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राष्ट्रविरोधी रपट
गरीबी का मजाक न उड़ाएं चिदम्बरम
अंक–सन्दर्भ 8 जुलाई,2012
केन्द्रीय गृहमंत्री पी. चिदम्बरम केवल 'इंडिया' को जानते हैं, भारत को नहीं। पन्द्रह रुपए की पानी की बोतल और बीस रुपए की आइसक्रीम की कटोरी भारत के कितने लोग खा पाते हैं, वे बिल्कुल नहीं जानते। शताब्दी और राजधानी रेलगाड़ियां जब अपने गन्तव्य पर पहुंचती हैं तो उनमें कितने छोटे-छोटे बच्चे जूठे बचे खाने के लिए आपस में लड़ते हैं और कभी-कभी रेल कर्मचारी और पुलिस वालों के डंडे भी खाते हैं, यह देश के गृहमंत्री ने कभी देखा ही नहीं। यात्रा और रेलगाड़ी में मजबूरी में लोगों को बोतल बंद पानी खरीदना पड़ता है, क्योंकि रेलवे स्टेशनों पर साफ पानी की व्यवस्था भारत सरकार कर ही नहीं पाई। वे दिन फिर भी अच्छे थे जब घड़े भरकर स्टेशनों पर रखे जाते थे। अगर सरकार शुद्ध पानी दे तो गरीब जनता को यह बोतल बंद पानी खरीदकर अपनी खून-पसीने की कमाई पानी पर खर्च न करनी पड़े। याद रखिए चिदम्बरम जी, गेहूं-चावल महंगा होने पर लोग इसलिए शोर मचाते हैं कि आटा-दाल न मिले तो जीवन खतरे में पड़ जाता है, पर आइसक्रीम और बोतलों का पानी जीवन नहीं देता। जिन्हें गरीबी में दिन काटने पड़ते हैं, वही जानते हैं कि आटा, सब्जी आदि की महंगाई कितनी पीड़ा देती है।
–लक्ष्मीकांता चावला
अमृतसर (पंजाब)
श्री नरेन्द्र सहगल ने जम्मू-कश्मीर पर वार्ताकारों की रपट का अच्छा विश्लेषण किया है। उन्होंने वास्तविकता का चित्रण कर हिन्दुओं को बेचैनी के साथ सोचने को विवश किया है कि कश्मीरी पंडितों की दुर्दशा के बारे में गंभीरता से सोचा जाए और उनकी घरवापसी के लिए स्थितियां पैदा की जाएं। सच्चाई यह है कि आम हिन्दू अभी तक इस समस्या के प्रति बेचैन नहीं हुआ है। सरकारों की लापरवाही, सेकुलर मीडिया की संदिग्ध भूमिका, नेताओं की ओछी राजनीति के कारण जागरूकता पैदा नहीं हो सकी है।
–क्षत्रिय देवलाल
उज्जैन कुटीर, अड्डी बंगला, झुमरी तलैया
कोडरमा-825409 (झारखण्ड)
जिस कश्मीर की सुरक्षा के लिए हमारे हजारों वीर शहीद हुए हैं, जिस कश्मीर को बचाने के लिए डा. श्यामा प्रसाद मुखर्जी को अपना बलिदान देना पड़ा, जिस कश्मीर को भारत में मिलाने के लिए सरदार पटेल ने अतुलनीय राजनीतिक कौशल का प्रदर्शन किया था, उस कश्मीर को चांदी की थाली में रखकर पाकिस्तान को भेंट करना चाहती है सोनिया-मनमोहन सरकार। वार्ताकारों की रपट कूड़ेदान में फेंक दी जाए।
–सूर्यप्रताप सिंह सोनगरा
कांडरवासा, रतलाम (म.प्र.)
इस देश का दुर्भाग्य है कि देश के प्रति नकारात्मक सोच रखने वालों को ही ऊंचा दर्जा दिया जाता है। जबकि इन अवसरवादियों पर राष्ट्रद्रोह का मुकदमा चलाना चाहिए। देश के नेतृत्व के पास दृढ़ इच्छा-शक्ति न होने के कारण अवसरवादी सिर उठाते हैं। कश्मीरी वार्ताकारों ने डेढ़ साल में करोड़ों रुपए खर्च करके ऐसी रपट प्रस्तुत की है, जो पाकिस्तान के तकर्ों को ही सही ठहराती है।
–उदय कमल मिश्र
गांधी विद्यालय के समीप, सीधी-486661 (म.प्र.)
पाकिस्तान की कुटिल नीति और केन्द्र सरकार की कमजोर नीति के कारण कश्मीर समस्या बढ़ी है। इस तथ्य को वार्ताकार क्यों भूल गए? वार्ताकार कश्मीरी पंडितों की हत्या, उनके विस्थापन, उनके धर्म-स्थलों का विध्वंस आदि को क्यों भूल गए? ऐसा लगता है कि वार्ताकारों ने अपनी रपट केन्द्र सरकार के इशारे पर तैयार की है। यह देश की अखण्डता के साथ शर्मनाक मजाक है।
–मनोहर 'मंजुल'
पिपल्या–बुजुर्ग, प. निमाड़-451225 (म.प्र.)
वार्ताकारों की रपट राष्ट्रविरोधी है। 1994 में भारतीय संसद ने एक प्रस्ताव पारित किया था कि जम्मू-कश्मीर भारत का अभिन्न अंग है। उस प्रस्ताव में यह भी कहा गया था कि पाक अधिकृत कश्मीर को वापस लेना है। यदि वार्ताकारों की रपट मान ली गई तो संसद के इस प्रस्ताव का क्या होगा? ऐसी रपट तैयार करने वालों को जेल में बन्द कर देना चाहिए।
–जीवन सिंह सोलंकी
कांकरोली, जिला–राजसमन्द-313324(राज.)
हिन्दुओं का अपमान
श्री शशि सिंह की रपट 'अपराध के 100 दिन' बताती है कि उत्तर प्रदेश अराजकता की ओर बढ़ रहा है। सपा की सरकार बनते ही पूरे राज्य में अपराधी तत्व और मजहबी एवं कट्टरवादी सक्रिय हो गए हैं। मायावती की भ्रष्ट सरकार को हटाने के लिए लोगों ने सपा को चुना था। पर सपा सिर्फ सम्प्रदाय विशेष के लिए काम कर रही है। हिन्दुओं में सपा को लेकर नाराजगी बढ़ रही है।
–अमित
नैनी, इलाहाबाद (उ.प्र.)
उत्तर प्रदेश की अखिलेश सरकार पूरी ईमानदारी के साथ असामाजिक तत्वों के खिलाफ कार्रवाई करे। जनता सब कुछ देख रही है। मुलायम, अखिलेश या आजम खान इस बात को न भूलें कि समय आने पर जनता बड़े-बड़े तानाशाहों को भी सत्ता से उतार देती है।
–हरिहर सिंह चौहान
जंवरीबाग नसिया, इन्दौर-452001 (म.प्र.)
मुख्यमंत्री अखिलेश यादव कहते हैं कि वे उ.प्र. को 'आई.टी. हब' बनाएंगे। यदि अपराध नहीं रुके तो उनका यह सपना कभी साकार नहीं होगा। उद्योगपति प्रदेश में निवेश नहीं करेंगे। दु:खद बात तो यह है कि सत्तारूढ़ पार्टी सपा के नेता और कार्यकर्ता ही अपराध को बढ़ावा दे रहे हैं। कई घटनाओं में सपा के कार्यकर्ता ही प्रत्यक्ष रूप से शामिल हुए हैं। यदि उनके खिलाफ कार्रवाई होगी तो अपराध अवश्य रुकेंगे।
–राममोहन चंद्रवंशी
अभिलाषा निवास, विट्ठल नगर
टिमरनी, जिला–हरदा (म.प्र.)
पिछले दिनों कई पत्रों में समाचार पढ़ा कि सपा अध्यक्ष मुलायम सिंह यादव उ.प्र. के मुस्लिम मजहबी नेताओं को चुनाव में समर्थन देने के लिए उन्हें खत लिखकर शुक्रिया अदा कर रहे हैं। क्या सपा को केवल मुसलमानों ने ही वोट दिया है? यह सपा के हिन्दू मतदाताओं का अपमान है। सपा की तुष्टीकरण नीति से ही उ.प्र. में कानून-व्यवस्था बिगड़ रही है।
–गणेश कुमार
कंकड़बाग, पटना (बिहार)
न्यायसंगत नहीं
श्री आलोक गोस्वामी की रपट 'रियो की उपलब्धि शून्य' पढ़ी। जलवायु परिवर्तन से होने वाले संभावित दुष्परिणामों पर विचार-विमर्श के लिए रियो डि जेनेरो में हुआ सम्मेलन विकसित और विकासशील देशों के मध्य विभिन्न विषयों पर सहमति न बनने के कारण निर्धारित उद्देश्यों को प्राप्त करने में असफल रहा। विकसित देश प्राकृतिक संसाधनों का दोहन करने तथा कार्बन उत्सर्जन में आगे होने के बावजूद भारत जैसे विकासशील देशों को वैश्विक ताप बढ़ाने में अपने समान ही दोषी मानते हैं, जो न्यासंगत नहीं है। यदि विश्व को विनाश से बचाना है तो विकसित देशों को अपना उत्तरदायित्व समझते हुए सभी देशों के हितों के अनुरूप पर्यावरण संरक्षण से संबंधित नियम बनाने होंगे।
–विक्रम सिंह
15/22, मोहल्ला जोगियो वाला, घरौंडा
करनाल-1321142 (हरियाणा)
प्रेम नहीं, साजिश
गवाक्ष में श्री शिवओम अम्बर ने 'लव जिहाद' पर गहरी दृष्टि डाली है। इसके अन्तर्गत बहुत ही सोच-समझकर हिन्दू युवतियों को फांसा जाता है। मीठे बोल और घड़ियाली आंसू देखकर लड़कियां मुस्लिम युवकों के झांसे में आ जाती हैं। माता-पिता अपनी बच्चियों को 'लव जिहाद' के बारे में बताते रहें। 'लव जिहाद' के कारण किस प्रकार हिन्दू युवतियां नरक में जीवन बिता रही हैं, इस तरह की घटनाओं पर पुस्तकें निकाली जाएं और उन्हें समाज में नि:शुल्क वितरित करने का प्रबंध हो। इससे लोगों में 'लव जिहाद' की असलियत पहुंचेगी।
–सरिता राठौर
अम्बेडकर नगर, हैदरपुर, दिल्ली-110086
'लव जिहाद' हिन्दुओं के मतान्तरण का एक तरीका है। मुस्लिम लड़कों को साजिश के तहत हिन्दू लड़कियों के पीछे लगाया जाता है। सुना है कि उन लड़कों को सारी सुविधाएं कुछ मुस्लिम संगठन उपलब्ध कराते हैं। कुछ लोग कहते हैं कि प्रेम में मजहब आड़े नहीं आता है। ऐसे लोग बताएंगे कि प्रेम क्या एकतरफा होता है? कोई मुस्लिम युवक किसी हिन्दू युवती से प्रेम करता है तो वह हिन्दू बनकर उससे विवाह क्यों नहीं करता है? क्यों उस लड़की का मतान्तरण कर निकाह कराया जाता है? यह प्रेम नहीं, साजिश है।
–बी.एल. सचदेवा
263, आई.एन.ए. मार्केट, नई दिल्ली-11002
सत्ता के भूखे भेड़िए
गुजरात दंगों को लेकर नरेन्द्र मोदी के विरुद्ध एक सुनियोजित अभियान चलाया जा रहा है। ये दंगे हालांकि रेलगाड़ी में कारसेवकों की निर्मम हत्या की प्रतिक्रिया मात्र थे। लेकिन अगर यही पैमाना है तो 1984 के सिख दंगों के बाद तो कांग्रेस को चुनाव तक नहीं लड़ना चाहिए था। वास्तव में इन छद्म सेकुलरों ने मुस्लिम साम्प्रदायिकता को बढ़ावा दिया है और उस पर वोटों की रोटियां सेंक रहे हैं। इन्होंने तो पंथनिरपेक्षता को ही एक अलग सम्प्रदाय बना लिया है जो समय के साथ-साथ रूढ़िवादी और कट्टर होता जा रहा है। ये लोग कभी नहीं चाहते कि हिन्दू कभी एक हों या नरेन्द्र मोदी जैसा सशक्त हिन्दुत्ववादी नेता प्रधानमंत्री बने। इसलिए सत्ता के भूखे भेड़िए मोदी को गालियां दे रहे हैं और बदनाम कर रहे हैं।
–अरुण मित्र
324, राम नगर, दिल्ली-110051
चाहे सेकुलर नेता हों या बुद्धिजीवी सभी नरेन्द्र मोदी को मुसलमान विरोधी ठहराने में कोई कसर नहीं छोड़ रहे हैं। स्वतंत्र भारत में नरेन्द्र मोदी ही एकमात्र ऐसे नेता हैं जिन पर चारों तरफ से हमले हो रहे हैं। फिर भी मोदी गुजरात के विकास में जी-जान से जुटे हैं। यही उनकी ताकत है। गुजरात के लोग उनके साथ हैं। कांग्रेस को यही अच्छा नहीं लगता है।
–उमेश प्रसाद सिंह
के-100, लक्ष्मी नगर, दिल्ली-110092
वर्षा जल बचाओ
पिछले दिनों चर्चा सत्र में श्री प्रमोद भार्गव के लेख 'सच से दूर क्यों अटकलें?' में मौसम की स्थिति का आकलन किया गया है। आज सम्पूर्ण उत्तर भारत जल की कमी से जूझ रहा है। हमने तालाब, बावड़ी और पोखरों की जगह मकान और दुकानें बना ली हैं। वर्षा जल का संरक्षण हो तो जल-संकट को टाला जा सकता है। इसके लिए वर्षा जल को रोक कर भूमि के अंदर भेजा जाए।
–महेश चन्द्र शर्मा
62, विवेकानन्दपुरी, किशनगंज
दिल्ली-110007
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