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एक तरफ सत्तारूढ़ समाजवादी पार्टी के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव उत्तर प्रदेश की बिगड़ती कानून-व्यवस्था को सुधारने के लिए पुलिस और प्रशासनिक अधिकारियों के साथ बैठकें कर रहे हैं तो दूसरी तरफ उनके अपने ही 'माननीय' कानून-व्यवस्था के लिए समस्या बन रहे हैं। और तो और समाजवादी पार्टी के ये 'माननीय' अब अपनी मर्यादा भूल पुलिसवालों को धमकाने के साथ-साथ गाली-गलौज करने और मारने-पीटने के निचले स्तर तक उतर आए हैं। प्रदेश में समाजवादी पार्टी के शासन का पुराना इतिहास फिर दोहराया जा रहा है, सिर्फ मुख्यमंत्री का चेहरा बदला है, चाल-चलन नहीं। उदाहरण के लिए, प्रयाग (इलाहाबाद) और उसके आस-पास के जनपदों से जुड़े 'माननीयों' की करतूतों से कानून के रखवाले ही भयभीत और आक्रोशित हो रहे हैं।
17 जुलाई को प्रतापगढ़ जनपद के अतूं थाने के प्रभारी निरीक्षक उदय सिंह सोलंकी ने जैतीपुर गांव से मोबिन नामक एक पशु तस्कर को हिरासत में लिया, जो लम्बे समय से पशुओं को खरीद कर उन्हें काटता और बेचता है। उसे पकड़कर जब सोलंकी थाने ले जा रहे थे उसी बीच उनके सरकारी मोबाइल नम्बर पर प्रतापगढ़ (सदर) के सपा विधायक नागेन्द्र सिंह ऊर्फ मुन्ना यादव का फोन आया। विधायक ने बड़े गुस्से में उनसे मोबिन को पकड़ने का कारण पूछा? प्रभारी निरीक्षक ने बताया कि यह थाने की सूची में वांछित है और इस प्रकरण को क्षेत्राधिकारी (सीओ) भी जानते हैं। यह सब जानने के बावजूद सपा विधायक ने कहा कि मोबिन को छोड़ दो। सोलंकी ने कहा कि आप सीओ साहब से बात कर लें, मैं निर्देश मिलते ही छोड़ दूंगा। इतना सुनते ही विधायक ने दरोगा को गाली देते हुए कहा कि 'तुझे बताता हूं कि मैं क्या चीज हूं।' विधायक के इस अपमानजनक व्यवहार से स्तब्ध दरोगा सोलंकी ने पूरे घटनाक्रम की जानकारी क्षेत्राधिकारी और पुलिस अधीक्षक को दी। सोलंकी ने सबूत के तौर पर विधायक से हुई बातचीत का वह 'टेप' भी सौपा है, जो उनके मोबाइल ने टेप कर लिया था। फिलहाल प्रकरण की जांच क्षेत्राधिकारी को सौप दी गयी है। सोलंकी ने इस पूरे प्रकरण को उसी दिन थाने की दैनंदिनी या रोजा-नामच (जीडी) में भी लिख दिया है, जो अब सपा विधायक के गले की फांस बनेगा।
भदोही से सपा विधायक विजय मिश्रा बसपा सरकार में मंत्री रहे नंद गोपाल गुप्ता उर्फ 'नंदी' पर हुए प्राणघातक हमले के आरोप में नैनी (इलाहाबाद) स्थित केन्द्रीय कारागार में बंद हैं। उन्हें राष्ट्रपति पद के लिए मतदान करने हेतु लखनऊ जाना था। क्षेत्राधिकारी (सीओ) राधे श्याम राय उन्हें लखनऊ ले जाने के लिए 18 जुलाई को बज्र वाहन लेकर जेल पहुंचे, लेकिन सपा विधायक ने 'वज्र' वाहन से जाने से मना कर दिया। विधायक निजी व सुविधायुक्त गाड़ी से जाना चाहते थे, लेकिन क्षेत्राधिकारी ने उन्हें कानून और सुरक्षा का हवाला देते हुए ऐसी सुविधा देने से मना कर दिया। इस पर विधायक विजय मिश्रा ने क्षेत्राधिकारी से बदसलूकी की। बाद में विधायक को उच्च न्यायालय के सुरक्षा अधिकारी के साथ भेजा गया। इसी सपा विधायक के कारण क्षेत्राधिकारी राय को विभागीय सजा मिल सकती है, क्योंकि इससे पहले विजय मिश्रा सदन की बैठक में भाग लेने लखनऊ गये तो जहां मन आया, वहां गये। अपने मित्रों के घर, मन्दिर और 'माल' में खूब सैर की। मामला मीडिया में आ जाने पर राय को डांट तो पड़ी ही, उनसे स्पष्टीकरण भी मांगा गया है।
इन घटनाओं से कुछ दिन पहले 5 मई को सपा विधायक महेश नारायन सिंह ने अपने क्षेत्र के एक चौकी प्रभारी हरवंश सिंह यादव को फोन पर अपशब्द कहने के साथ-साथ कहा कि, 'मेरी बात नहीं मानोगे तो जूते से पीटूंगा'। चौकी प्रभारी हरवंश यादव का कहना था विधायक उनके कामकाज में अनावश्यक दखलंदाजी करते रहते हैं। संगम तट पर रेत के अवैध खनन में लिप्त माफियाओं को सहयोग करने का आदेश देते हैं। जबकि हरवंश यादव ने रेत के अवैध खनन पर रोक लगा रखी है, जिससे माफियाओं को बड़ा नुकसान हो रहा था। बहादुर पुलिसकर्मी हरवंश यादव ने विधायक द्वारा फोन पर दी गयी धमकी से अपने चौकी प्रभारी और क्षेत्राधिकारी को अवगत कराया। लेकिन उन लोगों ने इस मामले में सहयोग करने से मना कर दिया। आखिरकार हरवंश यादव ने दैनंदिनी (जीडी) में जब मामला दर्ज कर दिया तो विभाग में तूफान मच गया। आनन-फानन में एक क्षेत्राधिकारी को जांच सौप दी गयी। इसी बीच पुलिस महानिरीक्षक (इलाहाबाद) ने फजीहत से बचने के लिए विधायक के विरुद्ध हड़िया थाने में मुकदमा दर्ज करने का आदेश दे दिया। हालांकि विधायक के विरुद्ध पुलिसकर्मी द्वारा दर्ज मुकदमें की जांच भी सामान्य मुकदमों की तरह ही चल रही है।
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