लियांग की नई पेशकश के मायने
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फौजों में नजदीकी क्यों चाहता है चीन?
इन दिनों चीन के रक्षामंत्री जनरल लियांग गुआंग्ली भारत आने को बड़े बेताब हैं। वे भारत और चीन के बीच ऐसे समय रक्षा क्षेत्र में निकटताएं बढ़ाने को उतावले हैं जब चीन की अपने कई पड़ोसी देशों के साथ रक्षा क्षेत्र में तनातनी बढ़ती जा रही है। पूर्वी चीन सागर में टापुओं को लेकर उसके जापान के साथ मतभेद फिर से उभर आए हैं, तो दक्षिण चीन सागर में चीनी जहाजों की विएतनाम और फिलीपीन्स के जहाजों के साथ रस्साकशी होती आ रही है। अखबारों में एक ताजा रपट तो यहां तक कहती है कि बीजिंग के मीडिया ने 31 जुलाई को लिखा कि अगर भारत और विएतनाम दक्षिण चीन सागर में अपना तेल और गैस खोजने का संयुक्त अभियान जारी रखते हैं तो चीन को उन्हें 'कड़ा जवाब' देना चाहिए।
चीन में एक दशक बाद होने जा रहे नेतृत्व परिवर्तन की गहमागहमी बढ़ने से पहले जनरल लियांग की भारत की ओर अचानक बढ़ी दिलचस्पी विशेषज्ञों को हैरान किए है। शायद आगामी सितम्बर महीने में आने वाले जनरल लियांग की यह यात्रा 2005 के बाद पीएलए (पीपुल्स लिबरेशन आर्मी) की तरफ से सबसे उच्च स्तरीय यात्रा होगी। सरकारी सूत्रों की मानें तो भारत सरकार ने उनकी यात्रा की तारीखें तय करने की कवायद शुरू कर दी है। द्विपक्षीय सम्बंधों में दो देशों के बीच राजनीतिक-कूटनीतिक यात्राएं होती ही रहती हैं, लेकिन जब बात चीन की हो तोे मामला अलग हो जाता है। ध्यान देने की बात है कि दोनों देशों के बीच रक्षा क्षेत्र में आदान-प्रदान पर जुलाई 2010 में उस वक्त रोक लग गई थी जब चीनी फौज ने भारत में उत्तरी कमान के तत्कालीन प्रमुख ले.जनरल बी.एस. जमवाल की इस बात पर मेजबानी करने से मना कर दिया था कि वह जम्मू-कश्मीर जैसे संवेदनशील क्षेत्र में सेवारत हैं।
लेकिन अब अपने उस पैंतरे से उलट सीरत बनाते हुए, चीन ने सालों बाद पहली बार भारतीय फौज के प्रतिनिधिमंडल को इसी महीने तिब्बत बुलाया था। प्रतिनिधिमंडल की मेजबानी उसी चेंग्दू सैन्य क्षेत्र ने की थी जो भारत के साथ विवादित सरहद की चौकसी का जिम्मेदार है। भारत के प्रति नीति में बदलाव आ रहा है, शायद यही दिखाने को आतुर चीन ने पिछले महीने भारत की नौसेना के चार जहाजों को शंघाई आने का न्योता दिया था। अब जनरल लियांग चाहते हैं कि बीजिंग में भारतीय वायुसेना और नौसेना के दो अधिकारी और नई दिल्ली में चीनी नौसेना और वायुसेना के दो अधिकारी दूतावासों में स्थायी तौर पर रखे जाएं। बताते हैं कि भारत इस प्रस्ताव पर सिद्धान्तत: राजी भी हो गया है, बस बजटीय रुकावट दूर हो जाए। मामला पेचीदा है, खासकर आज की भूराजनीतिक स्थितियों को देखते हुए, जब चीन के साम्राज्यवादी मंसूबे किसी से छिपे नहीं हैं। भारत के विदेश मामलों के जानकारों का कहना है कि साउथ ब्लाक चीन के पिछले व्यवहार और मौका ताड़कर उस अनुसार चाल चलने की काबिलियत को परखकर ही आगे बढ़े।
ब्रिटिश उच्चायुक्त का खुलासा
वीसा फर्जीवाड़े में पाकिस्तान अव्वल
पिछले दिनों ब्रिटेन और पाकिस्तान के बीच राजनय संबंधों में तीखी तकरार के बीज पड़ गए। दरअसल इस्लामाबाद में ब्रिटेन के उच्चायुक्त ने एक प्रेस वार्ता में यह कहा था कि पिछले साल ब्रिटेन आने के लिए वीसा पाने को फर्जी दस्तावेज जमा कराने वालों में पाकिस्तानियों ने सबको पीछे छोड़ दिया। यू.के. के वीसा अधिकारियों ने हजारों फर्जी दस्तावेजों का पता लगाया है जो पाकिस्तानियों ने दाखिल किए थे। वैसे वह प्रेस वार्ता लंदन ओलम्पिक के प्रचार के लिए बुलाई गई थी, पर वीसा को लेकर उठे सवाल के जवाब में उच्चायुक्त एडम थॉम्पसन को आखिरकार यह राज खोलना पड़ा। उन्हें कहना पड़ा कि 'फर्जी कागजों पर वीसा पाने के मामलों में पाकिस्तानियों का कोई मुकाबला नहीं इसीलिए हमें हर अर्जी की बारीकी से जांच करनी पड़ी। पिछले साल हमने शायद 4000 फर्जी दस्तावेज या फर्जी पासपोर्ट पकड़े थे।' 'द सन' अखबार ने भी एक रपट छापी थी कि पाकिस्तान के पासपोर्ट अधिकारी और लाहौर के 'ट्रेवल एजेंट' फर्जी दस्तावेज बेच रहे हैं। इस रपट पर पाकिस्तान सरकार ने अखबार को मुल्क के खिलाफ अंतरराष्ट्रीय षड्यंत्र का हिस्सा बताते हुए अवमानना का मुकदमा दायर करने की बात कही थी। उधर प्रेस वार्ता में थॉम्पसन ने यहां तक कहा कि पाकिस्तान में धोखाधड़ी और फर्जीवाड़ा 'काफी मजबूत' उद्योग हैं। पाकिस्तान का मीडिया हैरत में है कि ब्रिटेन के साथ मुल्क के जो खुशनुमा रिश्ते बने हुए हैं, उनका आगे क्या होगा।
अमरीकी विदेश विभाग की रपट
पाकिस्तान, बंगलादेश में हिन्दुओं, अल्पसंख्यकों से भेदभाव
अमरीका के विदेश विभाग ने हाल ही में जारी अपनी एक रपट में पाकिस्तान और बंगलादेश में पांथिक अल्पसंख्यकों, खासकर हिन्दुओं से किए जा रहे भेदभावपूर्ण बर्ताव पर चिंता जताई है। अंतरराष्ट्रीय पांथिक स्वतंत्रता पर जारी इस रपट में हिन्दुओं पर हो रहे हिंसक हमलों का जिक्र करते हुए कहा गया है कि पाकिस्तान में जहां हिन्दुओं का अपहरण और जबरन मतांतरण जारी है वहीं हिन्दुओं को बंगलादेश में भेदभाव और कभी-कभी हिंसा झेलनी पड़ती है।
नेपाल के सर्वोच्च न्यायालय में याचिका
भट्टराई को बर्खास्त करें राष्ट्रपति
नेपाल के सर्वोच्च न्यायालय में 27 जुलाई को एक याचिका दायर की गई है जिसमें राष्ट्रपति राम बरन यादव से प्रधानमंत्री बाबूराम भट्टराई को बर्खास्त करने का अनुरोध किया गया है। इस याचिका के बाद भट्टराई पर कुर्सी खाली करने का दबाव और बढ़ गया है। याचिका में मांग की गई है कि राष्ट्रपति भट्टराई को हटाएं ताकि राष्ट्रीय सहमति की सरकार बनने का रास्ता साफ हो। यह याचिका ऐसे समय दायर हुई है जब विपक्षी दल, नेपाली कांग्रेस और सी.पी.एन.-यू.एम.एल. प्रधानमंत्री पर पद छोड़ने का भारी दबाव बनाए हुए हैं। उनका कहना है कि प्रधानमंत्री का संविधान सभा के लिए आगामी 22 नवम्बर को फिर से चुनाव कराने का फैसला असंवैधानिक है।
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