कर्नाटक विधानसभा चुनाव-2013
|
वेणुगोपालन
कांग्रेस को 121 सीटें मिलीं तो भाजपा को महज 40 गठबंधन की उम्मीद लगाए बैठी कांग्रेस को भी पूर्ण बहुमत से हैरानी
5 मई को सम्पन्न कर्नाटक विधानसभा चुनाव में कर्नाटक के मतदाताओं ने सात साल सत्ता से बाहर रही कांग्रेस को पूर्ण बहुमत सौंप दिया। जनता ने कुल 223 विधानसभा सीटों में से 121 पर कांग्रेस उम्मीदवारों को चुना है। सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी को 40 स्थान ही मिल पाए। निवर्तमान मुख्यमंत्री जगदीश शेट्टर का यह कहना जायज है कि कांग्रेस की जीत उसकी अपनी जीत नहीं है बल्कि भाजपा की अन्तर्कलह से उत्पन्न जनता की खीझ ने उसे सत्ता सौंपी है। राज्य में स्वास्थ्य, शिक्षा और किसानों की कई योजनाओं को लागू करने के बाद भी पार्टी जनता के सामने अपनी अन्तर्कलह के कारण शायद पूरे विश्वास के साथ नहीं उतर पाई।
1999 के चुनाव में भी जनता दल सरकार में आपसी अन्तर्द्वन्द्व और कलह के कारण जनता ने कांग्रेस को 135 सीटें देकर सत्ता सौंपी थी। 2004 में किसी भी पार्टी को बहुमत नहीं मिला था, तब कांग्रेस और जनता दल (से.) ने सरकार का गठन किया, परन्तु 20 माह बाद ही कलह की वजह से जद के नेता कुमारस्वामी ने भाजपा के साथ मिलकर सरकार का गठन किया था। भाजपा के नेता येदियुरप्पा उस समय उपमुख्यमंत्री थे। समझौते के अनुसार 20 माह के बाद येदियुरप्पा को मुख्यमंत्री बनाना था, परन्तु जद की सेकुलरी राजनीति ने मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने के बाद ही उन्हें अपदस्थ कर दिया। यहीं से शुरू हुई विश्वासघात की राजनीति, जिसके विरोध में जनता ने 2008 के चुनाव में भाजपा को 110 स्थान देकर सरकार बनाने का अवसर दिया। लेकिन मुख्यमंत्री पर भ्रष्टाचार के आरोप ने पार्टी की छवि को चोट पहुंचाई। दक्षिण में सत्ता का प्रवेश द्वार बने कर्नाटक की राजनीति में भाजपा ने तीन मुख्यमंत्री दिए। लेकिन लोकप्रिय जनहित कार्यक्रमों को लागू करने वाली भाजपा की छवि को नुकसान पहुंचाना ही पार्टी छोड़कर अपनी कर्नाटक जनता पार्टी बनाने वाले येदियुरप्पा का एकमात्र उद्देश्य बन गया था। उधर चुनाव प्रचार के दौरान कांग्रेस जनता के सामने भ्रष्टाचार पर मुंह खोलने से कतराती रही क्योंकि उसके नेतृत्व वाली केन्द्र सरकार के कई मंत्रियों पर लाखों -करोड़ों के भ्रष्टाचार के आरोप लगे हुए हैं। इसलिए यह सही है कि कांग्रेस की जीत अपनी जीत नहीं है, बल्कि उसकी जीत में भाजपा की खामी ही मददगार रही है। राज्य कांग्रेस तो पहले विपक्ष की सशत्त भूमिका निभाने में भी नाकामयाब रही थी। साथ ही राज्य की राजनीति में केन्द्रीय मंत्रियों के हस्तक्षेप की बात नई नहीं है। गौरतलब है कि राज्य के सशक्त नेता माने जाने वाले पूर्व मुख्यमंत्री एस.एम. कृष्णा को भी टिकट बंटवारे में दरकिनार कर दिया गया था।
कांग्रेस के स्थानीय और केन्द्रीय नेताओं को भी यह आशा नहीं थी कि कर्नाटक की सत्ता उनके पास पूर्ण बहुमत के साथ पहंुचेगी। वे यह मानते थे कि यहां गठबंधन की सरकार ही बनेगी।
विधानसभा चुनाव-2013
दलों की स्थिति
कांग्रेस………….. 121
भाजपा………….. 40
जद(से)…………. 40
केजेपी……………. 06
बीएसआर……… 04
समाजवादी पार्टी 01
अन्य……………… 11
टिप्पणियाँ