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प्रत्येक मृतक के परिजन को 10 लाख रु. देने की घोषणा हुई थी, किन्तु अभी तक केवल 7 लाख रु. मिले हैं।
मृतकों के बच्चे दर–दर की ठोकरें खा रहे हैं। जब छोटे थे तब सर से पिता का साया उठ गया। इस कारण पढ़ाई नहीं हुई। अब किसी फैक्ट्री में मजदूरी कर रहे हैं या भाड़े पर ऑटो चला रहे हैं।
तिलक विहार स्थित सामुदायिक भवन में गुरुनानक मिशन की ओर से एक विद्यालय चलता है, जिसमें दंगा पीड़ितों के बच्चे 130 रु. मासिक शुल्क पर अंग्रेजी माध्यम से शिक्षा पाते हैं। सूत्रों के अनुसार डीडीए ने उस विद्यालय को बंद करने का फरमान जारी किया है और किराये के रूप में 75 लाख रु. की मांग की है। इस कारण वहां के लोगों में गुस्सा है।
न्याय कैसे मिलेगा?
चण्डीगढ़ निवासी नवकिरण सिंह को आरटीआई के जरिए जानकारी मिली है कि दिल्ली में 740 मामले दर्ज हुए।
पर अभी तक सिर्फ 403 मामलों की सुनवाई हुई है।
शेष 337 मामलों की फाइलें कहां गईं, पता नहीं।
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