जैव संपदा का संरक्षण करें
|
विविध
कोलकाता में श्री बड़ाबाजार पुस्तकालय के तत्वावधान में 'हिन्दी दिवस समारोह'
गत 16 सितंबर को कोलकाता में श्री बड़ाबाजार कुमारसभा पुस्तकालय के तत्वावधान में हिन्दी दिवस समारोह का आयोजन किया गया। प्रसिद्ध कवि भवानी प्रसाद मिश्र की जन्मशती पर केन्द्रित आयोजन में उनके गीतों की संगीतात्मक प्रस्तुति सुपरिचित गायक श्री ओम प्रकाश मिश्र ने की। उनकी सुप्रसिद्ध कविता 'गीत-फरोश' की आवृति श्री राजेन्द्र कानूनगो ने की।
कार्यक्रम को संबोधित करते हुए डा. कुश चतुर्वेदी ने कहा कि कवि समाज का प्रहरी होता है। इस दायित्व को भवानी भाई ने पूरी ईमानदारी से निभाया। उन्होंने लोक मंगल की भावना के साथ शब्द की आराधना की। उन्होंने कहा कि भवानी भाई की कविता नूतनता और परम्परा का सेतु है। वे कविता को दुरूह बनाने के पक्षधर नहीं थे। वे बतकही के कवि थे।
इलाहाबाद उच्च न्यायालय के वरिष्ठ अधिवक्ता श्री प्रदीप कुमार ने अपने वक्तव्य में न्यायालयों में हिन्दी की स्थिति तथा भावी संभावनाओं पर तथ्यपूर्ण प्रकाश डाला। उन्होंने प्रादेशिक भाषाओं को सम्मान प्रदान करने पर भी बल दिया। इस अवसर पर 'इटावा हिन्दी सेवा निधि' की ओर से 2011 का 'आचार्य विष्णुकांत शास्त्री स्मृति विशिष्ट हिन्दी सेवा सम्मान' महानगर की प्रमुख हिन्दी सेवी डा. तारा दूगड़ को दिया गया। पुस्तकालय के अध्यक्ष डा. प्रेमशंकर त्रिपाठी ने अतिथियों का स्वागत करते हुए हिन्दी की महत्ता पर प्रकाश डाला। समारोह अध्यक्ष श्री जुगल किशोर जैथलिया ने कहा कि हिन्दी हमारे स्वाभिमान की भाषा है। इसका प्रयोग हमें अपनी दैनिक जरूरतों में करना चाहिए। समारोह का संचालन पुस्तकालय की साहित्य मंत्री श्रीमती दुर्गा व्यास ने किया। इस अवसर पर रंगकर्मी श्री विमल लाठ, श्रीमती रवि प्रभा वर्मन, श्रीमती शारदा फतेहपुरिया, डा. अरुण प्रकाश आदि विशेष रूप से उपस्थित थे।
उदयपुर में स्वदेशी जागरण मंच द्वारा संगोष्ठी
जैव संपदा का संरक्षण करें
–डा. भगवती प्रसाद शर्मा, अ.भा. सह संयोजक, स्वदेशी जागरण मंच
स्वदेशी जागरण मंच, उदयपुर के तत्वावधान में गत दिनों उदयपुर में विचार गोष्ठी का आयोजन किया गया। कार्यक्रम के मुख्य वक्ता स्वदेशी जागरण मंच के अ.भा. सह संयोजक डा. भगवती प्रसाद शर्मा थे
संगोष्ठी में उपस्थित गण्यमान्य लोगों से भारतीय संस्कृति के आध्यात्मिक-सांस्कृतिक मूल्यों की रक्षा के साथ-साथ जैव संपदा के संरक्षण का आह्वान करते हुए डा. भगवती प्रसाद शर्मा ने कहा कि हम अपनी ऐतिहासिक तथा सांस्कृतिक धरोहर के प्रति गौरवान्वित महसूस तो करते ही हैं। साथ ही हमें जैविक संपदा पर भी गर्व करना चाहिए। क्योंकि जैव विविधता की दृष्टि से भारत एशिया में चौथे और विश्व में 10वें स्थान पर है। उन्होंने कहा कि भारत चावल, गन्ना, जूट, आम, नीबू, केला, बाजरा एवं सैकड़ों आयुर्वेदिक जड़ी-बूटियों का उत्पत्ति स्थल है। 30 से 50 हजार प्रकार की प्रजातियां चावल, मटर, आम, हल्दी व अदरक की हैं। 33 प्रतिशत वानस्पतिक प्रजातियां तो भारत के बाहर मिलती ही नहीं हैं। डा. शर्मा ने कहा कि हमारी आयुर्वेदिक चिकित्सा पद्धति तो पूरी तरह वनस्पतियों में पाये जाने वाले रसायनों पर ही आधारित है। अनेक पश्चिमी देश हमारे यहां की प्रजातियों को अनैतिक तरीकों से अपनी प्रयोगशालाओं में ले जाने का प्रयास कर रहे हैं। हल्दी, नीम तथा बासमती चावल जैसी हमारी प्रजातियों को पेटेंट कराने का प्रयत्न अमरीका व अन्य देश लगातार कर रहे हैं। हमारे पूर्वजों ने इन प्रजातियों की उपयोगिता एवं विभिन्नताओं का विस्तृत अध्ययन कर इनके महत्व को जाना तथा जन सामान्य को प्रकृति के नियमानुसार जीने का उपदेश दिया। उन्होंने कहा कि हमारे त्योहारों, पूजा-विधानों, यज्ञ-हवन, व्रत-उपवासों में वनस्पतियों का अत्यधिक महत्व है। हम इन प्रजातियों का उपयोग विभिन्न रूपों में करते तो आए हैं। लेकिन इनके बारे में हमने आज की आवश्यकता के अनुरूप सही तथा वैज्ञानिक दृष्टि से जानकारी संग्रहित नहीं की है। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि डा. ओंकार सिंह राठौड़ ने कहा कि हम विदेशी संस्कृति के अवगुणों को ग्रहण कर हमारी पुरातन पहचान को भुला रहे हैं। कार्यक्रम का संचालन महानगर संयोजक श्री पुरुषोत्तम शर्मा ने
टिप्पणियाँ