भारतीय शिक्षा पद्धति से ही होगा उद्धार
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हरिद्वार में आचार्यकुलम् का उद्घाटन
मनोज गहतोड़ी
देश के अनेक प्रमुख संतों की उपस्थिति में हरिद्वार में स्थित पतंजलि योगपीठ द्वारा स्थापित 'आचार्यकुलम्' का उद्घाटन हुआ। 26 अप्रैल को आयोजित उद्घाटन कार्यक्रम के मुख्य अतिथि थे गुजरात के मुख्यमंत्री श्री नरेन्द्र दामोदरदास मोदी। योगगुरु स्वामी रामदेव एवं उनके सहयोगी आचार्य बालकृष्ण के प्रयासों से स्थापित 'आचार्यकुलम्' को 50 हजार से अधिक लोगों की उपस्थित में हुए भव्य समारोह में संतों ने अपनी शुभकामनाएं दीं।' पेजावर मठ के पूज्य स्वामी विश्वेशतीर्थ, सुप्रसिद्ध रामकथा मर्मज्ञ मोरारी बापू, भागवत कथा मर्मज्ञ रमेश भाई ओझा, शांतिकुंज के प्रमुख डा. प्रणव पाण्डया, साध्वी ऋतंभरा, उनके गुरु युगपुरुष परमानंद जी, परमार्थ आश्रम (ऋषिकेश) के प्रमुख स्वामी चिदानंद मुनि, स्वामी रविन्द्र पुरी, आचार्य रामेश्वर शास्त्री, स्वामी बालकानंद, स्वामी हरिचेतनानंद, स्वामी ज्ञानचंद, रामेश्वर दास, स्वामी कृष्णमणि, सांसद योगी आदित्यनाथ, स्वामी प्रकाश परमात्मानंद, आनन्दमूर्ति गुरु मां संत, विजय कौशल महाराज, स्वामी द्वारकेश, साध्वी माधवप्रिया, आचार्य ब्रह्मदेव, स्वामी यतीश्वरानंद, संत गोविन्द गिरि ने मंच को सुशोभित किया। चार घंटे तक चले समारोह में इन प्रमुख संतों ने राष्ट्रवाद और राष्ट्र के कल्याण पर अपना वक्तव्य रखते हुए गुजरात के मुख्यमंत्री नरेन्द्र मोदी के कार्यों की प्रशंसा की।
गायत्री परिवार शांतिकुंज के प्रमुख डा. प्रणव पाण्डया ने अपने संबोधन में बताया कि उन्हें पंतजलि योगपीठ आने से रोकने के लिये कुछ लोगों ने यह कहा कि स्वामी रामदेव केन्द्र सरकार के निशाने पर हैं, आप भी केन्द्र सरकार के निशाने पर आ सकते हैं। इसके जवाब में उन्होंने कहा कि जो राष्ट्रकार्य स्वामी रामदेव कर रहे हैं, वह मुझे बेहद प्रिय है। अगर ऐसा है तब तो मैं निश्चय ही उस कार्यक्रम में जाऊंगा।
प्रख्यात कथावाचक मोरारी बापू ने कहा कि स्वामी रामदेव द्वारा किये जा रहे कार्य बेहद सराहनीय हैं। स्वामी रामदेव में संकल्प-शक्ति है। उन्होंने स्वामी रामदेव को 'व्यग्र संत' बताते हुए कहा कि व्यग्रता ही देश को आगे बढ़ाकर क्रांति पैदा करती है। शिक्षा के माध्यम से देश को बदलने का कार्य 'आचार्यकुलम्' द्वारा किए जाने की योजना को उन्होंने सराहनीय बताया। उन्होंने कहा कि शिक्षा, दीक्षा और भिक्षा तीनों की देश को जरूरत है। विश्व की प्यास शिक्षा-दीक्षा और भिक्षा से ही बुझ सकती है। भागवत् कक्षा मर्मज्ञ रमेश भाई ओझा ने गुजरात के मुख्यमंत्री मोदी को देश की आवश्यकता बताया।
समारोह के अंत में मुख्य अतिथि गुजरात के मुख्यमंत्री नरेन्द्र मोदी का उद्बोधन शुरु हुआ तो उपस्थित हजारों लोगों ने खड़े होकर ताली बजाकर उनका अभिवादन किया। श्री मोदी ने करीब 1 घंटा 10 मिनट के उद्बोधन से पूर्व संत समाज को दण्डवत प्रणाम करते हुए कहा कि संतों के आशीर्वाद से ही मैं ऊर्जावान एवं समर्थ बन पाया हूं। उन्होंने राष्ट्रवाद और देशभक्ति के लिये लोगों का आहवान करते हुए कहा कि स्वामी रामदेव ने सारे देश को कपालभाति योग करा दिया है, कुछ आसुरी शक्तियां उन्हें परेशान कर रही हैं। कपालभाति से उन ताकतों की भ्रांतियां भी जल्दी ही दूर हो जाएगी। उन्होंने कहा कि शक्ति से किसी को दबाया नहीं जा सकता। अंग्रेज भी दमन के द्वारा किसी को नहीं दबा पाये। भारत देश में जगद्गुरु बनने की सार्मथ्य है, विकास के द्वारा ही इस सम्मान को फिर से प्राप्त किया जा सकेगा। देश की जनता का पसीना भारत को नई ऊंचाइयों पर ले जायेगा। उन्होंने कहा कि विश्व का सबसे युवा देश भारत है। देश को बदलने की शक्ति भी युवाओं में हैं, और युवा संत स्वामी रामदेव युवाओं को स्फूर्ति प्रदान करने का काम कर रहे हैं। आचार्यकुलम भी उसी पथ का हिस्सा है। स्वामी रामदेव को श्री मोदी ने चमत्कारिक संत की संज्ञा दी। 'सर्वे भवन्तु सुखिन: सर्वे सन्तु निरामया:' के भाव को श्री मोदी ने अपने जीवन का ध्येय मंत्र बताते हुए कहा कि कुछ लोगों को हमारे इरादों पर शक है, जबकि सुशासन और भ्रष्टाचारमुक्त समाज ही हमारा ध्येय है। उन्होंने कहा कि मुझे कुर्सी के लिये संतों से आशीर्वाद नहीं चाहिये बल्कि देश के विकास और देश के लोगों को सुख पहुंचाने के लिये संतों से आशीर्वाद चाहिये। इस देश को नेताओं ने नहीं, ऋषि-मुनियों की वैदिक परम्पराओं ने बनाया और बचाया है। कार्यक्रम का संचालन स्वामी रामदेव और आचार्य बालकृष्ण ने संयुक्त रूप से किया।
पंतजलि योगपीठ (द्वितीय) के साथ नवनिर्मित 'आचार्यकुलम्' का सपना कई साल पहले योगगुरु रामदेव ने देखा था। गुरुकुल झज्जर (हरियाणा) से अपनी शिक्षा की शुरुआत करने वाले योगगुरु स्वामी रामदेव द्वारा 'आचार्यकुलम्' की स्थापना के पीछे आधुनिक शिक्षा एवं वैदिक शिक्षा का समावेश है। यहां छात्रों को वेद, संस्कृत, आयुर्वेद, अंग्रेजी का ज्ञान होगा तो साथ ही राष्ट्रप्रेम और आधुनिक शिक्षा पद्धति, संस्कार, संगीत भी छात्रों के जीवन का हिस्सा बनेंगे। प्रथम चरण में 1 से 6 तक की कक्षाएं शुरु की गयी हैं। जिसके लिये योग्य शिक्षकों का चुनाव भी पहले ही पतंजलि योगपीठ द्वारा किया गया है। यही नहीं आने वाले वर्षों में 12वीं तक के छात्रों को क्रमानुसार अगली कक्षाओं में प्रवेश मिल सकेगा। अभी आचार्यकुलम् में दो सौ छात्र एवं दौ सौ छात्राओं को प्रवेश दिया गया है। यहां से प्रशिक्षित होकर यह छात्र समूचे विश्व में गुरुकुलीय आचार्य परम्परा की सुगंध फैलाएंगे। पतंजलि योगपीठ के महामंत्री आचार्य बालकृष्ण ने बताया कि प्राचीन भारतीय शिक्षा पद्धति का स्वरूप कुछ ही वर्षों में आचार्यकुलम में दिखायी देगा। राष्ट्र की उन्नति में 'आचार्यकुलम' की भूमिका आने वाले वर्षों में अलग ही दिखायी देगी।
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