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0सपनों का सब्जबाग धराशायी 0 मुलायम को खुद पसंद नहीं कामकाज का तरीका 0 विधानसभा सत्र के लिए आए कैदी सपा विधायक पहुंचे प्रणव मुखर्जी के साथ दावत उड़ाने 0 मंत्रियों की खुलेआम दबंगई 0 न भ्रष्टाचार की जांच, न घोटालों पर रोक 0 मंत्रियों में आपसी टकराहट 0 कानून–व्यवस्था का बना मजाक
लखनऊ से शशि सिंह
बड़े–बड़े सपने दिखाकर उत्तर प्रदेश में सत्ता में आई समाजवादी पार्टी की सरकार को कुर्सी संभाले अभी छह माह भी नहीं हुए हैं, लेकिन जिस तरह से इससे चौतरफा मोहभंग होता जा रहा है उससे लगता है कि साल बीतते-बीतते जनाक्रोश सड़कों पर आ जाएगा। शायद इसकी संभावना भांपकर ही सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष और मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के पिता मुलायम सिंह यादव ने अपना आक्रोश पहले ही जता दिया। सरकार के 100 दिन बीतने पर जिन मुलायम सिंह यादव ने उसे शत-प्रतिशत नंबर दिए थे, उन्होंने ही 31 जुलाई को हुई पार्टी के विधायकों और वरिष्ठ नेताओं की बैठक में साफ कहा कि वह खुद सरकार के कामकाज से खुश नहीं हैं। दो समस्याएं, जिनसे पूरा राज्य त्रस्त है, उन पर ध्यान खींचते हुए उन्होंने कहा कि उनसे मिलने वाले 20 लोगों में से 15 लोग बिजली की किल्लत की बात करते हैं। उन्होंने बिगड़ती कानून व्यवस्था पर भी सवाल उठाया। हालांकि मुलायम सिंह की यह खरी-खरी अपनी सरकार को जनता की नजरों में गिरने से बचाने का सधा उपक्रम थी, लेकिन सही बात उनके मुंह से सामने आ ही गई।
पटरी से उतरी सरकार
असल बात तो यह है कि मुलायम सिंह की रीति-नीति पर चल रही अखिलेश सरकार अपने प्रारंभिक दौर में ही पटरी से उतर गई है। सपा ने चुनाव में जो सपनों का सब्जबाग दिखाया था, वह पूरी तरह धराशायी हो गया है। न मंत्रियों में कोई तालमेल है, न ही नीतियों में कोई स्पष्टता। मंत्री आपस में लड़े रहे हैं। कई दबाव समूह बन गए हैं। मुलायम के भाई शिवपाल यादव और मुस्लिम मंत्री आजम खां में छत्तीस का आंकड़ा है। भितरघात की कोई भी कोशिश नहीं छोड़ी जा रही है। ये दोनों ही सपा के युवा मुख्यमंत्री को पसंद नहीं करते हैं। दिल्ली की जामा मस्जिद के इमाम बुखारी की आजम से लड़ाई का भी असर देखने को मिल रहा है। आजम खां के भयादोहन के आगे सरकार नतमस्तक हो गई है। एक स्थानीय मुस्लिम मंत्री की शिकायत पर उनसे मेरठ के प्रभारी मंत्री का जिम्मा वापस ले लिया गया तो इस्तीफे तक की धमकी दे दी। सरकार झुक गई और उन्हें फिर मेरठ का प्रभारी मंत्री बना दिया गया। सरकार के कई फैसलों से उसकी ही किरकिरी हुई। शाम सात बजे के बाद बाजारबंदी और विधायक निधि के 20 लाख रुपये से कार खरीदने जैसे तुगलकी फैसलों को वापस करना पड़ा।
बसपा की राह
सबसे बड़ी नकारात्मक बात जो उभरकर सामने आई, वह यह कि यह सरकार बसपा की राह पर चल पड़ी है। कानून-व्यवस्था पर ध्यान न देने के कारण प्रदेश में त्राहि-त्राहि मची हुई है। हर रोज प्रदेश के किसी न किसी कोने से दुराचार, हत्या और डकैती जैसे जघन्य अपराधों की सूचनाएं सामने आ रही हैं। सपा नेता और विधायक मनमानी कर रहे हैं। विधायकों की मनमानी के कुछ उदाहरण देखिए-
सपा विधायक विजय मिश्र (इलाहाबाद) नैनी जेल से विधानसभा सत्र में भाग लेने आने को तैयार हुए, संबंधित सीओ ने उनसे थोड़ी कड़ाई की, तो भिड़ गए। उन्होंने सीओ को गालियां दीं। शिकायत ऊपर तक हुई तो सीओ का तबादला कर दिया गया। नामी अपराधी विजय मिश्र ने सपा के टिकट पर जेल में रहकर चुनाव जीता था। वही विजय मिश्र विधानसभा सत्र में आए और रात को लखनऊ के जिला जेल में दाखिल हुए तो एक दिन एक मंदिर में दर्शन करने पहुंच गए। समाचार पत्रों में बाकायदा फोटो तक छपे।
राष्ट्रपति पद के लिए समर्थन मांगने आए प्रणव मुखर्जी के सम्मान में मुख्यमंत्री आवास पर दावत के आयोजन में दागी विधायक मुख्तार अंसारी और विजय मिश्र भी पहुंच गए थे, जबकि अदालत ने इन्हें केवल सत्र में हिस्सा लेने की अनुमित दी थी। शोर-शराबा हुआ तो जांच के आदेश दिए गए। आज तक कुछ नहीं हुआ।
इलाहाबाद की ही एक विधानसभा सीट से विधायक महेश नारायण सिंह ने थाने में थानेदार से बदतमीजी की। 0 पश्चिमी उत्तर प्रदेश के सपा के ही एक पूर्व विधायक जेल में बंद हैं, लेकिन तीन माह से अस्पताल के वातानुकूलित कमरे में 'स्वास्थ्य लाभ' ले रहे थे। समाचार पत्रों में खबर आई तो जेल में दाखिल हो गए।
बसपा से सपा का शह-मात का खेल भी जारी है। कहा गया था कि सत्ता में आने पर मायाराज के सभी घोटालों की जांच होगी। मायावती के आवास पर 85 करोड़ रु. खर्च किए गए। जांच हो रही थी। पता नहीं किन कारणों से सरकार ने कहा कि अब जांच नहीं होगी। जांच रुक गई। सरकार में आते ही उत्साह में आकर स्वास्थ्य मंत्री अहमद हसन ने एनआरएचएम घोटाले में आरोपी 22 डाक्टरों को निलंबित कर दिया। उच्च न्यायालय के आदेश पर जांच कर रही सीबीआई अब उन पर अभियोजन की मंजूरी मांग रही है तो टालमटोल हो रही है। तीन माह बीतने को हैं लेकिन अभी तक बगलें झांकी जा रही हैं। इसी घोटाले में संलिप्त तत्कालीन प्रमुख सचिव (स्वास्थ्य) प्रदीप शुक्ल इस समय निलंबित हैं। वह गाजियाबाद की डासना जेल में बंद हैं। सरकार के वरिष्ठ मंत्री शिवपाल यादव उनसे जेल में मिलने भी गए थे।
भ्रष्टाचार जस का तस
उत्तर प्रदेश राज्य औद्योगिक विकास निगम (यूपीएसआईडीसी) के प्रमुख अभियंता अरुण मिश्र को करोड़ों की हेराफेरी में निलंबित किया गया। उनको काफी खोजबीन के बाद गिरफ्तार किया गया। जेल भेजा गया। सरकार ने उन्हें निलंबित कर दिया था। जेल से छूटे तो उन्हें बहाल कर दिया गया। सपा से जुड़े अमित जानी (मेरठ) और कुछ अन्य अराजक तत्वों ने लखनऊ स्थित डाक्टर अंबेडकर परिवर्तन स्थल में मायावती की मूर्ति को खंडित किया तो बवाल मचा। आरोपियों को गिरफ्तार कर जेल भेजा गया। रातोंरात दूसरी मूर्ति लगवाई गई। बसपा नेता इस निमित्त मुख्यमंत्री अखिलेश से मिले तो उनकी तारीफों को पुल बांध दिए।
मायावती के करीबी शराब व्यवसायी पोंटी चड्ढा द्वारा चीनी मिलों की औने-पौने दामों में खरीद के फैसले की जांच रोक दी गई। कहा जा रहा है कि यह भी सपा-बसपा में 'सौदे' का नतीजा है। मायावती के ही करीबी जेपी समूह के विवादास्पद 'यमुना एक्सप्रेस वे' के कामकाज को रोकने का वायदा किया गया था। किसानों की सैकड़ों एकड़ जमीन को औने-पौने दामों पर हड़प लिया गया था। किसान नेता मनवीर सिंह तेवतिया आज भी जेल में बंद हैं। सूत्रों की मानें तो उस परियोजना को भी हरी झंडी देने की तैयारी चल रही है।
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