पाकिस्तानी सुरंग पर भारत का सतही विरोधजम्मू कश्मीर/ विशेष प्रतिनिधि
|
पाकिस्तानी सुरंग पर भारत का सतही विरोध
जम्मू कश्मीर/ विशेष प्रतिनिधि
जम्मू–कश्मीर की सीमा पर बसे चचवाल गांव में पाकिस्तान की ओर से अवैध घुसपैठ के लिए खोदी गई एक सुरंग का पता चलने पर भारत की सुरक्षा एजेंसियां हैरान रह गई हैं। भारत की सीमा के भीतर 500 मीटर से अधिक एक चौड़ी और गहरी सुरंग का खोदा जाना निश्चित रूप से पाकिस्तान की सेना की करतूत हो सकती है, या उसकी मदद से ही यह काम हो सकता है।
अन्तरराष्ट्रीय सीमा पर स्थित भारतीय सेना के सांबा सेक्टर के चिलेयारी चौकी के निकट स्थित चचवाल गांव में इस सुरंग का पता तब चला जब गांव के एक किसान का खेत वर्षा के बाद अचानक कुछ स्थानों से धंस गया। रहस्यमय तरीके से वर्षा का पानी अचानक खेत में बने गहरे गड्ढे में जाने पर सशंकित किसान ने सीमा सुरक्षा बल की निकटवर्ती चौकी पर तैनात जवानों को इसकी जानकारी दी। तब सीमा सुरक्षा बल के अधिकारियों व जवानों ने अपनी देखरेख में उस खेत की खुदाई शुरू करवाई तो वे हैरान रह गए। यह सुरंग जमीन की सतह से लगभग 20 फीट नीचे मिली और इसकी लम्बाई-चौड़ाई लगभग 4 फीट है। यानी इस सुरंग में से एक आदमी बड़े आराम से आर-पार जा सकता था और गोला-बारूद, हथियारों व अन्य सामान की आवाजाही या कहें कि तस्करी भी आसानी से हो सकती है। वैसे इस सुरंग को खोदने का असली उद्देश्य भी यही था, क्योंकि सुरंग तक आक्सीजन पहुंचाने के लिए 2 इंच मोटी पाइप लाइन भी बिछाई गई थी। जिस खेत में जमीन धंसी और इस सुरंग का पता चला, उस खेत से मात्र 100 मीटर की दूरी पर तारबंदी है और तारबंदी के बाद 'नोमैंस लैण्ड' है और उसके आगे 200 मीटर पर ही जीरो लाइन है अर्थात भारत-पाकिस्तान के बीच की नियंत्रण रेखा। आम आदमी का उस क्षेत्र में प्रवेश वर्जित है। बावजूद इसके भारत की सीमा के भीतर लगभग 300-400 मीटर तक सीमा के उस पार से सुरंग खोद दी गई और सीमा पर तैनात सुरक्षा बलों और आधा दर्जन से अधिक देशी-विदेशी खुफिया एजेंसियों को पता तक नहीं चला, इससे बड़ी चूक और क्या हो सकती है? अब सीमा सुरक्षा बल के महानिदेशक ने कहा है कि वे अपने समकक्ष पाकिस्तानी अधिकारी से इस मसले पर बात करेंगे। भारत की सरकार ने इस पर कोई प्रतिक्रिया ही नहीं दी है।
अब तक की खुदाई से यह बात तो साफ हो गई है कि इस सुरंग का शुरुआती सिरा पाकिस्तान की सीमा में है, भारत में इसका सिरा कहां है, इसकी खोज जारी है। सुरंग की वास्तविकता का पता लगाने के लिए अब उपग्रह और भू-गर्भीय रडार की मदद भी ली जा रही है। अब तक इस सुरंग का प्रयोग किया गया या नहीं और यह सुरंग कब बनी, इस सबकी जांच जारी है। उल्लेखनीय है कि सीमा पार से आतंकवादियों की घुसपैठ को रोकने के लिए भारत द्वारा नियंत्रण रेखा पर कई प्रकार के उपाय किए गए हैं, जिसमें कांटेदार तार लगाने का कार्य भी किया गया। किन्तु यह सुरंग न केवल कांटेदार तार के नीचे से गुजरती है बल्कि धरती के लगभग 20 फुट नीचे होने के कारण ऊपर से अगर सेना का टैंक भी गुजर जाए या गोलाबारी भी हो तब भी इस पर कोई असर नहीं होता।
इस सुरंग का अचानक पता चलने से सुरक्षा एजेंसियां और आमजन इसलिए भी चिंतित हैं कि पता नहीं ऐसी कितनी सुरंगों का और कहां-कहां निर्माण हो चुका है। जहां तक पाकिस्तान का संबंध है उसके शासक यह बात मानने को तैयार ही नहीं होंगे कि किसी ऐसी सुरंग का निर्माण उनके क्षेत्र से हुआ। और हुआ भी तो वे यह कभी नहीं मानेंगे कि इसमें उनकी सरकार तथा पाकिस्तानी सैनिकों का कोई हाथ है। लेकिन विशेषज्ञों का मानना है कि इस निर्माण में जिन पाइपों तथा अन्य आधुनिक प्रकार के यंत्रों का प्रयोग किया गया है वह विशेषज्ञों की सहायता के बिना संभव नहीं हो सकता। जहां तक सुरंगों के निर्माण का संबंध है, पहले भी कई स्थानों पर ऐसा देखा गया है। 10 वर्ष पूर्व जम्मू की सबसे बड़ी जेल कोट भलवल के अंदर से ही निकाली जा रही एक बड़ी सुरंग पकड़ी गई थी। पंजाब सीमा पर भी कुछ ऐसी ही सुरंगों का भण्डाफोड़ हुआ था। किन्तु चचवाल में पकड़ी जानी वाली सुरंग लगभग 20 फुट की गहराई के नीचे बनी है, जिसमें कई नई बातें सामने आ रही हैं। इससे इस बात की भी पुष्टि होती है कि सीमा पार के आक्रामक रुख में कोई परिवर्तन दिखाई नहीं देता, बल्कि घुसपैठ के लिए नित नए तरीके आजमाए जा रहे हैं। आधुनिक तरीके से सुरंग खोदना उसी योजना का एक हिस्सा है।
टिप्पणियाँ