दर्द के सागर में पाकिस्तानी हिन्दू
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एक आतंकवादी की फांसी पर छाती पीटने वाले मानवाधिकारवादियों की जुबान अब क्यों बन्द है?
हिन्दुओं को पाकिस्तान से भारत ले आओ।
कोई हिन्दू मरता है तो मुसलमान उसे जलाने नहीं देते, दफनाने पर जोर देते हैं।
मेरे मरने पर मेरे शव को जलाया जाय, अस्थियां गंगा में विसर्जित की जाय। इसलिए मैं भारत आई हूं।
हैदराबाद के लक्ष्मण कहते हैं
पाकिस्तान में हिन्दू बकरे की तरह हैं। मुसलमान जब चाहते हैं उन्हें हलाल कर देते हैं।
मुसलमानों की ज्यादतियों ने मुझे जिन्दा लाश बना दिया है।
भारत के लोग हमारी मदद करें, हमारे बच्चों को लिखा–पढ़ा दें।
पूजा, दिव्या और सन्नी ये तीनों भाई- बहन हैं। पूजा की उम्र 14 साल है, दिव्या 12 वर्ष की और सन्नी 10 साल का है। ये तीनों पाकिस्तानी हिन्दुओं के उस जत्थे का हिस्सा हैं जो 10 मार्च को नई दिल्ली आया है। ये तीनों कभी भी रोने लगते हैं और अपने अब्बू – अम्मा से मिलने की जिद्द करने लगते हैं। जत्थे में शामिल लोग भी इन तीनों की करुण पुकार से पिघल जाते हैं, उन लोगों की भी अश्रुधारा बहने लगती है । साथ में आईं उनकी चाची तीनों को अपने सीने से लगा कर चुप कराने का प्रयास करती हैं तब कहीं उनकी सुबकियां थोड़ी कम होती हैं। पूजा पर अपने मां-बाप से बिछुड़ने का गम साफ दिखता है। मिलने-जुलने वाले हर व्यक्ति से वह एक ही बात कहती है मेरे अब्बू और अम्मा को यहां ला दो। वहां वे लोग (मुसलमान) उन्हें मार देंगे।
पूजा, दिव्या और सन्नी को उनके मां- बाप ने ही अपनी छाती पर पत्थर रखकर हैदराबाद (पाकिस्तान) से भारत भेजा है इस आस के साथ कि भारत में इनकी जान बच जाएगी, मुसलमान बनने से बच जायेंगे, कुछ जमात पढ़ लेंगे तो इनका भविष्य सुधर जायेगा।
जत्थे में शामिल लोगों ने बताया कि इन के अब्बू – अम्मा भारत इसलिए नहीं आ पाए कि उनके पास वीजा बनवाने और किराया के लिए पैसा नहीं है। वर्षों से पाई – पाई जोड़ – जोड़ कर रखने के बावजूद उनके पास अपने बच्चों को भारत भेजने लायक ही पैसा जमा हो पाया। अब उन्होंने सबसे छोटे बेटे बॉबी (8) को ही अपने पास रखा है। उन लोगों ने यह भी बताया कि पाकिस्तानी कट्टरपंथी हिन्दुओं को किसी भी सूरत में पाकिस्तान में नहीं रहने देना चाहते हैं। उन्हें साफ – साफ कहा जाता है कि यदि पाकिस्तान में जिन्दा रहना चाहते हो तो मुसलमान बन जाओ वर्ना नतीजा भुगतने के लिए तैयार रहो। इसलिए पाकिस्तानी हिन्दू भारत आने के लिए तड़प रहे हैं पर इन गरीब हिन्दुओं के पास वीजा बनाने और किराया के लिए पैसे नहीं हैं । पूजा, दिव्या और सन्नी के अब्बू-अम्मा बेहद गरीब हैं। पर अपने बच्चों की खातिर ही उन्होंने माया-मोह को छोड़कर अपने तीनों बच्चों को उस जत्थे के साथ भारत भेज दिया जिसका खुद ही कोई ठिकाना नहीं है। भला हो दक्षिणी दिल्ली के बिजवासन में रहने वाले नाहर सिंह का जिन्होंने पाकिस्तानी हिन्दुओं को अपने घर शरण दी है।
10 मार्च को आये जत्थे में 480 हिन्दू शामिल हैं। पिछले दिनों छह माह की एक बच्ची का निधन हो गया है। इसलिए अब इनकी संख्या 479 रह गयी है।
इन बेचारे पाकिस्तानी हिन्दुओं की भारत सरकार से एक ही मांग है कि उन्हें भारत में रहने दिया जाए। जत्थे में शामिल 70 साल की खैरा सिर्फ सिन्धी बोल और समझ सकती हैं। वह अपनी बेटी सीता के साथ यहां आई हैं। उनके तीनों बेटे, बहुएं और पोते- पोतियां सभी पाकिस्तान में ही हैं। उनकी याद में उनकी आंखें बहती रहती हैं । खाना भी कम खाती हैं। उनकी बेटी सीता के जरिये उनसे बात हुई। वह कहती हैं, 'हिन्दुओं को पाकिस्तान से भारत ले आओ। दरिंदों ने मुझ जैसी बुढ़िया को भी नहीं छोड़ा है। विरोध करने पर मेरे साथ मार- पीट की गयी। हिन्दू लड़कियों को मुसलमान जबरन उठा कर ले जाते हैं, मुसलमान बनाकर निकाह कर लेते हैं। कोई हिन्दू मर जाता है तो उसका अन्तिम संस्कार नहीं करने दिया जाता है। मुसलमान कहते हैं मुर्दा जलने से बदबू होती है। इसलिए मुर्दे को दफना दो। जो लोग ऐसा नहीं करते हैं उनके घरों में आग लगा दी जाती है, महिलाओं का उनके घर वालों के सामने ही बलात्कार किया जाता है। मैं एक हिन्दू हूं। हिन्दू रहकर ही मरना चाहती हूं। मेरे मरने पर मेरे शव को जलाया जाए, अस्थियां गंगा में विसर्जित की जाए। इसलिए मैं भारत आई हूं।'
हैदराबाद में फकीर का पेड़ चौराहे पर एक छोटी सी दुकान चलाने वाले लक्ष्मण की उम्र 45 साल है। पर उनकी शारीरिक और दिमागी हालत ठीक नहीं है। उन्हें दिखाई भी नहीं देता। एक हाथ में लाठी और दूसरे हाथ में किसी का सहारा मिलने पर ही वे कदम आगे बढ़ा पाते हैं। वे कहते हैं, 'चार साल पहले की बात है। एक दिन कुछ मुसलमान मेरी दुकान पर आये और बोले यहां से भाग जाओ। तुम काफिर हो, तुम सिर्फ गुलामी करोगे, नहीं तो मारे जाओगे। मैंने उनकी बात नहीं मानी तो एक दिन मुसलमानों की एक भीड़ आई। उस भीड़ ने मेरी दुकान लूट ली और मेरे सिर पर सरिये से वार किया गया। मैं बेसुध गिर पड़ा। एक हफ्ते बाद होश आया तो अपने को हस्पताल में पाया। महीनों हस्पताल में इलाज चला। पर अभी भी ठीक नहीं हो पाया हूं। अब शायद ठीक हो भी नहीं सकता। मुसलमानों ने मुझे जिन्दा लाश बना दिया है। उन लोगों ने मुझे हिन्दू होने की सजा दी है। पाकिस्तान में हिन्दू बकरे की तरह हैं। मुसलमान जब चाहते हैं हमें हलाल कर देते हैं। हिन्दू के बच्चे वहां पढ़ नहीं सकते हैं। हिन्दुओं को चपरासी की भी नौकरी नहीं दी जाती है। हम वहां कैसे रहें? भारत के लोग हमारी मदद करें, हमारे बच्चों को लिखा-पढ़ा दें।'
22 साल के रविप्रकाश कहते हैं, 'जब इस मुल्क में करोड़ों बंगलादेशी रह सकते हैं, लाखों तिब्बती रोजी-रोटी कमा सकते हैं, बड़ी संख्या में पाकिस्तानी मुसलमान रह रहे हैं, तो फिर पाकिस्तानी हिन्दू क्यों नहीं रह सकते हैं ? पाकिस्तान की मांग हिन्दुओं ने नहीं की थी,मुसलमानों ने की थी। जिन लोगों ने पाकिस्तान की खातिर बेगुनाहों का कत्ल किया वही लोग अब फिर से भारत में बस रहे हैं, उन्हें निकालने की बात कोई नहीं करता। पाकिस्तानी हिन्दुओं को ही खदेड़ने की बात क्यों की जाती है, जबकि यहां हमारा हिस्सा है। हमारे पुरखे बंटवारे के वक्त आते तो उन्हें यहां रहने दिया जाता। पर उस समय के नेताओं ने कहा था कि वहीं रहो सब ठीक हो जायेगा । उनकी बात मानकर हमारे बुजुर्गों ने गलती की थी। उस गलती को सालों से हम लोग भुगत रहे हैं। पाकिस्तान में अब करीब 20 लाख हिन्दू रह गए हैं, जबकि 1947 में 2 करोड़ थे। वहां के 1 करोड़ 80 लाख हिन्दू कहां गए? पूरी दुनिया में हर कौम की आबादी बढ़ रही है पर पाकिस्तान में हिन्दू मिटने के कगार पर खड़े हैं। ऐसा क्यों हो रहा है? यह सवाल पाकिस्तान सरकार से कोई क्यों नहीं पूछता है? अपने धर्म के लिए हम लोगों ने पाकिस्तान छोड़ा है। इसके बावजूद भारत सरकार हमें यहां से बाहर करने की कोशिश करेगी तो हम लोग पाकिस्तान वापस नहीं जायेंगे, सरकार चाहे तो हमें गोली मार दे। पाकिस्तान में दर-दर अपमानित होकर मरने के बजाय हम यहीं मरना चाहते हैं।'
एक छोटे से कमरे में गुमशुम बैठी रामकली (14) किसी से कुछ नहीं बोलती है। उसके ससुर लक्ष्मण ने बताया, 'पांच दिन पहले ही मेरी छह महीने की पोती (रामकली की बेटी) गुजर गयी है। गम की वजह से वह चुप रहती है। 14 साल की बच्ची मां बन गयी, यह पूछने पर लक्ष्मण ने बताया कि छोटी उम्र में शादी करना हमारी मजबूरी है। यदि शादी नहीं करेंगे तो कोई मुसलमान हमारी लड़की जबरन उठाकर ले जायेगा। लक्ष्मण ने यह भी बताया कि पाकिस्तान में कट्टरवादियों की तूती बोलती है। वहां कोई हिन्दू अपने बच्चे का नाम राम के नाम से भले ही रख ले किन्तु सरकारी दस्तावेजों में वह नाम दर्ज नहीं होता है। इस वजह से मेरी बहू के पासपोर्ट में रामकली की जगह अनारकली लिखा गया है।'
इन बेचारे पाकिस्तानी हिन्दुओं से बातचीत करने से अहसास हुआ कि इन लोगों को एक साजिश के तहत दर्द के सागर में धकेला जा रहा है। जो लोग इस दर्द को सहन नहीं कर पाते हैं और जिंदा रहना चाहते हैं वे मुसलमान बन जाते हैं। और जो लोग इस दर्द को सहते हुए अपने धर्म को नहीं बदलना चाहते हैं वे भारत की ओर रूख कर रहे हैं। पर सेकुलर भारत सरकार इन हिन्दुओं को भारत में देखना तक नहीं चाहती है। भारी दबाव के बाद भारत सरकार ने इन 479 हिन्दुओं की वीजा अवधि एक महीने के लिए बढ़ाई है । पर यह सरकार बार-बार यह कहती है कि पाकिस्तानी हिन्दू वापस लौट जायें। पर यही सरकार अदालत के आदेश के बावजूद बंगलादेशी घुसपैठियों को बंगलादेश नहीं भेजती है। उन मानवाधिकारवादियों की भी जुबान बन्द है, जो एक आतंकवादी की फांसी पर गला फाड़-फाड़कर चिल्लाते हैं।
शरणार्थी का दर्जा नहीं
पाकिस्तानी हिन्दुओं का दु:ख–दर्द देखकर पत्थर दिल इनसान भी पिघल जाए। पर भारत सरकार इतनी निर्मम है कि वह उन्हें वापस पाकिस्तान जाने की सलाह देती है। 15 मार्च को लोकसभा में गृह राज्यमंत्री मुलापल्लई रामचन्द्रन ने कहा कि भारत सरकार पाकिस्तानी हिन्दुओं को शरणार्थी का दर्जा नहीं देगी। उन्होंने यह भी बताया कि करीब 17 हजार पाकिस्तानी हिन्दू भारत में रह रहे हैं।
रामकली बनी अनारकली
पाकिस्तान में कट्टरवादियों की तूती बोलती है। वहां कोई हिन्दू अपने बच्चे का नाम राम के नाम से भले ही रख ले किन्तु सरकारी दस्तावेजों में वह नाम दर्ज नहीं होता है। साथ दी गई फोटो रामकली की है, पर इसके पासपोर्ट में पाकिस्तानी अधिकारियों ने रामकली की जगह अनारकली लिखा। इसी रामकली की छह माह की बच्ची अब नहीं रही।
पाकिस्तानियों की बर्बरता
l 8 मार्च, 2013 को लाहौर के बादामी बाग इलाके में ईसाइयों की जोसफ कालोनी में करीब 300 लोगों की उन्मादी भीड़ ने हमला किया।
l10 जनवरी, 2013 को 117 और 16 जनवरी को 89 शिया मुस्लिम उन्मादियों के हाथों मारे गए
l1 दिसम्बर 2012 को करांची के सोल्जर बाजार में श्री राम पीर मंदिर और उसके पास वाले घरों को ढहा दिया गया। अनेक हिन्दू परिवार बेघर हो गए।
l +MɺiÉ 2012 में सक्खर (सिंध) में मनीषा नाम की एक हिन्दू लड़की को मुस्लिम बनाकर उसका नाम महविश रखा गया। इसके बाद गुलाम मुस्तफा से निकाह कर दिया गया।
l+MɺiÉ 2012 में ही 11 साल की ईसाई लड़की रिम्शा पर कुरान फाड़ने का आरोप लगाकर उसे हवालात में बंद किया गया।
l 21 फरवरी 2012 को रिंकल कुमारी नाम एक हिन्दू लड़की को जबरन मुस्लिम बनाया गया, उसका निकाह एक मुस्लिम से कर दिया गया। पकिस्तान की सबसे बड़ी अदालत ने भी उसके साथ न्याय नहीं किया। इसके बाद पाकिस्तान से भारत आने वाले हिन्दुओं की रफ्तार बढ़ गयी।
नाहर तो एक ही हैं
नाहर सिंह जैसे लोग बहुत ही कम होते हैं। ये बोलने में यकीन नहीं रखते बल्कि बड़े साहस के साथ काम करते हैं। दक्षिणी दिल्ली के बिजवासन में रहने वाले नाहर सिंह पिछले दो साल से पाकिस्तानी हिन्दुओं की हर तरह से मदद कर रहे हैं। इन हिन्दुओं के लिए इन्होंने अपने 28 कमरे के मकान को किरायेदारों से खाली करा दिया है, जबकि इन्हें 60-70 हजार रुपए हर माह किराये के रूप में मिलते थे। अब उस मकान का बिजली और पानी बिल वे अपनी जेब से भरते हैं। हाल ही में इन्होंने 80 हजार का बिजली बिल भरा है। पाकिस्तानी हिन्दुओं के खाने-पीने, दवाई, कपड़े आदि का भी इंतजाम करते हैं। रात-बिरात कोई बीमार हो जाय तो उसे भी अपनी गाड़ी से अस्पताल ले जाते हैं, उसके इलाज का खर्च भरते हैं। यह सारा खर्च पहले वे खुद करते थे। उनके इस नेक काम में अब उनके रिश्तेदार, आस-पड़ोस के सेवाभावी लोग, विश्व हिन्दू परिषद् और आर्य समाज के कार्यकर्ता एवं दादा देव मंदिर भरथल के भक्त भी हाथ बंटाने लगे हैं। नाहर सिंह इन दिनों केन्द्रीय उत्पाद शुल्क विभाग में अधीक्षक हैं। इससे पहले वे भारतीय सेना और दिल्ली पुलिस को अपनी सेवायें दे चुके हैं।
इन्हें भारत की नागरिकता मिले
–डा. प्रवीण भाई तोगड़िया
गत 11 अप्रैल को विश्व हिन्दू परिषद् के अंतरराष्ट्रीय अध्यक्ष डा. प्रवीण भाई तोगड़िया इन पाकिस्तानी हिन्दुओं से मिले। उन्होंने कहा कि इतने अत्याचारों के बावजूद पाकिस्तान में इन हिन्दुओं ने अपना धर्म नहीं छोड़ा। इनका धैर्य और शौर्य देखकर मैं नतमस्तक हूं। भारत सरकार से उन्होंने मांग की कि इन हिन्दुओं को भारत की नागरिकता दी जाय। उन्होंने यह भी कहा कि इन हिन्दुओं के लिए विहिप वह सब करेगी जो उन्हें भारत में बसने में मदद दे।
अरुण कुमार सिंह
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