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विहिप की केन्द्रीय मार्गदर्शक मंडल बैठक में आए पूज्य संतों का मानना था कि सौ करोड़ हिन्दुओं के बीच उनके आराध्य का मंदिर सिर्फ इसलिए नहीं बन पा रहा है क्योंकि राजतंत्र उनके पक्ष में नहीं है अत: संत अब वैसा ही जनजागरण चाहते हैं जैसा कि ढांचा गिरने के समय था।
मणिराम छावनी के महंत नृत्यगोपालदास जी ने कहा कि विवादित ढांचा गिराने के लिए हिन्दू शक्ति जागृत हुई थी, लोग कष्ट सहकर अयोध्या आए और उनके मनोबल से कलंक का चिह्न समाप्त हो गया था। आज कृष्ण जन्मभूमि तथा काशी विश्वनाथ मंदिर की स्थिति पूर्ववत् ही है। अब अदालत भी अयोध्या में उस स्थान को रामजन्मभूमि मानती है, लेकिन केन्द्र सरकार चुप है। सरकार पर जब तक जनमानस का दबाव नहीं होगा यह कार्य पूर्ण होने वाला नहीं है। महंत जी ने कहा कि श्रीराममंदिर निर्माण से हिन्दुओं की पहचान जुड़ी है। जनजागरण को महत्वपूर्ण बताते हुए उन्होंने कहा कि इससे हिन्दू समाज राम काज के लिए उठ खड़ा होगा।
जगद्गुरु मध्वाचार्य स्वामी विश्वेशतीर्थ जी ने पांचजन्य से बातचीत में कहा कि राज और तंत्र का तप व मंत्र से सामंजस्य जरूरी है। संतों को जनजागरण हेतु अगुआई के लिए निकलना होगा। स्वामी जी ने कहा कि आज जनजागरण के लिए उचित समय है क्योंकि हमारी सरकार निष्क्रिय है, भ्रष्टाचार और मुस्लिम तुष्टीकरण में लिप्त है, लोग नाराज हैं। हिन्दू समाज के इस संकल्प को पूरा करने के लिए हिन्दुत्वनिष्ठ राजकीय सत्ता चाहिए।
पंजाब से आए महामंडलेश्वर गंगादास जी ने कहा कि देश की एक महिला सारे हिन्दुओं के हाथ में बाइबिल पकड़ाने का प्रयास कर रही है और हम चुप हैं। आज समय आ गया है कि संत आश्रम, मठ, मंदिर छोड़कर जनजागरण के लिए निकलें।
चित्तूर, आंध्र प्रदेश से आए अम्मा भगवान के प्रतिनिधि नमन महाराज ने कहा कि श्रीराममंदिर का निर्माण हमारी आध्यात्मिक चेतना से जुड़ा है। भगवान से भक्तों को दूर करने का प्रयास अन्याय है। उड़ीसा के स्वामी परमानंद ने सुझाव दिया कि विजय मंत्र के जाप के साथ ही हमारे संत 14 दिन के लिए अपने आश्रमों से निकलें और अपने भक्तों में श्रीराममंदिर निर्माण के प्रति भाव जगाएं। गुरुकुल प्रभात आश्रम के अधिष्ठाता स्वामी विवेकानंद जी ने कहा कि श्रीराम का मंदिर बाबर के सेनापति ने तोड़ा था इसलिए उसका निर्माण राजा ही करेगा। संत प्रयास करें और ऐसा प्रयास करें कि संसद में हमारे 423 सांसद हों। स्वामी जी ने कहा कि प्रयास होना चाहिए कि राष्ट्रद्रोही, राम विरोधी लोग संसद में प्रवेश न कर पाएं।
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