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l 26 नवम्बर, 2011 को मुम्बई पर हमला l 10 पाकिस्तानी आतंकवादियों में से एकमात्र जीवित पकड़ा गया कसाब l कसाब पर नरसंहार, राष्ट्रद्रोह, भारत के विरुद्ध युद्ध, षडयंत्र आदि के तहत मुकदमा चला l 11,000 पन्नों का आरोप पत्र l 15 अप्रैल, 2009 को निचली अदालत में सुनवाई शुरू हुई l 191 दिन तक सुनवाई, 653 की गवाही l 17 मई, 2010 को निचली अदालत ने फांसी की सजा सुनाई l 21 फरवरी, 2011 को मुम्बई उच्च न्यायालय ने फांसी की सजा बरकरार रखी l 29 अगस्त, 2012 को सर्वोच्च न्यायालय ने भी फांसी पर ही मुहर लगाई।
अभी और क्या है बाकी…
l कसाब की ओर से पुनर्विचार याचिका दायर की जा सकती है l क्यूरेटिव पिटीशन (न्याय की तकनीकी आधार पर समीक्षा की याचिका) l राष्ट्रपति के समक्ष दया याचिका
सर्वोच्च न्यायालय ने कहा–
l मुम्बई पर हमला भारत के खिलाफ युद्ध था। l यह भारत की संप्रभुता पर हमला था। l पाकिस्तान में इसकी साजिश रची गई। l हमले का उद्देश्य ज्यादा से ज्यादा भारतीयों और विदेशियों को मारना था l यह तथ्य भारतीयों की आत्मा को झकझोरते हैं। l इस हमले की साजिश गहरी और निंदनीय थी। इसकी पूरी तैयारी, प्रशिक्षण और क्रियान्वयन निर्दयतापूर्ण था। l पूरी साजिश का उद्देश्य भारत के आर्थिक केन्द्र को निशाना बनाकर, भारत की आंतरिक शांति और स्थिरता को भंग करना, साम्प्रदायिक सौहार्द को बिगाड़ना, भारत से कश्मीर को अलग करना और विदेशियों को बंधक बनाकर अन्य देशों से अपनी शर्ते मनवाना था। l बड़े पैमाने पर लोगों को मौत के घाट उतारा गया, सिर्फ इसलिए क्योंकि वे भारतीय थे। l कसाब बहुत चालाक और धूर्त्त है। उसका अपराध स्वीकृति का बयान स्वैच्छिक था। कसाब में सुधार की कोई संभावना नहीं। मुम्बई पर हमला विरलतम अपराध था। कसाब को सिर्फ फांसी की सजा ही दी जा सकती थी।
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