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गत 17 अप्रैल को बेंगलुरू में मल्लेश्वरम स्थित भारतीय जनता पार्टी के प्रादेशिक मुख्यालय के सामने प्रात: साढ़े दस बजे के लगभग हुए बम धमाके से स्थानीय लोगों में दहशत फैल गई। धमाके में 16 लोग घायल हुए जिसमें 11 पुलिसकर्मी और 5 नागरिक शामिल हैं। मल्लेश्वरम सघन बस्ती है, भाजपा कार्यालय के समीप ही तीन मंदिर भी स्थित हैं। बम धमाका इतना जबरदस्त था कि आस-पास के बहुमंजिली भवनों के शीशे और दरवाजे तक उखड़ गए। गौरतलब है कि राज्य विधानसभा का चुनाव 5 मई को है और उम्मीदवारों के नामांकन की अंतिम तिथि 17 अप्रैल ही थी। इसी दिन भाजपा कार्यालय के समीप बम धमाका करके आतंकवादियों द्वारा खौफ फैलाने की कोशिश की गई थी। राज्य के उपमुख्यमंत्री एवं गृहमंत्री आर.अशोक ने कहा, 'बम धमाका एक आतंकवादी कार्रवाई है। यह धमाका पार्टी कार्यकर्ताओं और नेताओं को लक्ष्य बनाकर किया गया था।' केन्द्रीय गृह राज्यमंत्री आर.पी.एन. सिंह ने भी कहा कि बम धमाका आतंकवादी गतिविधि का ही हिस्सा है। बेंगलुरू के पुलिस आयुक्त राघवेन्द्र औरदकर ने कहा कि बम धमाका राष्ट्रद्रोही कार्रवाई है और पुलिस विभाग की सभी इकाइयां जांच करने में लगी हैं। अभी किसी आतंकवादी संगठन ने बम धमाके की जिम्मेदारी नहीं ली है। लेकिन राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) के अनुसार बम धमाके में इंडियन मुजाहिद्दीन के मुखिया भटकल भाइयों का हाथ हो सकता है।
खुफिया एजेन्सियों के अधिकारियों का मानना है कि बम में 'इम्प्रोवाइस्ड एक्सप्लोसिव डिवाइस' का उपयोग किया गया था। 2005 से ही आतंकवादियों ने बेंगलूरू को अपना लक्ष्य बना रखा है। इसी साल इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस में 28 दिसम्बर की शाम आतंकवादियों ने गोलीबारी की थी जिसमें दिल्ली के वैज्ञानिक एम.सी. पुरी की मौत हो गई थी। उस समय लश्कर-ए-तोएबा आतंकवादी संगठन के 6 सदस्यों को बेंगलूरू की अदालत ने सजा सुनाई थी। 25 जुलाई 2008 को आतंकवादियों ने शहर के विभिन्न क्षेत्रों में 45 मिनट के दौरान रिमोट से नियंत्रित कर लगातार आठ बम धमाके किये थे। इस धमाके के आरोप में 30 लोगों पर मुकदमा चलाया गया जिसमें केरल स्थित पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी के मुखिया अब्दुल नसीर मदनी का नाम भी शामिल था। इसके बाद 17 अप्रैल 2010 को आईपीएल क्रिकेट मैच के दौरान चिन्नास्वामी क्रिकेट स्टेडियम के वीआईपी द्वार के समीप दो बम धमाके कर आतंकवादियों ने दहशत फैला दी थी। बम धमाके के आरोप में सऊदी अरब से फैज मोहम्मद को पकड़ कर लाया गया था।
17 अप्रैल 2010 के बाद अब 17 अप्रैल 2013 को किए गए बम धमाके को पुलिस अधिकारी आतंकवादी गतिविधि तो मानते हैं, उनका यह भी कहना है कि बम धमाके की योजना चुनाव के दौरान दहशत फैलाने के लिए बनाई गई थी। राज्य में आतंकी घटना होने की चेतावनी पहले ही आ चुकी थी, फिर भी इस घटना का होना कई सवाल खड़े करता है।
प्रारंभिक रपट के अनुसार बम में अमोनियम नाईट्रेट का उपयोग किया गया था। बम में नुकीली चीजों का अधिक उपयोग किया है जिससे नुकसान अधिक हो। पुलिस को उस मोटरसाईकिल के मालिक का पता चल गया है जिसका उपयोग बम धमाके के लिए किया गया था। परन्तु मोटर साईकिल मालिक ने उसे पांच साल पहले ही बेच दिया था, जांच एजेन्सियां अब उस खरीददार की खोज में लग गई हैं।
बेंगलुरू में अब तक हुए धमाके
28 दिसम्बर, 2005
25 जुलाई, 2008
17 जुलाई, 2010
17 अप्रैल, 2013
वेणुगोपालन
शकील की गंदी राजनीति
बेंगलुरू में बम धमाके के कुछ ही क्षणों बाद कांग्रेस के प्रवक्ता शकील अहमद ने बम धमाके को राजनीतिक रंग दे दिया। उन्होंने कहा कि बम धमाके से भाजपा को विधानसभा चुनाव में जनता की सहानुभूति मिलेगी। शकील अहमद का यह भी कहना था कि यदि किसी के घर में कोई हमला होता है तो उसे लोगों की सहानुभूति मिलती है।
कोई इनसे पूछे
क्या शकील यह कहना चाहते हैं कि बेंगलूरू में विस्फोट उनके 'घर' में हुई आतंकी कार्रवाई नहीं थी। क्या हिन्दुस्थान सब भारतीयों का घर नहीं है? कांग्रेसी नेता शकील जिहादी हमले में भी राजनीतिक नफा-नुकसान देख रहे हैं।
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श्रीमती इंदिरा गांधी और राजीव गांधी की आतंकी कार्रवाइयों में मौत हुई थी शकील का कहा देखें तो उस हिसाब से क्या कांग्रेस ने उन हत्याकाण्डों का फायदा उठाया है?
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