जी-तरकारी आती है जिसे उनकी पत्नी रेखा संभालती हैं। अभी पिछले दिनों रेखा तरकारी के डब्बे खाली कर रही थीं कि उनकी नजर एक अजीब से दिखते बैंगन की तरफ गई। नजदीक से देखा तो वे रोमांच से उछल पड़ीं और गणपति बप्पा के जयकारे लगातीं अपने पति को बुलाने दौड़ीं। प्रफुल्ल ने आकर देखा तो वे भी हाथ जोड़कर खड़े हो गए। बैंगन में दोनों को साक्षात् गणपति बप्पा के दर्शन हो रहे थे। अंदर कुदरती तौर पर ऐसी आकृति बनी थी जो भगवान गणेश का आभास करा रही थी। चेहरा, सूंड, आंखें, कान सब अपनी जगह, हूबहू। बात फैली तो दूर तक गई। गणपति के भक्त आकर बैंगन में प्रकटे बप्पा के दर्शन करते, आरती उतारते और प्रसाद पाते। 'गणपति' को पूजा घर में रखकर अर्चना की जाने लगी, रोज दो बार आरती होने लगी। प्रफुल्ल इसे भगवान की विशेष कृपा मानकर प्रफुल्लित हैं। सुखकर्ता- दुखहर्ता उनके यहां खुद जो पधारे हैं। उनका केटेरिंग स्टोर इन दिनों तीरथ बन गया आलोक गोस्वामी
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